दादी रतनमोहिनी स्प्रीचुअल हेड तय: अन्तर्राष्ट्रीय ब्रह्माकुमारीज संस्थान की स्प्रीचुअल हेड बनी दादी रतनमोहिनी
राजयोगिनी दादी रतनमोहिनी को ब्रह्माकुमारीज संस्थान का आध्यात्मिक प्रमुख बनाया गया है। ब्रह्माकुमारीज संस्थान की मैनेजमेंट कमेटी में यह निर्णय लिया गया। इससे पूर्व राजयोगिनी दादी रतनमोहनी के पास संस्थान की अतिरिक्त मुख्य प्रशासिका का दायित्व था।
सिरोही।
राजयोगिनी दादी रतनमोहिनी ( Ratan Mohini ) को ब्रह्माकुमारीज संस्थान का आध्यात्मिक प्रमुख बनाया गया है। ब्रह्माकुमारीज संस्थान की मैनेजमेंट कमेटी में यह निर्णय लिया गया। इससे पूर्व राजयोगिनी दादी रतनमोहनी के पास संस्थान की अतिरिक्त मुख्य प्रशासिका का दायित्व था। संस्था की प्रमुख राजयोगिनी दादी ह्दयमोहिनी के देहावसान के बाद उनके इस नए पद की मैनेजमेंट कमेटी ने घोषणा की। ब्रह्माकुमारीज संस्थान की मैनेजमेंट कमेटी के सदस्य तथा सूचना निदेशक बीके करूणा ने बताया कि दादी रतनमोहिनी को अन्तरराष्ट्रीय स्प्रीचुअल आर्गेनाईजेशन का स्प्रीचुअल हेड बनाया गया है। इसके साथ ही राजयेागिनी ईशू दादी को एडिशनल स्प्रीचुअल चीफ की भूमिका निभाएगी। वहीं बीके डॉ निर्मला ज्ञान सरोवर एकेडेमी में ज्वाइंट स्प्रीचुअल चीफ का प्रभार देखेंगी।
दादी रतनमोहिनी 11 साल से ही संस्थान में दे रही है सेवाएं
राजयोगिनी दादी रतनमोहिनी का जन्म 25 मार्च, 1925 को हैदराबाद सिंध में हुआ। वे 11 वर्ष की उम्र में ब्रह्माकुमारीज संस्थान के साकार संस्थापक प्रजापिता ब्रह्मा बाबा के सम्पर्क में आई। इसके बाद उन्होंने कभी पीछे मुडक़र नहीं देखा। 96 वर्ष की उम्र में भी राजयेागिनी दादी आज पूरी तरह से एक्टिव है। उनकी दिनचर्या प्रात: 3.30 बजे से ब्रह्ममुहुर्त से शुरू होती है और रात्रि दस बजे तक उनकी ईश्वरीय सेवाओं की गतिविधियां चलती रहती है। इस जिम्मेदारी के अलावा राजयोगिनी दादी रतनमोहिनी जी संस्थान में आने वाली बहनों के प्रशिक्षण और उनके नियुक्ति का भी कार्यभार देखती है। ब्रह्माकुमारीज संस्थान में समर्पित होने से पहले दादी के सान्निध्य में युवा बहनों का प्रशिक्षण चलता है। इसके बाद ही वे ब्रह्माकुमारी कहलाती है। इसके साथ युवा प्रभाग की राष्ट्रीय अध्यक्ष भी है। दादी को खास युवाओं में मानवीय मूल्यों का संचार करने और उन्हें श्रेष्ठ जीवन जीने के लिए प्रेरित करती रहती है। दादी रतनमोहिनी जी ने अपने 96 वर्ष की उम्र में से 85 वर्ष पूरी तरह से अध्यात्म, राजयेाग, ध्यान और मानव मात्र की सेवा में दिया है। उनके सान्निध्य से आज 46 हजार बहनों ने इस संस्थान में समर्पित होने का गौरव प्राप्त किया है। दादी रतनमोहिनी जी संस्थान के स्थापना काल की सदस्यों में से एक है। दादी के निर्देशन में कई विशाल पदयात्राओं, रैलियों के जरिये करोड़ो लोगों में भारतीय संस्कृति और मूल्यों को प्रेरित करने प्रमुख भूमिका रही है। इसके साथ ही वे देश विदेश में भी ईश्वरीय सेवायें करती रही है।
पढें अध्यात्म खबरें, ताजा हिंदी समाचार (Latest Hindi News) के लिए डाउनलोड करें First Bharat App.