सिरोही पुलिस की कारस्तानी उजागर: सिरोही पुलिस की कारस्तानी तो देखो जेल में बंद युवक को लाडूदेवी हत्याकांड में आरोपी बनाकर डाल दिया जेल, पीड़ित ने सिरोही विधायक से लगाई गुहार
अब सिरोही पुलिस की एक ऐसी कारस्तानी उजागर हुई है, जिससे पुलिस पर विश्वास होना संभव ही नहीं हो रहा। सिरोही पुलिस ने एक जेल में बंद युवक को महिला के हत्याकांड में शामिल बताकर आरोपी बना दिया। इतना ही नहीं, पीड़ित द्वारा जिस अपराध को किया ही नहीं गया, उसमें उसे आरोपी बनाकर 2018 से जेल में बंद कर दिया गया।
सिरोही।
सिरोही पुलिस को पिछले कुछ समय से लगातार एक के बाद एक कारनामे उजागर होने पर बदनामी झेलनी पड़ रही है। पहले सिरोही पुलिस अधीक्षक का शराब माफियाओं से मिलीभगत तो उसके बाद पुलिस थानाधिकारी द्वारा तस्करों को भगाने का मामला उजागर हुआ।
अब सिरोही पुलिस की एक ऐसी कारस्तानी उजागर हुई है, जिससे पुलिस पर विश्वास होना संभव ही नहीं हो रहा। सिरोही पुलिस ने एक जेल में बंद युवक को महिला के हत्याकांड में शामिल बताकर आरोपी बना दिया। इतना ही नहीं, पीड़ित द्वारा जिस अपराध को किया ही नहीं गया, उसमें उसे आरोपी बनाकर 2018 से जेल में बंद कर दिया गया।
मंत्री टीकाराम जूली और संयम लोढ़ा का जेल दौरा, पुलिस की कारस्तानी उजागर
आपको बता दें कि रविवार को सामाजिक अधिकारिकता एवं न्याय मंत्री टीकाराम जूली के साथ विधायक संयम लोढा द्वारा सिरोही जिला कारागार के निरीक्षण किया गया। इस दौरान सिरोही जेल में बन्द गेमाराम गरासिया ने बताया कि 2018 को लाडूदेवी हत्याकांड में उसे भी लखमाराम रेबारी की तरह फर्जी प्लान कर झूठा फंसाया है। विधायक संयम लोढा ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को पत्र लिखकर पूरे मामले से अवगत कराया है।
लोढा ने पत्र में बताया 2018 में लाडूदेवी हत्याकांड प्रकरण में जेल में बंद एक अन्य मुलजिम गेमाराम पुत्र लाखाराम गरासिया निवासी उपला भीमाना पुलिस थाना नाना जिला पाली को 25 मई 2018 को लाडूदेवी की हत्या में शामिल बताया गया है। उससे पहले से गेमाराम बाली उपकारागृह में बंद था।
लेकिन पुलिस ने 25 मई 2018 की इस हत्या के मामले में निर्दोश गेमाराम गरासिया को झूठा फंसा दिया और अब तक जेल में बंद कर रखा है।
2 अप्रेल से 29 मई तक जेल में बंद, 25 मई को हुए हत्याकांड में कैसे बना आरोपी
इस मामले में बाली जेल के जेलर से गेमाराम गरासिया के जेल में बंद होने की जानकारी ली गई। अधिकारिक रिकार्ड मांगा तो इस पर जेलर बाली के द्वारा उपलब्ध करवाए गए रिकॉर्ड के मुताबिक सादड़ी थाने की एफआईआर नम्बर 18/18 पर सादड़ी के न्यायिक मजिस्ट्रेट के 2 अप्रेल को दिए आदेशानुसार गेमाराम गरासिया 2 अप्रेल 2018 से 29 मई 2018 तक बाली जेल में ही बन्द था।
जबकि लाडू देवी की हत्या 25 मई की रात को हुई थी। हत्या वाले दिन वो बाली जेल में ही था। उक्त मुलजिम गेमाराम गरासिया बाली जेल में 2 अप्रेल 2018 से व 29 मई 2018 बंद था।
सीएम से प्रार्थना पत्र प्रस्तुत करने का आग्रह
विधायक संयम लोढा ने बताया कि सिरोही जिले के ग्राम झाडौलीवीर में हत्या की यह घटना 25 मई 2018 को हुई थी और गेमाराम गरासिया हत्या दिन भी बाली जेल में ही बंद था। यह अत्याचार की पराकाष्ठा है। आर्थिक एवं अन्य संसाधन से कमजोर होने के कारण निर्दोश आदिवासी गेमाराम को जेल में ठूंसना अमानवीय कृत्य है।
विधायक संयम लोढा ने मुख्यमंत्री को लिखे पत्र में तत्काल पुलिस महानिदेशक जयपुर को इस संबंध में निर्देश प्रदान करे कि उक्त हत्या के मामले में बाली जेल रिकॉर्ड के अनुसार निर्दोष गेमाराम को रिहा करने हेतु सिरोही की अदालत में सीआरपीसी 169 के तहत प्रार्थना पत्र प्रस्तुत करें और जिससे गेमाराम को न्याय मिल सके और लोगो का न्याय पर भरोसा कायम रहे।
सिरोही पुलिस का निर्दोष को फंसाने का दूसरा मामला
विधायक संयम लोढा ने बताया कि सिरोही जिले में हत्या के मामले में निर्दोष को गिरफ्तार करने का यह लगातार दूसरा मामला है।
सिरोही जिले के बरलूट थाने में 26 मई 2018 को हत्या व लूट का मामला दर्ज करवाया गया था। पुलिस ने पहले ही एक निर्दोष लकमाराम देवासी को गिरफ्तार किया। इसके बाद फिर अदालत सीआरपीसी 169 में चार साल जेल में रखने के बाद उसके निर्दोष रिपोर्ट प्रस्तुत की।
संयम लोढ़ा ने इस मामले में पुलिस महानिदेशक मोहनलाल लाठर, पुलिस महानिदेशक जेल भूपेन्द्र कुमार दक से दूरभाष पर बात कर पूरे मामले से अवगत कराया।
विधायक संयम लोढा ने इस मामले में निर्दोष को रिहा करने व दोषी पुलिस अधिकारियों के खिलाफ कार्यवाही की बात की। इस पर पुलिस महानिदेशक ने इस मामले में उचित व न्यायपूर्ण कार्रवाई का भरोसा दिलाया।
विधायक लोढा ने बताया कि हत्या के प्रकरण में निर्दोष लखमाराम रेबारी की तरह ही गेमाराम गरासिया को मुलजिम बनाने, जेल भेजने संलिप्त पुलिसकर्मियों के विरूद्व कडी से कडी विभागीय कार्यवाही के आदेश करते हुए निर्दोष गेमाराम को जीवन यापन के लिए उचित मुआवजा राशि दिलाने की मांग की।
प्रकरण की हर पहलू से जांच जरूरी
हत्या प्रकरण की जांच होने के बाद इसकी चार्जशीट पेश होने के लिए पुलिस उप अधीक्षक के हस्ताक्षर होते हैं, जो सभी पहलुओं की जांच करके केस के न्यायालय में फेल नहीं होने की तस्दीक के साथ इसे पेश करते हैं।
क्राइम प्रकरणों की पुलिस अधीक्षक भी समीक्षा करते हैं। ऐसे में इन सभी की भूमिका की जांच जरूरी है।
उल्लेखनीय है कि बरलूट थाने के झाडोली वीर गांव में 25 मई को लाडू देवी नाम की 70 वर्षीय वृद्धा की हत्या हुई थी। उसके पुत्र आंध्र प्रदेश में नौकरी करते थे।
वृद्धा के साथ उसके नाबालिग पोते रहते थे। मृतका के पुत्र ने एफआईआर में बताया कि हत्या वाली रात को उसी गांव का लखमाराम देवासी अपने साथी के साथ उसके घर आया था। वो रात को उसके घर पर ही सोए थे और लखमाराम देवासी सहित अन्य लोगों ने घर में लूट कर बुजुर्ग महिला की हत्या कर दी थी।
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