Rajasthan @ रक्तदान में महिलाएं भी: घर परिवार की जिम्मेदारी, रक्तदान में बढ़कर भागीदारी, साबित कर रहीं शक्ति का नाम नारी
महिला शक्ति भी रक्तदान करने में आगे आ रही है। समाज में अब भी यह धारणा बनी हुई है कि रक्तदान केवल पुरुष ही कर सकते हैं। अब यह मिथक टूट रहा है, क्योंकि पुरुषों की ही भांति महिलाएं भी रक्तदान के लिए आगे आने लगी हैं।
जालोर।
अब पुरुषों की ही भांति महिलाएं भी रक्तदान के लिए आगे आने लगी हैं। कोरोना के संकट के दौरान भी कई महिलाएं अस्पताल रक्तदान करने पहुंची थी, उसी के साथ अब जिस तरह डेंगू के पेसेंट बढ़ रहे है, वैसे—वैसे महिला शक्ति भी रक्तदान करने में आगे आ रही है। समाज में अब भी यह धारणा बनी हुई है कि रक्तदान केवल पुरुष ही कर सकते हैं। अब यह मिथक टूट रहा है, क्योंकि पुरुषों की ही भांति महिलाएं भी रक्तदान के लिए आगे आने लगी हैं। कुछ महिलाएं मरीजों की जिदगी बचाने के लिए रक्तदान कर रही हैं। यहीं नहीं कोरोना के संकट में जब मरीजों को ब्लड की जरूरत पड़ी तो कई महिलाएं लॉकडाउन और कर्फ्यू के दौरान अस्पतालों में पहुंची।
जालोर ब्लड़ डोनर ग्रुप से रक्तदान करने वाली महिलाओं ने अपने अनुभव साझा किए। जालोर की रहने वाली डॉ. निशा भट्ट पुत्री राधेश्याम भट्ट रक्त वीरांगना ने कहा कि पिछले कुछ सालों में रक्तदान करने वाली महिलाओं व लड़कियों की संख्या में इजाफा हुआ है। हालांकि, अभी और जागरूकता की जरूरत है। जालोर सरकारी अस्पताल में कई महिलाएं व लड़कियां हर तीन माह बाद ब्लड डोनेट करने के लिए आती हैं। कोई भी स्वस्थ महिला, जिसकी उम्र 18 से अधिक हो, जिसका हीमोग्लोबिन 12.5 प्रतिशत से अधिक हो और वजन कम से कम 45 किलोग्राम से अधिक हो तो वह रक्तदान कर सकती है। जिन महिलाओं को हाइपर थायराइड या थायरड की शिकायत हो, जो शिशु को ब्रेस्ट फीडिग करवा रही हो, लो या हाई बीपी की समस्या हो, हृदय रोग हों उन्हें रक्तदान नहीं करना चाहिए। इसके अलावा मासिक धर्म आने पर भी रक्तदान नहीं करना चाहिए। डायबिटिज रोगी जो इंसुलिन लेती हैं और गर्भवती महिलाओं को रक्तदान करने की अनुमित नहीं दी जाती।
तथा इसकी के साथ जालोर के ग्रेनाइट उधमी की पत्नी अंजना सारण पत्नी अरुण जी सारण जो हमारी रक्त वीरांगना है उन्होंने बताया कि ग्रहणी के साथ साथ वह एक शोशियल वर्कर भी है जो समय समय पर सामाजिक कार्य में भी हाथ बटाती है और वो बताती है कि उनके परिवार के सभी सदस्य रक्तदान करते है जिनको देख मेने भी रक्तदान करना शुरू किया और पेसेंट की जान बचाना मुनासिब समझा। डॉ. निशा भट्ट ने अनिल व्यास के यहाँ एडमिट निशा बानू पत्नी दिनेश खान को B पोसिटिव रक्त की कमी होने पर रक्तदान किया एवं अंजना सारण ने जगदम्बा हॉस्पिटल एडमिट 10 वर्षीय बालक निक्कू पुत्र मनोज शर्मा के डेंगू में प्लेटलेट्स कम होने पर रेयर ब्लड़ B नेगेटिव रक्तदान किया। जालोर ब्लड़ डोनर ग्रुप परिवार द्वारा दोनों महिला शक्ति रक्त वीरांगनाये के एवं रक्तवीर रक्तदान कर रहे है, उन सभी को आभार दिया। आपके द्वारा रक्तदान किया गया रक्त किसी की जन्दगी बचाने में बहुत आवश्यक है।
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