मनोज शर्मा
सिरोही/शिवगंज। राजनीति में शब्दों की मर्यादा का बड़ा ही महत्व होता है। लेकिन कई बार देखने में आता है कि कई जनप्रतिनिधि अपने बयानों में शब्दों की मर्यादा को ही भूल बैठते है। जिसे सटीक शब्दों में उनकी बौखलाहट ही कहा जा सकता है। राजनीति में आरोप-प्रत्यारोप लगाना तो आम बात है। पक्ष और विपक्ष के बीच बयानबाजी होती रहती है। यह लोकतंत्र का परिचायक भी है। मगर कल जो कुछ भी हुआ उसे किसी भी हाल में स्वच्छ राजनीति का परिचायक नहीं कहा जा सकता। एक सांसद की ओर से अपने ही निर्वाचन क्षेत्र के एक विधानसभा क्षेत्र से बिना किसी दल के अपने दम पर जीत हासिल करने वाले निर्वाचित विधायक को चवन्ना और ना जाने किन किन शब्दों से सुशोभित करना कम से कम भाजपा की तो परंपरा नहीं है। कल जालोर जिले में पत्रकारों से बातचीत करते हुए सांसद देवजी पटेल ने सिरोही विधायक संयम लोढ़ा के लिए जिन शब्दों का उपयोग किया है मेरे हिसाब से शायद ही कोई उसका समर्थन करेगा।
सांसद देवजी पटेल जो एक सुलझे हुए राजनेता कहे जाते है और राजनीतिक रूप से भी काफी परिपक्व है उनकी ओर से इस प्रकार की बयानबाजी वाकई समझ से परे है। मुख्यमंत्री के सलाहकार विधायक संयम लोढा की ओर से लंपी वायरस को लेकर सांसद की ओर से अनुशंसित की गई २५ लाख रूपए की राशि को लेकर विधायक लोढ़ा ने जो ट्विट किया था वह उनका अधिकार था। उसमें उन्होंने किसी प्रकार से सांसद के लिए अमर्यादित भाषा का प्रयोग नहीं किया। उनका ट्विट करना भी लाजमी था,कि जब लंपी वायरस के लिए भारत सरकार ने सांसद मद से राशि स्वीकृत करने के लिए किसी प्रकार के निर्देश जारी नहीं किए गए है तो फिर राशि किस प्रकार से स्वीकृत होगी। इस बयान को जारी करने के पीछे उनका आशय संभवत: यह था कि सांसद पहले प्रधानमंत्री से गोवंश में फैली इस महामारी से गोवंश को बचाने को लेकर बात करे और सांसद मद से राशि स्वीकृत करने की अनुमति प्रदान करने का आग्रह करें। उसके बाद राशि की अनुशंसा करे। यह ठीक भी है। अन्यथा लोग तो इसे थोथी घोषणा ही समझेंगे। विधानसभा में भी विधायक ने इस बात को पूरजोर शब्दों में उठाया जो उनका अधिकार था। यह सही भी है कि राजस्थान से जनता ने केन्द्र में भाजपा के २५ सांसद चुनकर भेजे है। ऐसे में उनका फर्ज बनता है कि वे प्रधानमंत्री से गोवंश में फैली इस बीमारी को लेकर बात करें और गोवंश को बचाने के लिए मदद मांगे। इसके कुछ गलत भी नहीं है। इसके बाद सांसद ने जो कुछ किया उसे किस प्रकार से उचित ठहराया जा सकता है।
कोरोना के समय कहां थे दूसरे जनप्रतिनिधि
वह समय हम सभी को याद ही होगा जब कोरोना जैसी महामारी ने पूरे देश को अपनी चपेट में ले रखा था। लोग इतने भयभीत थे कि कोरोना के डर से बाहर आना भी नहीं चाहते थे। कोरोना ने ना जाने कितने ही परिवारों को लील लिया। ऐसे समय में जब लोगों के पास कोई सहारा नहीं था उस समय यही विधायक जिसे सांसद चवन्ना कहते है वह अपनी जान की परवाह किए बिना दिन रात इसलिए भाग रहा था कि कैसे भी करके लोगों की जान बचाई जा सके। उस समय जब कोई जनप्रतिनिधि अपने घर से बाहर नहीं निकलने से भी कांप रहे थे उस कालखंड को सिरोही विधानसभा क्षेत्र की जनता कभी नहीं भूल सकती कि उनका विधायक आज विपरित हालात में उनके साथ खड़ा है। लॉकडाउन के हालात में ग्रामीण क्षेत्र में लोगों के लिए रोजगार का संकट खड़ा हो गया था। दिसावर में काम करने वाले लोगों की नौकरी जा चुकी थी और वे घर लौट आए थे। लोगों के घरों में फक्कासी की नौबत आ गई थी, उस समय इसी विधायक ने मुख्यमंत्री से आग्रह कर राज्य में सबसे पहले सिरोही विधानसभा क्षेत्र में नरेगा के कार्य आरंभ करवाए ताकि लोगों को काम के बदले दाम मिल सके और वे अपने परिवार को चला सके। उस समय जब क्षेत्र की जनता पर संकट था उस समय सांसद कहां थे यह जवाब भी उन्हें क्षेत्र की जनता को देना चाहिए।
इतने काम कोई चवन्नी छाप नेता नहीं करवा सकता
वह विधायक जिसने विधानसभा चुनाव के दौरान निर्दलीय चुनाव लड़ते हुए विधानसभा क्षेत्र की जनता से यह वादा किया था कि क्षेत्र की जनता का उन्हें आशीर्वाद दिया तो वह दिन रात क्षेत्र की जनता की सेवा करता रहेगा। उनके इस वादे को जनता ने भी अपने सिर माथे पर रखा और अपने विधायक के रूप में संयम लोढ़ा का निर्वाचित करवाया। उसके बाद से आज तक प्रदेश का शायद ही कोई जनप्रतिनिधि होगा जो क्षेत्र की जनता के लिए निरंतर संघर्ष करता रहा हो। विधायक के रूप में पिछले साढे तीन साल के कार्यकाल के दौरान इसी विधायक ने विधानसभा क्षेत्र में प्रदेश की सरकार से विकास के इतने काम स्वीकृत करवाए है जो शायद किसी ओर जनप्रतिनिधि ने अपने क्षेत्र में नहीं करवाए। यह विधायक लोढ़ा की कोरी तारिफ नहीं है, कोई चाहे तो यह फैक्ट कोई भी चेक करवा सकता है। शिवगंज क्षेत्र के ७१ गांवों के लिए जवाई पेयजल योजना हो या फिर सिरोही के लिए बत्तीसा नाला परियोजना, नर्सिग कॉलेज हो या खेल स्टेडियम, या फिर सडक़ ऐसे कई विकास के काम है जिन्हें क्रमबद्ध करने बैठेंगे तो फेहरिस्त काफी लंबी हो जाएगी। विधायक लोढा ने जो काम सिरोही की जनता के लिए करवाए है वह कोई चवन्नी छाप व तथाकथित नेता नहीं करवा सकता।
क्या जालोर से सिरोही रेल ले आए सांसद
जालोर जिले के निवासी देवजी एम पटेल जब से सांसद बने है तब से लेकर अब तक इन आठ सालों में उन्होंने सिरोही की तरफ नजरें इनायत की ही नहीं है। अपने आठ साल के कार्यकाल के दौरान सांसद के पास ऐसा कोई एक बड़ा काम नहीं है जो वे बता पाए कि उन्होंने सिरोही के लिए किया है। यहां तक कि इस क्षेत्र में उनके दौरे भी यदाकदा ही होते है। सिरोही की जनता की अपने सांसद से सबसे बड़ी मांग यह थी कि वे रेल मंत्रालय से सिरोही मुख्यालय को रेल सुविधा से जोड़े, सिरोही में हवाई पट्टी की जगह एयरपोर्ट बनवाएं। वे मुख्य कार्य अपने कार्यकाल के दौरान नहीं कर पाए। यह तो मोदी लहर का कमाल था कि विगत लोकसभा चुनाव में उनकी वैतरणी पार हो गई। जहां तक मेडीकल कॉलेज की बात है यह सही है कि इसके निर्माण में आधे से अधिक राशि केन्द्र सरकार ने खर्च की है और एक चौथाई राशि राज्य सरकार ने। लेकिन सिरोही में मेडीकल कॉलेज स्वीकृत करने में केन्द्र नहीं बल्कि राज्य सरकार की भूमिका है। इसके लिए विधायक ने जो प्रयास किए और मुख्यमंत्री से आग्रह कर सिरोही में मेडीकल कॉलेज स्वीकृत करवाया वह जगजाहिर है। रही श्रेय लेने की बात तो पिछले एक साल से कॉलेज का निर्माण हो रहा है। इस दरम्यान विधायक लोढ़ा ने अपने लगभग प्रत्येक कार्यक्रम में मेडीकल कॉलेज सिरोही लाने का जिक्र कर जनता का ध्यान इस तरफ खींचा है। इसके विपरित भाजपा के नेता इसमें पूरी तरह से विफल ही साबित हुए है। इसकी प्रमुख वजह जिले में भाजपा का धड़ों में बंटा हुआ होना बताया जा रहा है। जब भाजपा अपना कुनबा ही नहीं संभाल पा रही है तो फिर ये सब कहां याद रहता है। बहरहाल, जनता की ओर से निर्वाचित किए गए विधायक को चवन्ना एवं तथाकथित जैसे शब्दों से सुशोभित कर सांसद महोदय ने अपनी ही गरिमा घटाई है। जिसकी हर तरफ निंदा हो रही है।
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