सिरोही सिंदरथ खेतलाजी धार्मिक कार्यक्रम: जाकी रही भावना जैसी, प्रभू मूरत देखी तिन तैसी..

सोशल मीडिया पर सिंदरथ खेतलाजी मंदिर पर आयोजित एक धार्मिक कार्यक्रम का वीडियो खूब वायरल हो रहा है। यह वीडियो एक भजन संध्या कार्यक्रम का है।

जाकी रही भावना जैसी, प्रभू मूरत देखी तिन तैसी..

 _पन्द्रहवीं शताब्दी के कवि गोस्वामी तुलसीदास की ओर से रचित महाकाव्य श्री रामचरितमानस की एक चौपाई है- जाकी रही भावना जैसी, प्रभू मूरत देखी तिन तैसी.. जिसका भावार्थ है कि- जिनकी निंदा या आलोचना करने की आदत हो गई है, हर बात पर दोष ढूंढने की आदत पड़ गई है, वे हजारों गुण होने पर भी दोष ढूंढ ही लेते है।_ 

सिरोही। (मनोज शर्मा)

रामचरितमानस की इस चौपाई के साथ अपनी बात को आगे बढ़ाने की जरुरत आज इसलिए पड़ गई कि सोशल मीडिया पर सिंदरथ खेतलाजी मंदिर पर आयोजित एक धार्मिक कार्यक्रम का वीडियो खूब वायरल हो रहा है। यह वीडियो एक भजन संध्या कार्यक्रम का है, जिसमें देश की नामी भजन कलाकार अपनी प्रस्तुतियां देने के लिए आई हुई है। वैसे यह कार्यक्रम विशुद्ध रूप से धार्मिक था, मगर कार्यक्रम के दौरान कुछ युवकों ने भजन संध्या में व्यवधान पैदा करने के लिए राजनीतिक नारेबाजी शुरू कर दी। आखिरकार गीता रेबारी जैसी ख्यातनाम कलाकार को अपना शो खत्म करना पड़ा और श्रद्धालुओं को मायूस होना पड़ा। जैसा कि मीडिया में बताया जा रहा है कि इस राजनीतिक नारेबाजी से विधायक खफा हो गए और उन्होंने नारेबाजी करने वाले युवकों को जमकर लताडा। इस वीडियो के वायरल होने के बाद पूरे दिन बयानबाजी का दौर चलता रहा। विधायक के विरोधियों तथा कुछ मीडिया बंधुओं ने इसे पूरी तरह से भूनाने की जी तोड कोशिश की, ताकि उनको विधायक लोढ़ा को घेरने और राजनीतिक लाभ उठाने का मौका मिल सके।  

कहते है कि एक सिक्के के दो पहलू होते है। एक पहलू सोशल मीडिया पर जो कुछ भी प्रचारित हो रहा है वह है, तो दूसरा एक पहलू ओर भी है जिसे भी उजागर करना जरुरी है। वह यह कि सिंदरथ खेतलाजी पर यह कोई राजनीतिक कार्यक्रम नहीं था कि मोदी मोदी के नारे लगाना आवश्यक हो गया था। हां यह कोई राजनीतिक कार्यक्रम होता तो मोदी मोदी के नारे लगाना जायज भी कहा जा सकता था। इस धार्मिक कार्यक्रम में विधायक ने बतौर एक जनप्रतिनिधि के रूप में शिरकत की थी और सभी नेता करते भी है। मगर गीता रेबारी के इस शो में व्यवधान उत्पन करने के लिए यह सब किया गया। इन सब के बीच एक बात ओर हुई कि जैसे ही मोदी मोदी के नारे लगने शुरू हुए, मंच से विधायक ने सियावर रामचंद्र की जय के जैकारे लगवाने शुरू कर दिए, जिस पर शायद कटाक्ष करने वालों का ध्यान ही नहीं गया। सवाल यह उठता है कि एक धार्मिक कार्यक्रम में विधायक जब सियावर रामचंद्र की जय के जैकारे लगवा रहे है तो फिर एक तरफ की बात को ही बढ़ा चढा कर क्यों वायरल किया गया। क्या भगवान राम से बड़े मोदी है। शायद इसे कोई स्वीकार भी नहीं करेगा, क्योंकि भगवान राम हजारों करोड़ों लोगों के आराध्य है। लेकिन राजनीतिक फायदा उठाने के लिए इसे इस तरह से प्रचारित किया गया कि विधायक मोदी के नारों से चिढ गए थे।

ट्विटर पर एक प्रचार ओर किया जा रहा है, वह यह कि विधायक ने सिरोही की जनता को डफोल कहा। जबकि ऐसा नहीं है यह समझ का फेर है। डफोल शब्द का उपयोग उन्होंने उन युवकों के लिए किया जो एक धार्मिक कार्यक्रम में राजनीतिक नारेबाजी कर रहे थे। ओर हां डफोल शब्द कोई गाली नहीं है। यह हमारे यहां की आम बोलचाल की भाषा का एक शब्द है जिसका अर्थ है पागलो। इस पागलों शब्द का प्रयोग तो देश के ख्यातनाम कथावाचक एवं सिद्धपुरूष बागेश्वरधाम वाले बाबा धीरेन्द्र शास्त्री महाराज भी हमेशा अपनी कथा के दौरान करते है। उसे बड़े ही सहर्ष रूप से स्वीकार किया जाता है। फिर अपने यहां की आम बोलचाल की भाषा के शब्द डफोल का इतना हव्वा क्यों बनाया जा रहा है। विधायक ने जो कहा वह उनकी खींज नहीं कहीं जा सकती। बल्कि उनका यह भी आशय भी निकाला जा सकता है कि वे चाहते हो कि धार्मिक कार्यक्रमों में राजनीतिक नारेबाजी उचित नहीं है।

विधायक की इस बात को भी गलत तरीके से प्रचारित जा रहा है कि सिरोही का मोदी तो मैं हूं। देखा जाए तो विधायक ने प्रधानमंत्री मोदी को एक तरह से विकास पुरूष ही बताया है, विधायक की इस बात का मतलब तो यह भी निकाला जा सकता है कि जिस तरह से वे विकास पुरूष के रूप में सिरोही के विकास के काम करवा रहे है, उसी तरह से मोदी देश में काम करवा रहे है। इस हिसाब से तो उन्होंने मोदी की एक तरह से तारिफ ही की है। विधायक के विरोधी इस बात को जरुर नकार सकते है कि विधायक ने विकास के काम नहीं करवाए। लेकिन हकीकत को वे भी नही झुठला सकते। यह सही है कि पिछले चार सालों में सिरोही विधायक संयम लोढ़ा निर्दलीय विधायक होने के बावजूद सिरोही के अगले २५ साल के भविष्य को देखते हुए विकास के काम करवा रहे है। इन चार सालों में करीब ३ हजार करोड़ के विकास के काम करवाना वो भी एक निर्दलीय विधायक के रूप में सिरोही के लिए यह कोई छोटी बात नहीं है। अब कोई यह भी कह सकता है कि यह कोरी बकवास है, तो वे आरटीआई लगाकर विधायक के प्रयासों से जो कार्य हुए है या हो रहे है, उसकी सूची सार्वजनिक कर सकते है। इस लिहाज से उनका यह कहना कि सिरोही के मोदी तो वे है कोई गलत नहीं है।

भैया सिक्के के दोनों पहलूओं पर नजर डालने से ही पता चलता है कि सिक्का खोटा है या खरा.. अपनी बात के अंत में यहीं कहना चाहूंगा कि भैया यह राजनीति है ऊंट कब किस करवट बैठ जाए पता नहीं चलता है.. इतिहास गवाह है।

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