बदहाल आबू, गठजोड़ की बेशर्म राजनीति: माउंट आबू में तीन दिन से महिला अनशन पर, आबू के लोगों की दुर्गति के लिए बीजेपी और कांग्रेस दोनों साथ है

राजनीतिक रसूखदारों के कारण आम आदमी हर तरह से परेशान है। उसे मरम्मत कार्य निर्माण आदि की कोई अनुमति नहीं मिल पाती है। बावजूद इसके राजनीतिक रसूखदार यहां कुछ भी कर लेते हैं। उनका कहना है कि यहां एक नई किस्म की पॉलिटिकल गुंडागर्दी शुरू हो गई है। कुछ लोग अवैध रूप से पूरे शहर में अपना वर्चस्व बनाना चाहते हैं।

Manju Gurbani on Fasting in Mount Abu

माउंट आबू | राज्य की ग्रीष्मकालीन राजधानी माउंट आबू को बर्बाद करने में अफसर और राजनेताओं का गठजोड़ नागरिकों के लिए जीने दूभर करने का कारण बन चुका है। पर्यावरण की बदहाली तो छोड़िए लोगों को परेशान करने के लिए भी बीजेपी और कांग्रेस के नेताओं का गठजोड़ भी सामने आ रहा है।

जानकर आश्चर्य होता है कि रसूखदारों से प्रताड़ित एक महिला तीन दिन से अनशन पर बैठी हैं, लेकिन सुनवाई करने वाला कोई नहीं है। हालात इस कदर बिगड़ चुके हैं कि इस तरह की बदहाली के लिए ​बीजेपी और कांग्रेस दोनों एक हो चुके हैं।

माउंट आबू की एक महिला होटल व्यवसाई मंजू गुरबानी का कहना है कि कांग्रेस के नेता उनके होटल को नुकसान पहुंचा रहे हैं। उनका आरोप है कि होटल के कमरे की खिड़कियां बंद कर दी गई है और सीवरेज का बहाव रोक दिया गया है। आरोप है कि इस शहर को आर्थिक लाभ का अड्डा बना दिया गया है।

राजनीतिक रसूखदारों के कारण आम आदमी हर तरह से परेशान है। उसे मरम्मत कार्य निर्माण आदि की कोई अनुमति नहीं मिल पाती है। बावजूद इसके राजनीतिक रसूखदार यहां कुछ भी कर लेते हैं। उनका कहना है कि यहां एक नई किस्म की पॉलिटिकल गुंडागर्दी शुरू हो गई है। कुछ लोग अवैध रूप से पूरे शहर में अपना वर्चस्व बनाना चाहते हैं। लोगों को डराया धमकाया जाता है जिसमें यहां के अधिकारी बराबर के शरीक हैं।

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इस तरह सामने आ रहा है गठजोड़
आम लोगों को परेशान करने में बीजेपी और कांग्रेस वाली बात हम अनायास ही नहीं लिख रहे। यह एक हकीकत है। मंजू गुरबाणी के अनशन पर होने की खबर पर आबू—पिण्डवाड़ा के विधायक समाराम गरासिया ने एक ट्वीट किया। उन्होंने प्रशासन को बेशर्म और लाचार बताते हुए यह ट्वीट किया। परन्तु किसी दबाव में थोड़ी देर बाद ही ट्वीट डिलीट कर दिया।

इससे साफ है कि बीजेपी नेताओं की भी इसमें सहभागिता है। एक महिला 3 दिनों से अनशन पर है मगर राजनीतिक दबाव में अधिकारी सुध नहीं रहे। गुरबानी का कहना है राजनीतिक पार्टी के नेता की महत्वाकांक्षाओं की पूर्ति करने में प्रशासन जुटा हुआ है। नगर पालिका से लेकर उपखंड अधिकारी तक इस मामले को उपेक्षित रखना चाहते हैं और उधर अनशन लगातार जारी रहने के कारण गुरबानी का स्वास्थ्य गिर रहा है।

हालांकि प्रशिक्षण शिविर में आए भाजपा विधायक मदन दिलावर ने मंजू गुरबानी से मुलाकात कर पूरे मामले की जानकारी ली और विधानसभा में सवाल उठाने का आश्वासन जरूर दिया। परन्तु समाराम गरासिया का बदला रुख कई सवाल खड़े कर रही है। यह इस बात को भी प्रदर्शित करता है कि जिले की पूरी भाजपा कांग्रेस के दबाव में काम कर रही है।

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इसको यूं कह लें कि कांग्रेस ही भाजपा को चला रही है, वरना यह मुद्दा इतना बड़ा है कि भाजपा के पास एक बड़ा अवसर था कांग्रेस को घेरने का। मगर कांग्रेस के पिछलग्गू बने रहने की भाजपा पदाधिकारियों की आदत राजनीतिक रूप से कुछ भी नहीं कर पाई उनका यह मिजाज एक महिला की जान को सांसत में डाल रहा है।

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