China का हंगरी में विरोध: हंगरी की राजधानी बुड़ा पोस्ट में चीनी यूनिवर्सिटी शुरू करने का जमकर विरोध, हजारों लोग सडक़ों पर

हंगरी सरकार ने राजधानी बुडापेस्ट में चीन की फुदान यूनिवर्सिटी का कैम्पस खोलने की मंजूरी दी थी। इसका काम भी शुरू हो गया था। प्रधानमंत्री विक्टर ओरबन (Viktor Orban) ने इसे शिक्षा में सुधार के लिए जरूरी फैसला बताया था। विक्टर को चीन का करीबी माना जाता है। पहले तो इसका मामूली विरोध हुआ। अब हजारों लोग सडक़ों पर उतर आए हैं। 

नई दिल्ली।
हंगरी में China की फुदान यूनिवर्सिटी (Fudan University) का कैम्पस खोलने के विरोध में अब जनता सडक़ों पर आ गई। लोगों का आरोप है कि हंगरी सरकार ने चीन के दबाव में आकर राजधानी बुडापेस्ट (Budapost) में इस कैम्पस को खोले जाने की मंजूरी दी थी। इस यूनिवर्सिटी का विरोध करने वालों का आरोप है कि अगर चीनी यूनिवर्सिटी का कैम्पस देश में खुलेगा तो इससे कम्युनिस्ट विचारधारा को बढ़ावा मिलेगा और कम्युनिस्ट हावी हो जाएंगे। एक महीने में दूसरा मौका है जब चीन को यूरोप में विरोध का सामना करना पड़ा है।
जानकारी के मुताबिक हंगरी सरकार ने राजधानी बुडापेस्ट में China की फुदान यूनिवर्सिटी का कैम्पस खोलने की मंजूरी दी थी। इसका काम भी शुरू हो गया था। प्रधानमंत्री विक्टर ओरबन (Viktor Orban) ने इसे शिक्षा में सुधार के लिए जरूरी फैसला बताया था। विक्टर को चीन का करीबी माना जाता है। पहले तो इसका मामूली विरोध हुआ। अब हजारों लोग सडक़ों पर उतर आए हैं। 
वहीं दूसरी ओर हंगरी सरकार ने अप्रेल के पहले हफ्ते में बुडापेस्ट के बाहरी इलाके में फुदान यूनिवर्सिटी का कैम्पस खोलने को मंजूरी दी। यहां मंजूरी मिली, और वहां काम भी शुरू हो गया। यानी पहले से काफी कुछ चल रहा था। सरकार का कहना है कि फुदान वल्र्ड क्लास यूनिवर्सिटी है और इससे एजुकेशन लेवल इम्प्रूव होगा। विरोध प्रदर्शन के बाद सरकार इसे फिजूल और सियासी पैंतरा बता रही है। चीन के लिए इन प्रदर्शनों में परेशानी की एक और वजह भी है। प्रदर्शन के दौरान कुछ लोगों ने बैनर्स लिए हुए थे। इनमें दलाई लामा और शिनजियांग प्रांत के उईगर मुस्लिमों के साथ हो रही ज्यादती का जिक्र था। China इन दोनों ही मुद्दा पर बचाव की मुद्रा में होता है। बुडापेस्ट के मेयर जर्गेली कार्कोनी ने तो यहां तक कहा कि शहर की दो सडक़ों के नाम दलाई लामा और उईगर मुस्लिमों के शहीदों के नाम पर रखे जाएंगे।