सिरोही। प्रदेश में राजनीतिक नियुक्तियों का त्योहार इसी माह मनाया जाना तय हो चुका है। सभी नियुक्तियों को अंतिम रूप दे दिया गया है। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने अपने सभी मंत्रियों और विधायकों की सिफारिशों पर सहानुभूति पूर्वक विचार करने के बाद तैयार सूची फाइनल करवा ली है। हाईकमान से अप्रूवल हो गया है। सचिन पायलट के कई समर्थक जिनकी आस्था गहलोत के प्रति भी सकारात्मक है, उन्हें सूची में शामिल कर लिया गया है। बरसों से टाली जा रही नियुक्तियां आखिरकार देर से सही मगर तैयार हो गई हैं। इसमें माउंट आबू का भविष्य भी तय कर लिया गया है। गहलोत इसी माह इनकी घोषणाओं का मानस बना चुके हैं। जिन नियुक्तियों के लिए चाहने वालों के नाम फाइनल किए गए हैं, दो दर्जन लोग ऐसे सौभाग्यशाली हैं जिन्हें भारी मारकाट के बाद विभिन्न अकादमियों का चेयरमैन बनाया जा रहा है। यूआईटी के चेयरमैन और सदस्यों के नाम भी पूरी तरह फाइनल हो गए हैं। प्रदेश प्रभारी अजय माकन, प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा और स्वयं मुख्यमंत्री ने सूची पर अपने हस्ताक्षरों की मोहर लगा दी है।
बसपा से कांग्रेस में आकर लंबे समय से फड़फड़ा रहे संदीप यादव और वाज़िब अली को इसी सूची में जगह दी गई थी लेकिन उनके नाम किसी अन्य दबाव के कारण पहले घोषित कर दिए गए वरना उनकी घोषणा भी इसी लिस्ट के मुताबिक फाइनल हुई थी। सरकार ने राज्य के 14 जिलों में चेयरमैन बनाए हैं। इसके अलावा अकादमी के अध्यक्ष भी फाइनल हो गए हैं। जिन 14 ज़िलों की यूआईटी के चेयरमैन फाइनल हुए हैं उनमें माउंट आबू, अलवर, भरतपुर, भीलवाड़ा, बीकानेर ,बाड़मेर, चित्तौड़गढ़, जैसलमेर, कोटा, पाली, सीकर, श्रीगंगानगर, सवाई माधोपुर और उदयपुर शामिल हैं। अजमेर यूआईटी को लेकर अभी भी पेंच फंसा हुआ है।यहां डॉ रघु शर्मा और सचिन पायलट की लड़ाई में धर्मेंद्र सिंह राठौड़ भी टांग अड़ा रहे हैं।
सूची के मुताबिक राजस्थान ललित कला अकादमी, राजस्थान हिंदी ग्रंथ अकादमी, राजस्थान ब्रज भाषा अकादमी, राजस्थान उर्दू अकादमी, राजस्थान सिंधी अकादमी, राजस्थानी पंजाबी अकादमी, राजस्थान संगीत नाटक अकादमी, राजस्थानी भाषा साहित्य संस्कृति अकादमी और राजस्थान साहित्य अकादमी के लिए नेताओं के नाम फाइनल हो गए हैं। इनमें कांग्रेसी विचारधारा से रिश्ता रखने वाले लोगों के नाम हैं। सीधा कोई राजनेता शामिल नहीं है।
इन सूचियों के अलावा मुख्यमंत्री ने राजनीतिक नियुक्तियों के साथ पार्टी में खाली पड़े जिला अध्यक्षों तथा ब्लॉक अध्यक्षों के नाम भी फाइनल कर लिए हैं। दो साल से यह पद खाली पड़े हुए थे। इन नियुक्तियों की ख़बर जिलों में फैलने के बाद तूफान आने के पहले की खामोशी सभी जिलों में पसर गई है। नियुक्तियों की उम्मीदों में उछल कूद मचा रहे सभी नेताओं ने चुप्पी धारण कर ली है। अपने अपने आकाओं के भरोसे मारकाट मचाने वाले तीरंदाज़ अपनी लॉटरी खुलने का इंतज़ार कर रहे हैं।
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