किसानों के लिए कारगर पीएम प्रणाम योजना: आर्गेनिक खेती के लिए केंद्र की योजना कारगर, अब खेती में यूरिया और डीएपी जैसे रासायनिक उर्वरकों का कम किया जाएगा उपयोग

पीएम प्रणाम योजना से जहां आर्गेनिक खेती को बढ़ावा दिया जा रहा है, वहीं दूसरी ओर खेती में रासायनिक उर्वरक जैसे यूरिया, डीएपी का उपयोग भी कम होगा। आर्गेनिक फसल से जहां किसानों की आय बढेगी, वहीं दूसरी ओर आमजन के स्वास्थ्य में भी लाभ होगा।

आर्गेनिक खेती के लिए केंद्र की योजना कारगर, अब खेती में यूरिया और डीएपी जैसे रासायनिक उर्वरकों का कम किया जाएगा उपयोग

जयपुर, 03 दिसंबर 2024। राज्यसभा सांसद एवं भाजपा प्रदेश अध्यक्ष मदन राठौड़ ने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी देश के किसानों की आय बढ़ाने की दिशा में लगातार एक के बाद एक योजनाओं को शुरू कर रहे है। इसी कड़ी में ‘‘पीएम प्रणाम योजना‘‘ भी किसानों के लिए कारगर साबित तो रही है।

पीएम प्रणाम योजना से जहां आर्गेनिक खेती को बढ़ावा दिया जा रहा है, वहीं दूसरी ओर खेती में रासायनिक उर्वरक जैसे यूरिया, डीएपी का उपयोग भी कम होगा। आर्गेनिक फसल से जहां किसानों की आय बढेगी, वहीं दूसरी ओर आमजन के स्वास्थ्य में भी लाभ होगा।

राठौड़ ने बताया कि पीएम प्रणाम योजना को लेकर राज्यसभा में सवाल के जवाब में रसायन और उर्वरक तथा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री जगत प्रकाश नड्डा ने यह जानकारी दी है। 

राज्यसभा सांसद मदन राठौड़ ने बताया कि केंद्र सरकार ने आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति (सीसीईए) ने 28 जून, 2023 को “धरती के पुर्नरुद्धार, जागरूकता सृजन, पोषण और सुधार के लिए पीएम कार्यक्रम (पीएम-प्रणाम)” को स्वीकृति दी है।

पीएम प्रणाम योजना का मुख्य उद्देश्य वैकल्पिक उर्वरकों को बढ़ावा देना, आर्गेनिक खेती को बढ़ावा देना और संसाधन संरक्षण प्रौद्योगिकी को लागू करके धरती माता के स्वास्थ्य को बचाना है। देश के सभी राज्यों एवं संघ शासित प्रदेश में इस योजना को शुरू किया गया है। 

राज्यसभा सांसद मदन राठौड़ ने बताया कि भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद की ओर से जैव उर्वरक और जैव समृद्ध आर्गेनिक खादों का उपयोग को बढ़ावा देने के लिए सतत प्रयास किए जा रहे है।

राठौड़ ने बताया कि ‘‘पीएम प्रणाम योजना‘‘ के तहत रासायनिक उर्वरकों (यूरिया, डीएपी, एनपीके, एमओपी) की खपत में पिछले 3 वर्षों की औसत खपत की तुलना में कमी करके बचाई गई उर्वरक सब्सिडी का 50 प्रतिशत अनुदान के रूप में उस राज्य को दिया जाता है। इस अनुदान का उपयोग राज्य के लोगों के लाभ के लिए कर सकते हैं जिसमें किसान भी शामिल हैं।

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