कब लगेगी लगाम??: माउंट आबू क्षेत्र में अवैध निर्माणों पर नही लग पा रहा अंकुश, ओरिया स्थित मैक्स म्यूजियम के सामने बन गए दो कॉटेज, अभी भी नए निर्माण के लिए तोड़ी जा रही चट्टाने, पर प्रशासन बेखबर

माउंट आबू से गुरुशिखर जाने वाले मुख्य सड़क मार्ग पर ओरिया टोल नाके से कुछ ही कदम आगे मैक्स म्यूजियम के सामने दो नए कॉटेज बन गए। मज़े की बात तो ये हैं कि इन कॉटेज के पीछे और कॉटेज बनाने के लिए चट्टाने तोड़ने का काम आज भी जारी हैं।

माउंट आबू क्षेत्र में अवैध निर्माणों पर नही लग पा रहा अंकुश, ओरिया स्थित मैक्स म्यूजियम के सामने बन गए दो कॉटेज, अभी भी नए निर्माण के लिए तोड़ी जा रही चट्टाने, पर प्रशासन बेखबर
  • गणपतसिंह मांडोली/विक्रमसिंह करणोत


सिरोही। ऐसा लगता हैं माउंट आबू प्रशासन ने रसूखदारों के अवैध निर्माणों पर पूरी तरह से आंखें मूंद ही ली हैं। वरना मुख्य सड़क के किनारे कॉटेज बन भी जाए और प्रशासन को कानों कान खबर तक नही लगे ये कैसे हो सकता हैं? पर आबू में चल रहे अवैध निर्माणों को देखकर तो यही लगता हैं कि इसके पीछे जिम्मेदारों की मिलीभगत जरूर हैं। आज हम आपको एक ऐसे अवैध निर्माण को लेकर खुलासा करने जा रहे हैं जिसे देखकर और सुनकर आप भी कहेंगे कि ये तो वाकई प्रशासन की मिली भगत के बिना संभव ही नही हैं।

◆ ओरिया टोल नाके से कुछ कदम की दूरी पर मैक्स म्यूजियम के सामने चल रहा अवैध निर्माण

माउंट आबू से गुरुशिखर जाने वाले मुख्य सड़क मार्ग पर ओरिया टोल नाके से कुछ ही कदम आगे मैक्स म्यूजियम के सामने दो नए कॉटेज बन गए। मज़े की बात तो ये हैं कि इन कॉटेज के पीछे और कॉटेज बनाने के लिए चट्टाने तोड़ने का काम आज भी जारी हैं। चट्टाने तोड़ने के लिए इस रसूखदार ने नया तरीका आजमाया हुआ हैं। बड़ी बड़ी चट्टानों के नीचे लकड़ियां जलाकर आग लगाई जाती हैं, चट्टाने गर्म होकर चिटकने लगती हैं और गर्म होकर टूटी चट्टानों के पत्थरो को कॉटेज बनाने के लिए काम में लिया जा रहा हैं। हमारी टीम ने मौके पर जाकर इस अवैध कार्य का पूरा स्टिंग ऑपरेशन किया हैं। जिसके विडिओ हमारे पास सुरक्षित हैं। 

पर्यटकों को कॉटेज दिए जाते हैं किराए पर, एक रात रूकने का किराया प्रति कॉटेज 20 हज़ार

पर्यटकों के रुकने के लिए कॉटेज माउंट आबू में इन दिनों पर्यटकों की पहली पसंद बन हुए हैं। पर्यटक अपने दोस्तों के साथ ग्रुप में माउंट आबू घूमने आते हैं। चार से पांच दोस्तो का एक समूह होटल में रुककर वो आज़ादी हासिल नही कर पाता जो आज़ादी इन अवैध संचालित कॉटेज में उपलब्ध हो जाती हैं। यहां एक रात रूकने का किराया 20 हज़ार तक लिया जाता हैं, पर इन कॉटेज में पर्यटकों को शराब पीने, नाच गाना करने, डीजे बजाने की पूरी छूट मिल जाती हैं। और तो और सबसे बड़ी बात ये कि इन कॉटेज में रुकने वाले पर्यटकों को किसी प्रकार का कोई आईडी प्रूफ भी नही देना पड़ता। इन कॉटेज में कौन रुक रहा हैं? क्यों रुक रहा हैं? कहाँ से आया हैं? कोई जानकारी देने की आवश्यकता ही नही हैं। और ऊपर से ऐश मौज करने की पूरी छूट मिल जाना पर्यटकों के लिए किसी सपने से कम नही होता। हां इन कॉटेज के आसपास रहने वाले स्थानीय लोगों के रात की नींद जरूर हराम होती हैं। आसपास रहने वाले लोगों के व्यक्तिगत जीवन में खलल जरूर पैदा होती हैं, पर इससे जिम्मेदार प्रशासनिक अधिकारियों के साथ साथ पुलिस अधिकारियों को कोई फर्क नही पड़ता। स्थानीय लोग इसकी शिकायत भी करते हैं पर उनकी शिकायतों को सुनने वालों ने तो अपना जमीर बेचकर इन अवैध गतिविधियों को संचालन करने की एक तरह से छूट जो दे रखी हैं।

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