सिरोही चिकित्सा विभाग घोटाले और पार्ट: 2: सिरोही के पिंडवाड़ा ब्लॉक मुख्य चिकित्सा अधिकारी पर रिश्वत का मामला कोर्ट में लंबित, बावजूद इसके सिरोही सीएमएचओ ने दी फील्ड पोस्टिंग बतौर बीसीएमओ!

पार्ट: 2 सिरोही सीएमएचओ ने सरकार के नियमों के खिलाफ जाकर रिश्वत का प्रकरण एसीबी कोर्ट में लंबित होने के बावजूद आरोपित व्यक्ति को दी फील्ड पोस्टिंग, दिया कार्य व्यवस्था का हवाला

सिरोही के पिंडवाड़ा ब्लॉक मुख्य चिकित्सा अधिकारी पर रिश्वत का मामला कोर्ट में लंबित, बावजूद इसके सिरोही सीएमएचओ ने दी फील्ड पोस्टिंग बतौर बीसीएमओ!

गणपत सिंह मांडोली

सिरोही।
सिरोही चिकित्सा विभाग के पिंडवाड़ा ब्लॉक के बीसीएमओ को पूर्व कलेक्टर द्वारा चार्जशीट देने और दो​षी पाए जाने का यह कोई पहला मामला नहीं है। पिंडवाड़ा ब्लॉक में हैंड सेनेटाइजर खरीद में दोषी पाए गए बीसीएमओ सरकार की नजर में भी रिश्वतखोर है। 
जी हां, भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो की ओर से पिंडवाड़ा के वर्तमान बीसीएमओ को रिश्वत लेते गिरफ्तार किया था। पिंडवाड़ा के वर्तमान बीसीएमओ एसीबी की कार्रवाई के चलते करीबन 3 साल तक निलंबित रह चुके है। ऐसे रिश्वतखोर व्यक्ति को सिरोही मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी द्वारा नियमों के खिलाफ जाकर बीसीएमओ बना दिया, जबकि राजस्थान सरकार के नियमों के मुताबिक रिश्वत के प्रकरण, कोर्ट मामला या वित्तीय ​अनियमितता का कोई मामला लंबित होने तक आरोपित को ​फील्ड पोस्टिंग नहीं दी जा सकती, जबकि सिरोही सीएमएचओ ने ऐसे व्यक्ति को नियम विरुद्ध पिंडवाड़ा बीसीएमओ लगाया, जिसका परिणाम यह हुआ कि यहां आने के बाद हजारों, लाखों के गबन हुआ। एक मामले में तो स्वयं सिरोही के पूर्व कलेक्टर तक ने इन्हें दोषी माना और एक वेतन वृद्धि रोकने के आदेश जारी किए।
सिरोही चिकित्सा विभाग की ओर से प्राप्त शिकायतों के आधार पर firstbharat.in की ओर से शुरू की गई पड़ताल में आज पार्ट 2 प्रकाशित किया जा रहा है। इस कड़ी में पिंडवाड़ा के वर्तमान ब्लॉक मुख्य चिकित्सा अधिकारी के द्वारा रिश्वत लेने तथा रिश्वत के जुर्म में गिरफ्तार होने के बाद निलंबित और उसके नियम विरुद्ध बीसीएमओ बनने की पड़ताल की गई। पेश है एक रिपोर्ट:— 

वर्तमान पिंडवाड़ा बीसीएमओ पर रिश्वत का आरोप
​पिंडवाड़ा के वर्तमान बीसीएमओ डॉ सत्य प्रकाश शर्मा वर्ष 2016 में खंड मुख्य चिकित्साधिकारी ब्लॉक भींडर जिला उदयपुर में कार्यरत थे। इस दौरान जनवरी 2016 में 20 हजार रुपए की रिश्वत लेते हुए गिरफ्तार हो गए। इनकी गिरफ्तार पर कार्मिक विभाग की ओर से आदेश जारी कर इन्हें निलंबित कर दिया गया। इनका निलं​बन कार्यकाल करीबन 3 साल तक रहा। 

पीएमओ सिरोही में पोस्टिंग के आदेश
राज्य सरकार ने डॉ सत्य प्रकाश शर्मा के निलंबन आदेश को बहाल कर दिया। इसके बाद डॉ सत्य प्रकाश शर्मा को राज्य सरकार की ओर से सिरोही जिले में पीएमओ कार्यालय में लगाने के आदेश जारी किए गए। सरकार ने सितंबर 2019 में चिकित्सकों की तबादला सूची में डॉ सत्य प्रकाश शर्मा को भी शामिल करते हुए पीएमओ सिरोही में पदस्थापन दिया गया। इसके बाद शुरू हुआ गोलमाल मामला। 

पीएमओ से कुछ दिनों में ही बनाया बीसीएमओ पिंडवाड़ा
राज्य सरकार की ओर से डॉ सत्य प्रकाश शर्मा को सिरोही के ​पीएमओ कार्यालय में पोस्टिंग के आदेश हो गए। इसके बाद पीएमओ कार्यालय में कार्य ग्रहण करने के महज कुछ दिनों बाद ही इन्हें सीएमएचओ सिरोही ने कार्य व्यवस्था के नाम पर बीसीएमओ पिंडवाड़ा लगा दिया। यहां आप को स्पष्ट कर दिया जाए कि पीएमओ कार्यालय में सीएमएचओ का हस्तक्षेप नहीं होता है। लेकिन रिश्वतखोर डॉ सत्य प्रकाश शर्मा को सीएमएचओ सिरोही ने कार्य व्यवस्था के नाम पर बीसीएमओ बना दिया। यहां आप को बता दें कि सीएमएचओ सिरोही ने इस संबंध में तत्कालीन कलेक्टर से आदेश पारित करवाए थे। लेकिन अगर कलेक्टर को डॉ सत्य प्रकाश शर्मा के प्रकरण की जानकारी दी जाती तो हो सकता है कि तत्कालीन कलेक्टर भी इन्हें पोस्टिंग नहीं देती।

सरकार के नियमों के अनुसार नहीं दी जा सकती ​फील्ड पोस्टिंग
राजस्थान सरकार के नियमों के मुताबिक अपराध में संलिप्त किसी भी सरकारी कर्मचारी को फील्ड पोस्टिंग नहीं दी जा सकती है। इसमें चिकित्सा विभाग की ओर से चिकित्सा एवं स्वास्थ्य सेवाओं के निदेशक ने सर्कुलर तक जारी कर रखा है। इसमें साफ तौर पर लिखा है कि बीसीएमओ के पद पर लगाने वाले चिकित्सक पर कोई भी विभागीय जांच, आरोप पत्र, वित्तीय अनियमितता एवं गबन का आरोप नहीं होना चाहिए। अगर आरोप या कोर्ट में प्रकरण लंबित है तो बीसीएमओ नहीं लगाया जाएगा।

कार्य व्यवस्था के नाम पर सरकारी आदेशों की अवेहलना
डॉ सत्य प्रकाश शर्मा पर रिश्वत लेने का प्रकरण एसीबी कोर्ट में लंबित होने के बावजूद इन्हें बीसीएमओ लगाया गया।  सीएमएचओ सिरोही डॉ राजेश कुमार ने पीएमओ सिरोही में ज्वाइंनिंग करने के साथ ही इनका तबादला कार्य व्यवस्था के नाम पर बीसीएमओ पिंडवाड़ा के पद पर कर दिया। यहां सीएमएचओ ने दो नियमों की अवेहलना की। पहला तो रिश्वत के आरोपित डॉक्टर को फील्ड पोस्टिंग दे दी। दूसरा पीएमओ में हस्तक्षेप करते हुए इनका तबादला कर दिया। 

अब तर्क भी तथ्यहीन...
जब इस मामले में सिरोही सीएमएचओ राजेश कुमार से डॉ सत्य प्रकाश शर्मा का तबादला निरस्त करने के संबंध में पूछा गया तो तर्क भी तथ्यहीन दिए गए। सीएमएचओ ने कहा कि कार्य व्यवस्था के नाम पर पिंडवाड़ा बीसीएमओ लगाया गया। यहां सवाल यह है कि क्या कार्य व्यवस्था के नाम पर 3 साल से निलंबित रहने वाले रिश्वत लेने के आरोपी को ही बीसीएमओ क्यों बनाया!
इसके बाद तर्क दिया गया कि डॉ के एस गिल के पास पिंडवाड़ा सीएचसी व बीसीएमओ के दोनों चार्ज थे। वे मीटिंग में नहीं आते थे। वे शुगर व बीपी के मरीज थे। उनकी उम्र अधिक हो गई थी। अब ऐसे में सवाल उठ रहा है कि जब 400 मरीजों के आउट डोर वाले अस्पताल में केवल 1 ही डॉक्टर हो तो वो बैठक में शामिल हो या अस्पताल में मरीज देखें! 
इन सब के अलावा यह भी सवाल उठ रहा है कि सिरोही जिले में रिश्वत के आरोपित डॉ सत्य प्रकाश के अलावा भी कई चिकित्सक होंगे जिन्हें सीएचसी पिंडवाडा या बीसीएमओ पिंडवाडा लगाया जा सकता था!
इसके बाद सीएमएचओ कह रहे है कि कोई दूसरा आएगा तो इन्हें हटा देंगे, तो क्या अगर कोई नहीं आएगा तो सरकार के नियमों के खिलाफ जाकर कार्य किया जाएगा!

कोई आएगा तो हटा देंगे बीसीएमओ​ पिंडवाड़ा 

डॉ. केएस गिल, सीएचसी व बीसीएमओ के पद का कार्यभार संभाल रहे थे। अधिक आयु व तबीयत खराब होने के चलते वे बैठक में नहीं आते है। इसके चलते कार्य व्यवस्था के लिए डॉ एसपी शर्मा को बीसीएमओ पिंडवाड़ा लगाया गया था। इन पर एसीबी का मामला लंबित है। इनकी जगह कोई आएगा तो उसको लगा देंगे। इस संबंध में कलेक्टर साबह से बातचीत की जाएगी।
डॉ राजेश कुमार, सीएमएचओ सिरोही।

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