सिरोही में ब्लैक फंगस की एंट्री: सिरोही के रेवदर में ब्लॉक में ब्लैक फंगस ने दी दस्तक, मरीज को भेजा जोधपुर
कोरोना से लड़ रहे रेवदर उपखंड निवासियों को अब नई महामारी ब्लैक फंगस ने अपना शिकार बना लिया है। यहां भी इस बीमारी से जुडा एक केस सामने आया। इसके बाद इस फंगस से लोगों में खौफ पैदा कर दिया है। उपखंड पर कोरोना के बाद अब ब्लैक फंगस ने भी दस्तक दी है।
सिरोही ( रेवदर )।
सिरोही (Sirohi) में कोरोना की दूसरी लहर से जन जीवन काफी हद तक प्रभावित हुआ। आक्सीजन की कमी से जहां कुछ लोगों की अकाल ही मौत हो गई, वहीं दूसरी ओर अस्पतालों में बेड की कमी होने के साथ समाज में रिश्तों की पोल खुल गई। ऐसे में शनिवार को सिरोही जिले के रेवदर इलाके में ब्लैक फंगस (Black Fungus) महामारी की दस्तक ने लोगों की चिंता बढ़ा दी।
कोरोना से लड़ रहे रेवदर (Revadar) उपखंड निवासियों को अब नई महामारी ब्लैक फंगस ने अपना शिकार बना लिया है। यहां भी इस बीमारी से जुडा एक केस सामने आया। इसके बाद इस फंगस से लोगों में खौफ पैदा कर दिया है। उपखंड पर कोरोना के बाद अब ब्लैक फंगस ने भी दस्तक दी है। उपखंड पर एक सब्जी बेचने वाले युवक को ब्लैक फंगस की पुष्टि हुई है।
जानकारी के अनुसार युवक कुछ दिन पहले कोरोना (Corona) पॉजिटिव हुआ था। इसके बाद उसके आँखों व गाल में दर्द की शिकायत हुई थी पर युवक की तबियत खराब होने गुजरात के पालनपुर (Palanpur) में भी ईलाज करवाया। लेकिन ब्लैक फंगस जैसे लक्षण दिखने पर सबसे पहले युवक को उदयपुर के गीतांजलि अस्पताल लेकर गए थे जहां पर उसकी ब्लैक फंगस की पुष्टि हुई थी। वहां से पुष्टि होने के बाद मरीज को रेवदर अस्पताल में लाया गया और इसको ब्लैक फंगस जैसे लक्षण दिखने पर सरकारी एम्बुलेंस के माध्यम से जोधपुर अस्पताल में भेजा गया। ब्लैक फंगस की पुष्टि होने के बाद चिकित्सा विभाग भी पुरी तरह से अलर्ट हो चुका है।
ऐसे पनपती है यह बीमारी
कोरोना पीड़ितों में संक्रमण का प्रभाव कम करने के लिए स्टेरायड दिया जाता है। इससे मरीज का शुगर लेवल बढ़ जाता है। इसके साइडइफेक्ट के रूप में कई लोगों में ब्लैक फंगस हो जाता है। शुरुआत में इस बीमारी में मरीज की नाक की अंदर की परत सूखने लगती है। इसके बाद चेहरे और तलवे की त्वचा सुन्न होने लगती है। चेहरे पर सूजन आ जाती है। इस बीमारी से आंखों की नसों के पास फंगस जमा हो जाता है, जिससे सेंट्रल रेटाइनल आर्टरी का रक्त प्रवाह बंद हो जाता है। इस कारण कई मरीजों की आंखों की रोशनी चली जाती है।
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