भारत: खतना के डर से इस्लाम धर्म अपनाने के फैसले से पीछे हटा हिंदू पुजारी
एच. आर. चंद्रशेखरैया ने विस्तार से बताते हुए कहा, मैं मधुमेह से पीड़ित हूं। मैं यह जानकर डर गया कि रूपांतरण (सनातन यानी हिंदू धर्म छोड़कर मुस्लिन धर्म अपनाना) के समय खतना किया जाएगा। मैं इसके संभावित परिणामों से डर गया और अंत में हिंदू धर्म में वापस रहने का फैसला किया।
उन्होंने कहा, मैं विरासत (उत्तराधिकार) के विवाद से आहत था। रिश्तेदारों ने खुद को मुझसे दूर कर लिया। चूंकि, मैं एक वृद्ध व्यक्ति हूं, इसलिए मुझे ऐसा लग रहा था कि वे परंपराओं के अनुसार मेरा अंतिम संस्कार नहीं करेंगे और मैंने कानूनी रूप से इस्लाम में परिवर्तित होने का फैसला किया।
पुजारी ने मीडिया से कहा, मैं इस्लाम के बारे में कुछ नहीं जानता था। मेरा घर उस क्षेत्र में स्थित था जहां कई मुसलमान रहते थे और कई दोस्त वहां रहते थे। इसलिए, मैंने अपना धर्म बदलने का फैसला किया।
चंद्रशेखरैया ने कहा, सनातन हिंदू धर्म सर्वोच्च है। मुझे एहसास हुआ कि इस्लाम में परिवर्तित होने का मेरा निर्णय गलत था। अज्ञान दूर हो गया है, धर्म बदल जाने पर कोई मुक्ति नहीं है।
उन्होंने आगे कहा कि धार्मिक संतों द्वारा हिंदू धर्म में वापस स्वागत किए जाने के बाद वह शांति से हैं।
चंद्रशेखरैया ने जोर देकर कहा कि जन्म के बाद से, उनकी विचार प्रक्रिया और जीवन पद्धति हिंदू धर्म के साथ तालमेल बिठाती है और उन्होंने जल्दबाजी में लिए गए निर्णय से निराश महसूस किया है।
इस बीच, कुछ स्थानीय लोगों ने आरोप लगाया कि एक जद (एस) नेता और अन्य ने उन्हें धर्म परिवर्तन का निर्णय लेने के लिए प्रभावित किया था।
एक मंदिर के पुजारी 61 वर्षीय चंद्रशेखरैया ने पहले धर्म परिवर्तन के अपने फैसले की घोषणा की थी और इस संबंध में एक विज्ञापन भी जारी किया था।
पुजारी ने अपना नाम मुबारक पाशा भी रखा। चंद्रशेखरैया की टोपी पहने और नमाज अदा करने की तस्वीरों ने इसे एक सांप्रदायिक मुद्दा बना दिया था।
भाजपा के पूर्व मंत्री सोगडू शिवन्ना उनके घर पहुंचे और लंबी चर्चा की। शिवन्ना ने धार्मिक संतों के माध्यम से उनके लिए घर वापसी (पुन: रूपांतरण) कार्यक्रम की भी व्यवस्था की।
--आईएएनएस
एकेके/एएनएम
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