सिरोही पं. समितियों में लाखों का घोटाला: ये सरकारी नुमाइंदे है साहब, 13 लाख रुपए के सरकारी कार्य का 56 लाख रुपए कर दिया भुगतान, घोटाले की जांच के हुए आदेश तो 10 माह से दबाकर बैठे है अधिकारी
सिरोही जिले में वॉल पेंटिंग के नाम पर लाखों रुपए का घोटाला हुआ उजागर, बिना टेंडर और बिना कोटेशन जिला परिषद सीईओ ने कर दिया भुगतान, अब बैक डेट में कागज बनाने की हो रही है तैयारी
सिरोही।
सिरोही जिले में स्वच्छ भारत मिशन अभियान के नाम पर लाखों रुपए का घोटाला उजागर हुआ है। सरकारी नुमाइंदों के हौंसले तो देखों कि बिना कोटेशन या बिना टेंडर निकाले 13 लाख रुपए का कार्य करवा भी लिया गया। और तो और 13 लाख रुपए के एवज में 56 लाख रुपए का भुगतान भी ठेकेदार को कर भी दिया गया। इतना ही नहीं, मामला राजधानी जयपुर सचिवालय के संज्ञान में आया, तो विभाग के आला अधिकारियों ने घोर अनियमितता मानने हुए जांच के आदेश भी दे दिए, बावजूद इसके 10 माह से सिरोही जिला परिषद और सिरोही जिला प्रशासन जांच तक पूरी नहीं करवा पा रहा हैं। जांच कर दोषियों के विरुद्ध कार्रवाई करने के बदले जिले की पंचायत समितियों में बैठे विकास अधिकारी ग्राम विकास अधिकारियों पर दबाव बनाकर बैकडेट में कोटेशन मंगवा रहे है। साफ शब्दों में कहा जाए तो सिरोही जिला परिषद अब इस घोटाले को दबाने पर लगा हुआ है। सिरोही जिले में वॉल पेंटिंग के नाम पर हुए लाखों रुपए के घोटाले पर गणपत सिंह मांडोली और गजेंद्र सिंह राठौड़ की एक खास रिपोर्ट:——
वॉल पेंटिंग का नहीं निकाला टेंडर, ना ही कोई कोटेशन
सिरोही जिले में स्वच्छ भारत मिशन अभियान के तहत योजना के लाभार्थियों के नाम दीवारों पर लिखने के लिए 13.50 लाख रुपए की लागत से कार्य योजना बनाई गई। इस कार्य के मुताबिक जिले में स्वच्छ भारत अभियान के तहत भागीदार लोगों के नाम वॉल पर लिखने थे। सिरोही जिला परिषद के आला अधिकारियों की मिलीभगत के चलते इस वॉल पेंटिंग का ना तो टेंडर निकाला गया और ना ही किसी तरह की कोटेशन मंगवाई गई। वॉल पेंटिंग के लिए प्रत्येक पंचायत समिति स्तर पर एक सामूहिक टेंडर निकाल कर ठेकदारों से निविदाएं प्राप्त करनी थी और ठेका जारी करना था पर ऐसा नहीं किया गया। लेकिन सिरोही जिले के विकास अधिकारियों द्वारा ठेकेदार को भुगतान कर दिया गया।
कार्य 13.50 लाख के, भुगतान 56.50 लाख रुपए का
वॉल पेंटिंग (दीवारों पर लाभार्थियों के नाम लिखने) का कार्य योजना बनाते समय 13.50 लाख रुपए की लागत बताई गई थी, लेकिन सिरोही जिला प्रशासन की कारगुजारी देखो तय बजट से 322 प्रतिशत अधिक भुगतान ठेकेदार को कर दिया गया। जानकारी में आया है कि 13.50 लाख रुपए के कार्य के बदले जिला परिषद की ओर से 56.50 लाख रुपए का भुगतान कर दिया गया। ऐसे में सिरोही जिले की पांचों पंचायत समितियों सहित जिला परिषद और स्वच्छ भारत मिशन की जिला स्तरीय कमेटी के अध्यक्ष जिला कलेक्टर की भूमिका इसमें संदिग्ध नज़र आ रही हैं।
सितंबर 2020 में दिए थे जांच के आदेश
मामले की जानकारी जब जयपुर स्थित ग्रामीण विकास एवं पंचायतीराज विभाग में बैठे स्वच्छ भारत मिशन के निदेशक को लगी तो उन्होंने 9 सितंबर 2020 को एक आदेश जारी कर इसे घोर वित्तीय अनियमितता मानते हुए जांच करवाने के आदेश जारी किए। इसके रेफरेंस में जिला परिषद की लेखा शाखा से एक आदेश जिले के सभी विकास अधिकारियों को जारी कर बजट से अधिक भुगतान को घोर वित्तीय अनियमितता करार देते हुए आगे से भुगतान पर रोक लगाने के निर्देश जारी किए गए। वहीं इस पूरे मामले में सात दिवस के भीतर अपना स्पष्टीकरण देने के आदेश दिए थे। साथ ही आगे से किसी भी नवीन कार्य की स्वीकृति पर भी रोक लगा दी गई थी। इसके बाद जिला परिषद के मुख्य कार्यकारी अधिकारी ने एक जांच कमेटी बनाकर पूरे मामले की जांच भी शुरू की। लेकिन आज तक 10 माह बीतने के भी जांच किसी नतीजे पर नहीं पहुंच पाई।
जांच पर ही उठ रहे सवाल
जिस घोटाले की जांच जिला परिषद द्वारा करवाई जा रही हैं। उस जांच पर सवाल उठने भी लाज़मी हैं। क्योंकि जिला परिषद के मुख्य कार्यकारी अधिकारी द्वारा ही इस भुगतान की अनुमोदना की गई थी। विकास अधिकारियों ने जब जब भुगतान किया, तब जिला परिषद के सीईओ द्वारा उस भुगतान की अनुमोदना जारी की गई। कोई भी अधिकारी अनुमोदना करता हैं तब वो यह सुनिश्चित करता हैं कि होने वाला भुगतान सौ फीसदी सही हैं। यदि उसे उस भुगतान के बारे में जरा सा भी संदेह हो तो वो उसकी अनुमोदना नहीं करता हैं। लेकिन जब सिरोही जिला परिषद के सीईओ ने इन सारे भुगतानों की अनुमोदना कर दी और ठेकेदार को भुगतान हो गया। ऐसे में जांच की निष्पक्षता पर सवाल उठना लाजमी है। ।
बैक डेट में मंगवाए जा रहे है कोटेशन
जब स्वच्छ भारत मिशन के निदेशक ने इसे घोर वित्तीय अनियमितता माना तो जिले की कमेटी हरकत में आई और सभी विकास अधिकारियों से इस कार्य के बैकडेट में प्रत्येक ग्राम विकास अधिकारी से 3-3 कोटेशन लेने की बात कही गई। और सभी विकास अधिकारियों ने इसके लिए ग्राम विकास अधिकारियों को 3-3 कोटेशन लेने के मौखिक आदेश भी दे दिए। कई ग्राम विकास अधिकारियों ने अपने उच्च अधिकारी का आदेश मानकर यह काम कर भी दिया। पर कुछ ग्राम विकास अधिकारियों ने इसे गलत कार्य मानकर अपना जमीर नहीं बेचा और अभी तक कोटेशन नहीं लिए।
अब ईमानदार अधिकारियों को किया जा रहा है परेशान
इस पूरे घोटाले में साथ नहीं देने वाले ग्राम विकास अधिकारी (VDO) को अब इन अधिकारियों द्वारा परेशान करना शुरू कर दिया हैं। फिल्मी स्क्रिप्ट की तर्ज पर सिरोही जिले के ग्राम विकास अधिकारियों को भी इस घोटाले में साथ नहीं निभाने पर परेशान किया जा रहा हैं। झूठे मुकदमों में फंसाने से लेकर उन्हें धमकियां तक दी जा रही हैं लेकिन ईमानदार लोग इसका भी डटकर मुकाबला कर रहे हैं।
इनका कहना
मामले की जांच चल रही हैं। मैंने सारी जानकारी जांच अधिकारी को दे दी हैं।
मैं मीडिया को इस मामले को लेकर कुछ भी नहीं बता सकती।
◆ रेणु इंकिया, विकास अधिकारी, पंचायत समिति सिरोही
जांच रिपोर्ट आने के बाद होगी कार्रवाई
ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज विभाग के स्वच्छ भारत मिशन के निदेशक से प्राप्त आदेश की पालना में हमने जांच कमेटी का गठन कर जांच शुरू करवा दी हैं। जांच रिपोर्ट आने के बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी।
◆ भागीरथ बिश्नोई, सीईओ, जिला परिषद, सिरोही
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