कानून नहीं संविधान को ही धता: निर्दोष था युवक मुकन सिंह, मामला सिर्फ उसकी मौत का नहीं बल्कि पाली पुलिस के इस बड़े खेल का है
जब उसके खिलाफ किसी तरह का मामला ही दर्ज नहीं था तो उसे किस आधार पर हिरासत में लिया गया? यह सवाल का जवाब अफसरों के पास नहीं है। साथ ही यह प्रकरण सिर्फ मुकन सिंह की मौत से पर्दा नहीं उठाता, बल्कि पाली पुलिस का वह चेहरा भी दिखाता है जो थाने में पनप रहे पुलिस गिरोह से जुड़ा है।
पाली | राजस्थान विधानसभा में पूर्व मंत्री पुष्पेन्द्र सिंह राणावत का सम्बोधन पाली पुलिस में चल रहे खेल से पर्दा खींचने जैसा था। उनके बयानों पर यदि अफसर गंभीरता दिखाते तो मुकन सिंह की मौत नहीं होती। आपको जानकर हैरत होगी कि एएसआई ओमप्रकाश उर्फ टाइगर की प्रताड़ना से तंग आकर मारा गया मुकन सिंह निर्दोष था। जी हां! जब उसके खिलाफ किसी तरह का मामला ही दर्ज नहीं था तो उसे किस आधार पर हिरासत में लिया गया? यह सवाल का जवाब अफसरों के पास नहीं है। साथ ही यह प्रकरण सिर्फ मुकन सिंह की मौत से पर्दा नहीं उठाता, बल्कि पाली पुलिस का वह चेहरा भी दिखाता है जो थाने में पनप रहे खाकी गिरोह से जुड़ा है।
यह गिरोह लोगों की कॉल डिटेल बेच रहा है। तकनीकी जानकारियों के आधार लोगों को प्रताड़ित करता है और पैसे ऐंठता है। आपको जानकर हैरत होगी कि यह डिटेल निकालने वाली टीम में एक ही वर्ग के लोग सालों से पदों पर जमे है। इनका नेक्सस इतना बड़ा है कि प्रत्येक आने वाले अधिकारियों की क्षमताएं भी इनसे बड़ी है। इस आधार पर पाली पुलिस सिर्फ कानून और व्यवस्था को ही नहीं बल्कि संवैधानिक प्रावधानों को ही धता बता रही है।
कहानी ऐसे शुरू हुई
ओमप्रकाश चौधरी युवक मुकन सिंह को उसकी दुकान पर चोरी का मोबाइल खरीदने (आईपीसी धारा 411) के आरोप में उठाता है। चौकी लाकर पीटता है। मृतक मुकनसिंह के परिजनों के अनुसार युवक ने कहा था कि उसने मोबाइल तीन हजार रुपए में गिरवी रखा था, खरीदा नहीं। युवक को उसकी मां के सामने बल्ले से मारा। युवक पैर से घायल होता है। रात में घर आकर सल्फास की गोलियां खा लेता है। ओमप्रकाश बाद में एक युवक से मुकनसिंह के खिलाफ रिपोर्ट लेता है। हालांकि वह दर्ज हुई या नहीं इस पर पुलिस मौन है। मुकन सिंह की मौत जोधपुर में उपचार के दौरान होती है।
पुलिस ने खेल यह किया है
- ओमप्रकाश ने बिना किसी दर्ज प्रकरण के मामले में तुगलकी जांच की। इसमें कॉल डिटेल भी निकालने की बात सामने आई है, साफ है कि बड़े अफसरों का ओमप्रकाश को वरदहस्त है।
- पुलिस ने ओमप्रकाश पर आईपीसी धारा 323 साधारण मारपीट, सदोष अवरोध आईपीसी 342 और गृह अतिचार आईपीसी 452 की हल्की धाराओं में पहला मामला दर्ज किया है। अब आत्महत्या के दुष्प्रेरण 306 का मामला भी दर्ज किया है। परन्तु उस पर मामले आईपीसी 325 अथवा 326 जिसमें घातक मारपीट तथा 330/331 आईपीसी के बड़े प्रकरण बनते हैं। पुलिस इन धाराओं पर छिपा गई।
- मृतक के परिजनों द्वारा दी गई टाइपसुदा रिपोर्ट नहीं लेकर थाने में हाथ से लिखकर मृतक की बहिन सागर कंवर के साइन करवाए। हालांकि इस बदलाव में सिर्फ डीजी लाठर का नाम हटाया गया। दोनों ही एफआईआर प्रार्थना पत्र अब पब्लिक डोमेन में वायरल है।
- एएसआई को सिर्फ सस्पेंड करके मामले से लोगों का ध्यान भटकाने की कोशिश की है, जबकि यदि बड़ी धाराओं में प्रकरण दर्ज होता तो उसकी गिरफ्तारी होती।
पुलिस की कार्यप्रणाली पर सवाल
- मुकन सिंह पर जब किसी तरह का मुकदमा ही दर्ज नहीं हुआ तो ओमप्रकाश चौधरी उसे किस आधार पर उठाकर चौकी ले आया।
- चोरी का मोबाइल खरीदने का आरोप मुकन सिंह पर लगाते हुए उसे पकड़ा है तो वह व्यक्ति कौन तथा कहां है, जिसने मोबाइल चुराया (आईपीसी धारा 379) है। क्या उसके विरुद्ध प्रकरण दर्ज है?
- बिना प्रकरण दर्ज हुए और बिना चोर को पकड़े ओमप्रकाश को कैसे पता चला कि मुकन सिंह ने चोरी का मोबाइल खरीदा। पुलिस विभाग के ही सूत्र बताते हैं कि उसने बिना प्रकरण दर्ज किए गैरकानूनी तरीके से कॉल डिटेल और मोबाइल लोकेशन निकलवाई है। यह काम सिर्फ एसपी की स्वीकृति से संभव है।
- क्या पाली पुलिस में आसानी से हर किसी की कॉल डिटेल और लोकेशन निकाली जा सकती है? जिस मोबाइल कॉल ट्रेस मुद्दे पर गहलोत सरकार के मंत्री और गृह सचिव घिर चुके हैं। उसे पाली पुलिस के ये कारकून आसानी से अंजाम दे रहे हैं। यह खुले तौर पर निजता के अधिकार का उल्लंघन है।
- क्या पाली पुलिस ओमप्रकाश को गिरफ्तार करके मुकनसिंह की मौत तथा उसके विरुद्ध पहले के मामलों में भी जांच करके गरीब परिजनों को न्याय दिलाएगी।
- क्या राजस्थान पुलिस ओमप्रकाश को दिया गया गैलेंट्री प्रमोशन वापस लेगी?
- क्या पाली पुलिस अधीक्षक इस मामले में उनके दफ्तर से कॉल डिटेल बेच रहे कारकूनों पर कोई कार्रवाई करेंगे?
- क्या राजस्थान पुलिस पाली एसपी आफिस तथा थानों के इस खेल पर कोई संज्ञान लेगी।
- क्या राजस्थान पुलिस पाली में एक ही वर्ग के लोगों द्वारा चलाए जा रहे पुलिसिया गिरोह के खिलाफ कोई एक्शन लेगी?