India पढ़ाई अभियान 'पढ़े भारत' शुरू: Union Education Minister Dharmendra Pradhan ने 100 दिवसीय पठन अभियान पढ़े भारत का किया शुभारंभ, युवा मित्रों से पठन सामग्री साझा करने क आह्वान
शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने नई साल पर 100 दिवसीय पठन अभियान 'पढ़े भारत' का शुभारंभ किया। 100 दिवसीय पठन अभियान का शुभारंभ राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 के अनुरूप किया गया है।

नई दिल्ली, एजेंसी।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सरकार के शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने नई साल पर 100 दिवसीय पठन अभियान 'पढ़े भारत' का शुभारंभ किया।
100 दिवसीय पठन अभियान का शुभारंभ राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 के अनुरूप किया गया है।
इसके तहत स्थानीय/मातृभाषा/क्षेत्रीय/जनजातीय भाषा में बच्चों के लिए आयु के अनुसार पठन पुस्तकों की उपलब्धता सुनिश्चित करके बच्चों के लिए आनंदपूर्वक पठन संस्कृति को बढ़ावा देने पर जोर देता है।
अभियान की शुरुआत करते हुए मंत्री ने पढ़ाई के महत्त्व को रेखांकित किया कि बच्चों को निरंतर और आजीवन सीखते रहना चाहिए। इस तरह से उनका विकास करने की आवश्यकता है।
उन्होंने इस बात पर भी बल दिया कि पढ़ने की आदत, अगर कम उम्र में पैदा की जाती है, तो यह मस्तिष्क के विकास में मदद करती है और कल्पना शक्ति को बढ़ाती है। बच्चों के लिए अनुकूल सीखने का माहौल प्रदान करती है।
प्रधान ने कहा कि पढ़ना सीखने का आधार है, जो छात्रों को स्वतंत्र रूप से किताबें पढ़ने के लिए प्रेरित करता है। इससे रचनात्मकता, आलोचनात्मक सोच, शब्दावली और मौखिक व लिखित दोनों में अपने विचार व्यक्त करने की क्षमता विकसित करता है।
प्रधान ने कहा कि पढ़ना बच्चों को उनके परिवेश और वास्तविक जीवन की स्थिति से जोड़ने में मदद करता है। इस लिए हमें एक सहायक वातावरण बनाना चाहिए। इससे बच्चे अपने कौशल को एक ऐसी प्रक्रिया के माध्यम से विकसित करें।
उन्होंने 5 पुस्तकों के नाम साझा किए। इसके साथ सभी को किताबें पढ़ने की आदत अपनाने के लिए प्रोत्साहित किया। सभी से किताबों को साझा करने का आग्रह किया। जो वे पढ़ रहे हैं और उनसे अपने सुझाव देने के लिए भी कहा।
उन्होंने कहा कि पढ़े भारत अभियान में बालवाटिका से कक्षा 8 तक पढ़ने वाले बच्चों पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा।
पठन अभियान 1 जनवरी 2022 से 10 अप्रैल 2022 तक 100 दिनों (14 सप्ताह) के लिए आयोजित किया जा रहा है।
पठन अभियान का उद्देश्य बच्चों, शिक्षकों, माता-पिता, समाज, शैक्षणिक संस्थानों आदि सहित राष्ट्रीय और राज्य स्तर पर सभी हितधारकों की भागीदारी बढ़ाना है।
उन्होंने कहा कि प्रति समूह प्रति सप्ताह एक गतिविधि को पढ़ने को मनोरंजक बनाने और पढ़ने की खुशी के साथ आजीवन जुड़ाव बनाने पर ध्यान देने के साथ तैयार किया गया है।
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