दानिश सिद्दीकी को श्रद्धांजलि: अफगानिस्तान के कंधार में भारतीय फोटो जर्नलिस्ट दानिश सिद्दीकी के निधन पर तालिबान ने जताया दुख

तालिबान ने शुक्रवार को भारतीय फोटो जर्नलिस्ट दानिश सिद्दीकी की मौत पर दुख जताया है। तालिबान के प्रवक्ता जबीउल्लाह मुजाहिद के मुताबिक सिद्दीकी की मौत का हमें दुख है। हम इस बात से दुखी हैं कि पत्रकार हमें बिना बताए युद्धग्रस्त इलाके में आ रहे हैं।

अफगानिस्तान के कंधार में भारतीय फोटो जर्नलिस्ट दानिश सिद्दीकी के निधन पर तालिबान ने जताया दुख

नई दिल्ली। 
अफगानिस्तान (Afghanistan) के कंधार में भारतीय फोटो जर्नलिस्ट के निधन पर विश्व भर में श्रद्धांजलि अर्पित की जा रही है। इसी बीच तालिबान ने शुक्रवार को भारतीय फोटो जर्नलिस्ट दानिश सिद्दीकी (Danish Siddiqui) की मौत पर दुख जताया है। तालिबान के प्रवक्ता जबीउल्लाह मुजाहिद (Taliban spokesman Zabiullah Mujahid) के मुताबिक सिद्दीकी की मौत का हमें दुख है। हम इस बात से दुखी हैं कि पत्रकार हमें बिना बताए युद्धग्रस्त इलाके में आ रहे हैं। उन्होंने कहा, 'हमें नहीं पता कि किसकी गोलीबारी में पत्रकार मारा गया। युद्धग्रस्त इलाके में आने वाले किसी भी पत्रकार को हमें इसकी जानकारी देनी चाहिए। हम उसकी पूरी देखभाल करेंगे।' आप को बताया कि अफगान सुरक्षा बलों और तालिबान लड़ाकों के बीच झड़प को कवर करने के दौरान रॉयटर्स के फोटो जर्नलिस्ट दानिश सिद्दीकी को गोली लग गई और उनकी मौत हो गई। पुलित्जर पुरस्कार विजेता पत्रकार दानिश (Pulitzer Prize winning journalist Danish) 38 साल के थे। अफगान कमांडर ने रॉयटर्स को बताया कि अफगान सेना स्पिन बोल्डक के मुख्य बाजार इलाके पर कब्जा करने के लिए लड़ रही थी, इसी दौरान सिद्दीकी और एक सीनियर अफगान अधिकारी मारे गए।
आईसीआरसी को सौंपा दानिश का शव
न्यूज एजेंसी के मुताबिक तालिबान ने दानिश सिद्दीकी का शव रेड क्रॉस की अंतर्राष्ट्रीय समिति (ICRC) को सौंप दिया है। भारत को तालिबान (Taliban) की ओर से ICRC को शव सौंपे जाने की सूचना दे दी गई है। भारतीय अधिकारी इसे वापस लाने पर काम कर रहे हैं। रॉयटर्स के प्रेसिडेंट माइकल फ्रिडेनबर्ग ( Michael Friedenberg) और एडिटर-इन-चीफ एलेसेंड्रा गैलोनी ने एक बयान में कहा, 'हम इस घटना को लेकर और जानकारी जुटा रहे हैं। सिद्दीकी एक आउटस्टैंडिंग जर्नलिस्ट, एक समर्पित पति और पिता थे। साथ ही वो सबके पसंदीदा कलीग थे। इस मुश्किल समय में हमारी संवेदनाएं उनके परिवार के साथ हैं।' दानिश सिद्दीकी के पिता प्रोफेसर अख्तर सिद्दीकी से बताया कि बेटे से आखिरी बार दो दिन पहले बात हुई थी। दानिश अपने काम को लेकर बेहद संजीदा थे। प्रोफेशन के आगे वह किसी की भी बात नहीं सुनते थे। दानिश को चैलेंज लेना पसंद था। पिता ने कहा कि दानिश के पैशन को देख हमने उसे अफगानिस्तान जाने से नहीं रोका।

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