Corona से बचाव के लिए नया परीक्षण: Corona Epidemic से बचाव के लिए रेवले कोच, एसी बसों और बंद जगहों में कारगर होगी कीटाणुशोधन प्रौद्योगिकी

डॉ.जितेंद्र सिंह ने बताया कि सीएसआईआर-सीएसआईओ (केंद्रीय वैज्ञानिक उपकरण संगठन) के माध्यम से विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय द्वारा विकसित यूवी-सी प्रौद्योगिकी सार्स-सीओवी-2 के वायु संचरण को कम करने के लिए पूरी तरह से प्रभावी है।  

Corona Epidemic से बचाव के लिए रेवले कोच, एसी बसों और बंद जगहों में कारगर होगी कीटाणुशोधन प्रौद्योगिकी

नई दिल्ली, एजेंसी। 
कोरोना महामारी से बचाव के लिए अब केंद्रीय वैज्ञानिक उपकरण संगठन की ओर से नई विकसित प्रौद्योगिकी को कारगर बताया जा रहा है। 
इसको लेकर केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी एवं पृथ्वी विज्ञान राज्यमंत्री स्वतंत्र प्रभार डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि महामारी से निपटने के लिए रेलवे कोचों, एसी बसों, बंद जगहों आदि में सीएसआईआर की नई विकसित कीटाणुशोधन प्रौद्योगिकी स्थापित की जा रही है।
डॉ.जितेंद्र सिंह ने बताया कि सीएसआईआर-सीएसआईओ (केंद्रीय वैज्ञानिक उपकरण संगठन) के माध्यम से विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय द्वारा विकसित यूवी-सी प्रौद्योगिकी सार्स-सीओवी-2 के वायु संचरण को कम करने के लिए पूरी तरह से प्रभावी है।  यह कोविड-काल के बाद भी प्रासंगिक रहेगी।
 रेलवे, एसी बसों और यहां तक की संसद भवन में भी इसका सफलतापूर्वक परीक्षण किया गया है।
अब यह प्रौद्योगिकी आम जनता के उपयोग के लिए सार्वजनिक तौर पर उपलब्ध है। 
डॉ. जितेंद्र सिंह सार्स-सीओवी-2 संचरण को कम करने के लिए कीटाणुशोधन प्रौद्योगिकी पर सीएसआईआर दिशा—निर्देश जारी करने के बाद बोल रहे थे।
उन्होंने आगाह किया कि इस कीटाणुशोधन प्रौद्योगिकी की स्थापना के बाद भी, सभी को कोविड के अनुरूप व्यवहार का सख्ती से पालन करने की सलाह दी जाती है। 
इसमें फेस मास्क का उपयोग, सामाजिक दूरी बनाए रखना, भीड़भाड़ से दूर रहना आदि शामिल हैं।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि आवश्यक वायु-संचार के उपायों, जरूरी सुरक्षा और उपयोगकर्ता के लिए दिशानिर्देशों और परखे गए जैव-सुरक्षा मानकों आदि के साथ एयरोसोल में निहित सार्स सीओवी-2 वायरस को निष्क्रिय करने के लिए यह प्रौद्योगिकी विकसित की गई है। 
यूवी-सी 254 एनएम यूवी प्रकाश का उपयोग करके उपयुक्त खुराक के साथ वायरस, बैक्टीरिया, फंगस व अन्य बायो- एयरोसोल आदि को निष्क्रिय कर देता है।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि एक निश्चित अवधि के लिए वास्तविक रैलियों और रोड शो पर प्रतिबंध के मद्देनजर 5 राज्यों में आगामी विधानसभा चुनावों के लिए सीमित क्षमता के साथ कमरों के भीतर बैठकों के दौरान इस प्रौद्योगिकी के उपयोग के लिए सीएसआईआर भारतीय चुनाव आयोग को लिखेगा।
उन्होंने कहा कि यूवी-सी एयर डक्ट कीटाणुशोधन प्रणाली का उपयोग सभागारों, बड़े सम्मेलन कक्षों, मॉल आदि में किया जा सकता है।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने बताया कि सार्स-सीओवी-2 के वायु संचरण को कम करने के लिए बनाई गई प्रौद्योगिकी को संसद के मानसून सत्र से पहले पिछले साल जुलाई में सेंट्रल हॉल, लोकसभा कक्ष और कमेटी रूम 62 और 63 में स्थापित किया गया था।
डॉ. सिंह ने कहा कि वह आगामी बजट सत्र से पहले राज्यसभा के महासचिव को इस प्रौद्योगिकी की स्थापना के लिए पत्र लिखेंगे।
आवास और शहरी कार्य मंत्रालय (एमओएचयूए) के सचिव मनोज जोशी ने इस अवसर पर कहा कि सीपीडब्ल्यूडी सरकारी और निजी भवनों में यूवी-सी एयर डक्ट कीटाणुशोधन प्रणाली के व्यापक प्रसार और इसे अपनाने के लिए सीएसआईआर के साथ काम करेगा।
बांद्रा से चंडीगढ़ तक 1000 किलोमीटर के सफर में परीक्षण
कोरोना से बचाव के लिए रेलवे में भी इसका सफल परीक्षण किया गया। बोर्ड के कार्यकारी निदेशक ए के मल्होत्रा ने बताया कि यूवी-सी कीटाणुशोधन प्रौद्योगिकी का एक महीने के लिए बांद्रा से चंडीगढ़ तक 1000 किलोमीटर की दूरी की रेलगाडियों के डिब्बों में सफलतापूर्वक परीक्षण किया गया है। 
उन्होंने कहा कि आरडीएसओ (रिसर्च डिजाइन एंड स्टैंडर्ड ऑर्गनाइजेशन), लखनऊ ने चरणबद्ध तरीके से सभी रेल कोचों में इस प्रौद्योगिकी का उपयोग करने की सिफारिश की है।
वहीं सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय के संयुक्त सचिव श्री अमित वरदान ने बताया कि उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम (यूपीएसआरटीसी) की एसी बसों में यूवी तकनीक का सफलतापूर्वक उपयोग किया गया था। 

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