सिरोही पुलिस का अमानवीय चेहरा : ट्रेक्टर-बाइक की टक्कर में बाइक सवार युवक के पांव में हुआ था 3 जगह फैक्चर, हेडकांस्टेबल राजाराम प्रजापत ने इलाज कराना तो दूर धमकाकर भगाया

सिरोही जिले के मंडार थाना क्षेत्र के रानीवाड़ा सड़क मार्ग पर रविवार को हुई ट्रेक्टर मोटरसाइकिल भिंड़त का वो मामला तो आपके जहन में अभी भी ताज़ा ही होगा, जिसमें मौके पर पहुंचे हेडकांस्टेबल राजाराम प्रजापत ने चंद रुपयों के लालच में आकर पीडि़त मोटरसाइकिल चालक को डरा धमका कर मौके से भगा दिया था।

सिरोही।
सिरोही जिले के मंडार थाना क्षेत्र के रानीवाड़ा सड़क मार्ग पर रविवार को हुई ट्रेक्टर मोटरसाइकिल भिंड़त का वो मामला तो आपके जहन में अभी भी ताज़ा ही होगा, जिसमें मौके पर पहुंचे हेडकांस्टेबल राजाराम प्रजापत ने चंद रुपयों के लालच में आकर पीडि़त मोटरसाइकिल चालक को डरा धमका कर मौके से भगा दिया था। आज हम उस मामले में एक और बड़ी खबर आपको बताने जा रहे हैं। दरअसल उस दुर्घटना में मोटरसाइकिल चालक छगनाराम के एक ही पैर में तीन जगह से फैक्चर हो गया। लेकिन खाकी के डर के आगे उस लाचार व्यक्ति की किसी ने नहीं सुनी और हेडकांस्टेबल राजाराम ने लापरवाह ट्रेक्टर चालक से सांठगांठ कर पीडि़त छगनाराम को शराब के नशे में होने से मेडिकल करवाकर मुकदमें में फंसाने की धमकी देकर मौके से भगा दिया। अशिक्षित और ग्रामीण परिवेश का छगनाराम भी दर्द से कहराते हुए वहां से चुपचाप रवाना गया। 


बाइक तक स्टार्ट नहीं कर पा रहा था छगना राम
हादसे के बाद हेडकांस्टेबल राजाराम प्रजापत ने डांट फटकार लगाकर घायल को मौके से रवाना तो कर दिया, लेकिन पीडि़त छगनाराम के पैर में फैक्चर होने के चलते वो मोटरसाइकिल स्टार्ट करने के लिए टूटे पैर से किक भी सही ढंग से नही लगा पा रहा था। इस पर हेडकांस्टेबल प्रजापत ने ही मौके पर खड़े दूसरे पुलिसकर्मियों से कहकर वो मोटरसाइकिल स्टार्ट करवाकर छगनाराम को उस पर बिठाया था। लेकिन पैर में फैक्चर होने के चलते वो ठीक से मोटरसाइकिल चला भी नहीं पा रहा था।


घर के बाहर परिजनो ने संभाला
हेडकांस्टेबल उसे शराबी बता रहे थे। जैसे ही छगनाराम अपने निवास स्थान पहुंचा, पैर में फैक्चर होने के कारण वहां भी वो मोटरसाइकिल ठीक से खड़ी नहीं कर पाया। वो मोटरसाइकिल के साथ ही घर के दरवाजे के बाहर गिर गया। इस पर उसके परिजनों ने आकर उसे खड़ा किया और अस्पताल ले गए। जहां डॉक्टर ने उसके पैर में फैक्चर बताकर उसे गुजरात के धानेरा रैफर कर दिया। छगनाराम ने धानेरा स्थित एक निजी अस्पताल पहुंचकर अपना  इलाज़ करवाया। डॉक्टर ने फिलहाल उसके पैर का प्लास्टर कर सात दिन इंतज़ार करने की सलाह दी हैं। यदि उसके बाद भी हड्डियां नहीं जुड़ी तो ऑपरेशन करना पड़ेगा।
बड़ा सवाल: क्या शराबी दुर्घटना में घायल हो जाए तो क्या अस्पताल नहीं पहुंचाएगी पुलिस?
अगर हम मान भी लें कि रविवार को जिस वक्त ये हादसा हुआ उस वक्त छगनाराम ने शराब पी रखी होगी! यदि शराब के नशे में अगर उस व्यक्ति को कोई टक्कर मार दें, और वो शराबी उस टक्कर में घायल हो जाए तो क्या पुलिस उस व्यक्ति को शराबी मानकर उसे अस्पताल नही पहुँचाएगी? पुलिस अपने आपको जिस सीआरपीसी  के नियमों पर चलने की बात करती हैं, उस में तो कहीं भी ऐसा लिखा हुआ नहीं हैं कि किसी घायल शराबी को अस्पताल नहीं पहुंचाया जाए। फिर मंडार थाने में तैनात हेडकांस्टेबल राजाराम प्रजापत ने ऐसा क्यों किया? 
क्या चंद रुपये एक इंसान की जिंदगी से ज्यादा जरूरी होते हैं कि अपनी जेब गर्म करने के लिए आप सामने वाले को मरने के लिए छोड़ दें? किसी भी हादसे में घायल को अस्पताल पहुंचाने का काम भले ही पुलिस का ना हो, लेकिन मानवता और नैतिकता के चलते तो घायल को अस्पताल में पहुंचाया जा सकता है। फिर हेडकांस्टेबल राजाराम प्रजापत ने अपना फर्ज निभाने की जगह उस घायल छगनाराम को डरा धमका कर वहां से क्यों भगाया गया? क्या सिरोही जिला पुलिस अधीक्षक इस बात का जवाब दे सकते हैं?
छगनाराम ने शराब पी तो रविवार को कहां से ?
प्रदेशभर में कोरोना के चलते प्रत्येक रविवार को वीकेंड कफ्र्यू लगा रहता हैं। जिसके कारण एक भी शराब की दुकान खुली नहीं रह सकती। फिर रविवार को हुए इस हादसे में घायल छगनाराम ने शराब कहां से खरीदकर पी? क्या इसका जवाब हेडकांस्टेबल राजाराम प्रजापत दे सकते हैं?  यदि हेडकांस्टेबल उस पीडि़त व्यक्ति को शराब पिया हुआ मानते हैं तो फिर हेडकांस्टेबल को ये भी स्वीकार करना पड़ेगा कि उनके कार्यक्षेत्र में वीकेंड कफ्र्यू के बावजूद शराब की बिक्री हो रही हैं? और यदि ऐसा हैं तो ये इस बात की पुष्टि हैं कि हेडकांस्टेबल राजाराम सहित मंडार थाना पुलिस कोरोना गाइडलाइन का पालन करवाने में पूरी तरह से विफल हैं, जिसके चलते इस क्षेत्र में शराब की अवैध बिक्री हो रही हैं और लोगो को शराब आसानी से मिल रही हैं?