अगस्त क्रांति : टोल देकर गड्ढों से गुजरना पड़ रहा है, धरना-प्रदर्शन भी हुए फेल, अब नया तरीका गांधीगिरि

इस टोल रोड के नवीनीकरण के लिए आंदोलन भी हुए, लेकिन उनका कोई सार नहीं निकल पाया। थक हारकर अब जिलेवासियों ने गांधीगिरी शुरु की है। अगस्त क्रांति के नाम से इस टोल रोड की बदहाली को लेकर आमजन को जगाने का प्रयास किया जा रहा है।

जालोर.

जालोर-जोधपुर टोल रोड जिलेवासियों के लिए सिरदर्द साबित हो रहा है। करीब पांच साल से यह रोड पूरी तरह से बिखर चुका है और इसका नवीनीकरण तो दूर मरम्मत तक नहीं हो पा रही है। जबकि पिछले साल ही इसका नवीनीकरण हो जाना चाहिए था।

इस टोल रोड के नवीनीकरण के लिए आंदोलन भी हुए, लेकिन उनका कोई सार नहीं निकल पाया। थक हारकर अब जिलेवासियों ने गांधीगिरी शुरु की है। अगस्त क्रांति के नाम से इस टोल रोड की बदहाली को लेकर आमजन को जगाने का प्रयास किया जा रहा है। अधिवक्ता केशव व्यास का कहना है कि राजनीतिक और प्रशासनिक स्तर पर किसी तरह के प्रयास इस टोल रोड को सुधारने के लिए नहीं हो रहे। मजबूरन आंदोलन का रुख अपनाना पड़ रहा है।

इसलिए चर्चित हो रहा मामला

राजनीतिक रसूखात के चलते इस टोल रोड की मरम्मत और नवीनीकरण करवाने में प्रशासन बौना साबित हो रहा है। आंदोलन के तहत अगस्त क्रांति नाम के इस बेनर पर लिखा गया है कि ‘जनता के रोड टैक्स एवं टोल टैक्स से विश्व प्रसिद्ध गड्ढेदार टोल रोड सशुल्क उपलब्ध करवाने के लिए सीएम, डीएम और पीडब्ल्यूडी का धन्यवाद’

लापरवाही पर मौन

यह टोल रोड बनने के बाद ही जिलेवासियों के लिए सिरदर्द साबित हो रहा है। इस टोल एजेंसी के पास न तो पर्याप्त संसाधन मौजूद है, जेा रोड सेफ्टी के लिए जरुरी होते है। वहीं पिछले पांच साल की बात करें तो रेाड के नाम पर गड्ढों भरा सफर करने को जिलेवासी मजबूर है। जबकि यह जालोर से जोधपुर तक पहुंचने का मुख्य मार्ग है। अक्सर अस्पताल से रेफरल केस इसी मार्ग से जोधपुर पहुंचते हैं।

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