Uttar Pradesh 10वीं शताब्दी की मूर्ति: London से जल्द भारत आएंगी 10वीं शताब्दी की बकरी के सिर वाली योगिनी की प्रतिमा

उत्तर प्रदेश के बांदा के लोखरी मंदिर से 1980 के दशक में अवैध रूप से हटाई गई थी बकरी के सिर वाली योगिरी की प्रतिमा। अब लंदन से भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग नई दिल्ली लाई जा रही हैं।

London से जल्द भारत आएंगी 10वीं शताब्दी की बकरी के सिर वाली योगिनी की प्रतिमा

नई दिल्ली, एजेंसी। 
भारत के राष्ट्रीय संग्रहालय में 10वीं शताब्दी की पत्थर से तैयार बकरी के सिर वाली योगिनी की प्रतिमा लगाई जाएगी।
 उत्तर प्रदेश से 1980 के दशक में हटाई गई इस प्रतिमा को लंदन से भारत लाया जा रहा है। लंदन सरकार ने इस प्रतिमा को ​नई दिल्ली के लिए रवाना कर दिय गया है।
 भारत सरकार के संस्कृति एवं पर्यटन मंत्री जी किशन ने बताया कि उत्तर प्रदेश के बांदा के लोखरी में एक मंदिर से अवैध रूप से हटाई गई 10वीं शताब्दी की पत्थर की बकरी के सिर वाली योगिनी की मूर्ति भारत को वापस की जा रही है।
मंत्री किशन ने ट्वीट में इसकी घोषणा करते हुए कहा कि हमारी असली कलाकृतियों का स्वदेश में आगमन जारी है। 
इससे पहले लंदन में भारतीय उच्चायोग ने कहा कि 10वीं शताब्दी की एक विशेष पत्थर की मूर्ति की बरामदगी और उसके स्वदेश भेजने की घोषणा करते हुए खुशी हो रही है। 
इस प्रतिमा को 1980 के दशक के आसपास उत्तर प्रदेश के बांदा के लोखरी में एक मंदिर से अवैध रूप से हटा दिया गया था।


बलुआ पत्थर से तैयार बकरी के सिर वाली प्रतिमा
मूर्ति एक बकरी के सिर वाली योगिनी की है, जो मूलरूप से बलुआ पत्थर में पत्थर के देवताओं के एक समूह से संबंधित है। 
यह लोखरी मंदिर में स्थापित थी। 1986 में नई दिल्ली में राष्ट्रीय संग्रहालय की ओर से भारतीय विद्वान विद्या दहेजिया के अध्ययन का यह विषय था, जिसे बाद में "योगिनी पंथ और मंदिर : एक तांत्रिक परंपरा" शीर्षक के तहत प्रकाशित किया गया था।
इसके बाद पता चला है कि 1988 में लंदन के कला बाजार में कुछ समय के लिए उक्त मूर्तिकला सामने आई थी। 
लंदन के निजी निवास के बगीचे में पाई गई प्रतिमा 

भारतीय उच्चायोग को बकरी के सिर वाली योगिनी मूर्तिकला की खोज के बारे में जानकारी मिली, जो लंदन के पास एक निजी निवास के बगीचे में पाई गई। यह प्रतिमा लोखरी संग्रह के विवरण से मेल खाती थी।
सिंगापुर की इंडिया प्राइड प्रोजेक्ट और लंदन की आर्ट रिकवरी इंटरनेशनल संस्था ने लंदन स्थित भारतीय उच्चायोग को मूर्ति की पहचान और उसकी बरामदगी में तत्परतापूर्वक सहायता की। इसके बाद भारतीय उच्चायोग ने स्थानीय और भारतीय अधिकारियों के साथ अपेक्षित दस्तावेज तैयार किए।


2013 में भैंस के सिर वाली वृषणा योगिनी मूर्ति लाई गई दिल्ली
दिलचस्प बात यह है कि 2013 में भारतीय दूतावास पेरिस ने भैंस के सिर वाली वृषणा योगिनी की एक ऐसी ही मूर्ति को बरामद किया था। 
इसे भी लोखरी गांव के उसी मंदिर से चुराई गई थी। इस वृषणा योगिनी की मूर्ति को सितंबर 2013 में नई दिल्ली के राष्ट्रीय संग्रहालय में स्थापित किया गया था।
यूपी के बांदा जिले में लोखरी की प्रतिमा
लोखरी उत्तर प्रदेश के बुंदेलखंड के बांदा जिले में मऊ अनुमंडल में एक छोटा सा गांव है। योगिनियां तांत्रिक पूजा पद्धति से जुड़ी शक्तिशाली महिला देवताओं का एक समूह हैं।
 उन्हें एक समूह के रूप में पूजा जाता है, जिसमें अक्सर 64 होती हैं और माना जाता है कि उनके पास अनंत शक्तियां होती हैं। 
मकर संक्रांति के शुभ दिन लंदन में स्थित उच्चायोग पहुंची बकरी के सिर वाली योगिनी मूर्ति को नई दिल्ली के भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण भेज दिया गया।

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