राजस्थान हाईकोर्ट जोधपुर के आदेश: चेक अनादरण के एक मामल में हाईकोर्ट ने निचली अदालतों के आदेश को माना अनुचित, हरिपाल सिंह को दी क्लीनचिट
राजस्थान हाईकोर्ट जोधपुर की मुख्यपीठ ने चेक अनादरण के एक मामले में अधीनस्थ अदालत द्वारा लिए गए संज्ञान के आदेश को अनुचित करार दिया। कोर्ट ने आदेश को अनुचित मानते हुए अपास्त कर याचिकाकर्ता को राहत प्रदान की है।
जोधपुर।
राजस्थान हाईकोर्ट जोधपुर की मुख्यपीठ ने चेक अनादरण के एक मामले में अधीनस्थ अदालत द्वारा लिए गए संज्ञान के आदेश को अनुचित करार दिया।
कोर्ट ने आदेश को अनुचित मानते हुए अपास्त कर याचिकाकर्ता को राहत प्रदान की है।
वरिष्ठ न्यायाधीश संदीप मेहता की अदालत में याचिकाकर्ता हरिपालसिंह की ओर से एक विविध आपराधिक याचिका पेश करते हुए वरिष्ठ अधिवक्ता धीरेन्द्रसिंह दासपा व उनकी सहयोगी अधिवक्ता प्रियंका बोराणा ने पक्ष रखा था।
इस याचिका में निचली अदालत के आदेश व रिवीजन अदालत के आदेश को चुनौती दी थी।
याचिकाकर्ता की ओर से बताया गया कि चेक अनादरण का मामला होने के बावजूद अधीनस्थ अदालत सुमेरपुर पाली की ओर से धारा 406 और 420 आईपीसी के तहत 10 अप्रेल 2017 को संज्ञान लिया।
इसके खिलाफ अतिरिक्त सेंशन न्यायाधीश सुमेरपुर के समक्ष रिवीजन याचिका पेश की गई थी।
इसे 13 अगस्त 2021 को खारिज कर दिया गया था। इसके खिलाफ हरिपाल सिंह द्वारा हाईकोर्ट के समक्ष याचिका पेश की गई। याचिकाकर्ता की ओर से बताया गया कि शिकायतकर्ता नटवरलाल मेवाड़ा ने चेक अनादरण के मामले में एनआई एक्ट में कार्यवाही की बजाये दंडनीय अपराधों के लिए देरी से धारा 406 और 420 आईपीसी के तहत मामला दर्ज कराया।
इसमें जांच के बाद पुलिस द्वारा एफआर लगा दी गई थी। उसके बावजूद निचली कोर्ट द्वारा संज्ञान लिया गया था जो कि निरस्त किए जाने योग्य है।
हाईकोर्ट ने सभी पक्षों को सुनने के बाद अधीनस्थ अदालत व रिवीजन अदालत द्वारा पारित आदेश को अपास्त करते हुए याचिकाकर्ता हरिपाल सिंह को राहत देते हुए क्लीन चिट दी।
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