समाज सेवा में प्रकाश प्रजापति का सम्मान: समाजसेवी प्रकाश प्रजापाति विजेता-चेंजमेकर ह्यूमैनिटी अवार्ड से जयपुर में सम्मानित
चेंजमेकर ह्यूमैनिटी अवार्ड सम्मान समारोह में सिरोही जिले के समाजसेवी प्रकाश प्रजापाति को भी सम्मानित किया गया। समारोह में निर्णायकों द्वारा चयनित राजस्थान के 16 केटेगरी के 29 लोगों को सम्मानित किया गया।
जयपुर।
भारत सोका गकाई (बी एस जी) एवं जयपुर नेशनल यूनिवर्सिटी (जे एन यू) की ओर से जेएनयू जयपुर के सभागार में प्रदेश के शिक्षा, चिकित्सा एवं समाजसेवा के क्षेत्र में कार्यरत गुमनाम नायकों को सम्मानित किया गया।
इस अनूठी पहल के तहत आयोजित चेंजमेकर ह्यूमैनिटी अवार्ड सम्मान समारोह में सिरोही जिले के समाजसेवी प्रकाश प्रजापाति को भी सम्मानित किया गया।
समारोह में समाजसेवी प्रजापाति को मुख्य अतिथि राजस्थान सरकार के जल संसाधन मंत्री महेश जोशी एवं खेल एवं युवा मामलात मंत्री अशोक चांदना, अतिथि पद्मश्री प्रमिला प्रहलाद, जेएनयू चांचलर संदीप बक्शी , एक्जयुकिटिव डायरेक्टर डॉ. प्रीति बक्शी, बीएसजी चेयरमैन विशेष गुप्ता ने मैडल, प्रमाण पत्र एवं स्मृति चिन्ह देकर समानित किया।
समारोह में निर्णायकों द्वारा चयनित राजस्थान के 16 केटेगरी के 29 लोगों को सम्मानित किया गया।
इसमें समाज सेवा श्रेणी में चयनित प्रजापाति सहित सिर्फ दो लोगों को ही सम्मनित किया गया।
इससे पूर्व प्रजापति को लायंस क्लब के प्रान्तीय अधिवेशन में प्रान्तीय सेवा रत्न, सम्भागीय अधिवेशनों में छः बार संभाग रत्न , सर्वश्रेष्ठ अध्यक्ष, समेत इनके सेवा कार्यों हेतु जिला कलेक्टर सिरोही द्वारा 4 बार जिला स्तरीय स्वतंत्रता /गणतंत्र दिवस समारोह में सम्मानित किया जा चुका है। वहीं जयपुर में राज्यस्तरीय स्वतंत्रता दिवस समारोह में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत द्वारा सम्मानित एवं कई बार अन्य पुरुस्कारों से भी सम्मानित किया जा चुका है।
23 वर्षों से समाजसेवा
पिछले 23 वर्षों से रक्तदान, देहदान, सहित पीडितार्थ समाजसेवा से जुड़े लाशों के मसीहा, लावारिश लाशों के वारिश समाजसेवी प्रकाश प्रजापाति ने सिरोही जिला मुख्यालय सहित 35 से 40 किलोमीटर के दायरे में आस पास के गांवों में जहाँ अभी तक 9 वर्षों कुल सवा 9 सौ के करीब ( 918 )शवों को अंतिम संस्कार करवाया।
वहीं कोरोना संक्रमण काल में प्रकाश प्रजापति ने शवों को भी बेख़ौफ़ अपने जान की परवाह किए बगैर अंतिम संस्कार करवाया।
प्रकाश प्रजापति द्वारा सवा तीन सौ के करीब शवों को अंतिम संस्कार करने में सहयोग किया।
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