भारत: बंगाल में पुलिस प्रताड़ना के कारण हुई मौत में हाईकोर्ट के हस्तक्षेप की मांग
कोलकाता पुलिस ने इस मामले में एक हवलदार और एक नागरिक पुलिस स्वयंसेवक सहित अपने तीन कर्मियों को बंद कर दिया है। राज्य की ओर से एक विशेष जांच दल (एसआईटी) का भी गठन किया गया है।
कोलकाता पुलिस ने इस मामले में एक हवलदार और एक नागरिक पुलिस स्वयंसेवक सहित अपने तीन कर्मियों को बंद कर दिया है। राज्य की ओर से एक विशेष जांच दल (एसआईटी) का भी गठन किया गया है।
मृतक के भाई राजीव साहा ने अधिवक्ता फिरोज एडुल्जी के माध्यम से दायर अपनी याचिका में कहा है कि इस तरह की कार्रवाई और जांच एक दिखावा है।
उनके मुताबिक, 31 जुलाई को पुलिसकर्मी उनके भाई दीपांकर को उनके घर से जबरन उठा ले गए और एक अज्ञात स्थान पर बेरहमी से प्रताड़ित किया।
दीपांकर को पूछताछ के लिए ले जाने वाले पुलिसकर्मियों के पास उनकी नजरबंदी को सही ठहराने के लिए कोई दस्तावेज नहीं था।
गोल्फ ग्रीन पुलिस स्टेशन से तीन आरोपियों - सार्जेंट अमिताभ तमांग, कांस्टेबल तैमूर अली और नागरिक पुलिस स्वयंसेवी आफताब मंडल के खिलाफ कोलकाता पुलिस की कार्रवाई स्पष्ट रूप से इंगित करती है कि दीपांकर की हिरासत अवैध थी।
तीनों पर आईपीसी की धारा 304 (गैर इरादतन हत्या के लिए गैर इरादतन हत्या) के तहत भी आरोप लगाए गए हैं।
यह भी एक स्पष्ट संकेत है कि दीपांकर के साथ बदतमीजी की गई थी। राजीव ने अपनी याचिका के माध्यम से सवाल किया है कि हत्या के आरोप में तीनों को आईपीसी की धारा 302 के तहत गिरफ्तार या आरोपित क्यों नहीं किया गया।
कोलकाता पुलिस साफ तौर पर मुश्किल में है। पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में स्पष्ट रूप से दीपांकर के नितंबों पर गंभीर चोटें बताई गई हैं जो आंतरिक प्रतिक्रिया का कारण बन सकती हैं।
उसके पूरे शरीर पर कई चोट के निशान थे।
हालांकि, पुलिस ने मीडिया को बताया कि बाहरी चोटें जानलेवा नहीं थीं और 34 वर्षीय दीपांकर की मौत लीवर और दिल की बीमारियों के कारण हुई थी।
यह बयान अपने आप में इस बात की स्वीकारोक्ति है कि दीपांकर को पुलिसकर्मियों ने प्रताड़ित किया था।
याचिकाकर्ता राजीव ने कहा है कि वह राज्य में विपक्ष के सदस्य हैं और 27 जुलाई को सत्तारूढ़ पार्टी के सदस्यों द्वारा कथित भ्रष्टाचार के खिलाफ एक सड़क किनारे बैठक का आयोजन किया।
31 जुलाई को, उनके भाई दीपांकर को दो पुलिसकर्मी घर से उठा कर ले गए।
उनकी मां आरती साहा ने गिरफ्तारी ज्ञापन या अन्य दस्तावेज देखने की मांग की लेकिन कोई दस्तावेज पेश नहीं किए गए।
याचिका के मुताबिक, दीपांकर को ले जाने के करीब 10 घंटे बाद वह घर लौटा।
वह बुरी तरह से घायल हो गया था, लेकिन यातना देने वालों के खिलाफ शिकायत दर्ज करने से इनकार कर दिया क्योंकि उसे धमकी दी गई थी कि उसके परिवार को नुकसान पहुंचाया जाएगा।
बीमार पड़ने और जांच के लिए अस्पताल जाने के बाद भी, उसने डर के मारे अपने निशान छुपाए।
4 अगस्त को दीपांकर ने पेट में तेज दर्द और बेचैनी की शिकायत की। जब तक उन्हें अस्पताल ले जाया गया, तब तक दीपांकर की मौत हो चुकी थी। उनकी मृत्यु के बारे में विवरण के लिए उनकी मां द्वारा लिखित सभी आवेदन अनसुने हो गए।
--आईएएनएस
आरएचए/एएनएम
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