नेपाल की संसद भंग: नेपाल की राष्ट्रपति ने संसद सभा भंग कर मध्यावधि चुनाव कराने का किया एलान
नेपाल की राष्ट्रपति विद्या देवी भंडारी ने नेपाल की संसद सभा को भंग कर मध्यावधि चुनाव के लिए नई तारीखों का ऐलान कर दिया है। अब नेपाल में 12 और 19 नवंबर को मध्यावधि चुनाव होंगे।
नई दिल्ली।
नेपाल (Nepal) की राष्ट्रपति विद्या देवी भंडारी (President of Nepal Vidya Devi Bhandari) ने नेपाल की संसद सभा को भंग कर मध्यावधि चुनाव के लिए नई तारीखों का ऐलान कर दिया है। अब नेपाल में 12 और 19 नवंबर को मध्यावधि चुनाव होंगे। इससे पहले उन्होंने प्रधानमंत्री पद के लिए शेर बहादुर देउबा (Sher Bahadur Deuba) और केपी शर्मा ओली (KP Oli) दोनों के दावों को खारिज किया। शुक्रवार को नई सरकार बनाने की समय सीमा खत्म होने से पहले नेपाली कांग्रेस के अध्यक्ष शेर बहादुर देउबा और सीपीएन के सत्ताधारी केपी शर्मा ओली ने नई सरकार के लिए अपना दावा पेश किया था। देउबा ने 149 और ओली ने 153 सदस्यों का समर्थन होने का दावा किया था। इससे पहले गुरुवार शाम को ओली ने कहा था कि वे सरकार बनाने के लिए बहुमत जुटाने में विफल रहे हैं।
राष्ट्रपति ने सरकार बनाने के लिए आवेदन की डेडलाइन शुक्रवार शाम 5 बजे रखी थी। ऐसे में राष्ट्रपति विद्या देवी भंडारी को देउबा और ओली में से किसी एक को चुनना था। इधर, ओली के 27 सांसद भी देउबा की उम्मीदवारी का समर्थन कर रहे थे। नेपाली संविधान के अनुसार, बहुमत वाली पार्टी के नेता को राष्ट्रपति पीएम नियुक्ति करती हैं। बहुमत न हो, तो राष्ट्रपति गठबंधन सरकार बनाने की अपील करते हैं। वो भी नहीं बनती, तो राष्ट्रपति सबसे बड़ी पार्टी के नेता को पीएम नियुक्त करती हैं। आखिरी रास्ता है कि कोई सांसद बहुमत हासिल करें। यदि ऐसे भी सरकार नहीं बनती है और संसद भंग हो जाती है। तब छह महीने के अंदर फिर से चुनाव कराना होता है।
अपनी ही पार्टी का विरोध झेल रहे थे ओली
सूत्रों के मुताबिक नेपाल के प्रधानमंत्री केपी ओली (Prime Minister KP Oli) अपनी ही पार्टी में विरोध का सामना कर रहे थे। उन पर एकतरफा तरीके से पार्टी और सरकार चलाने के आरोप लग रहे थे। कम्यूनिस्ट पार्टी ऑफ़ नेपाल (यूएमएल) और कम्यूनिस्ट पार्टी ऑफ़ नेपाल (माओवादी) के साल 2018 में एकीकरण के बाद केपी ओली को प्रधानमंत्री चुना गया था। सीपीएन (माओवादी) के नेता पुष्प कमल दहल प्रचंड (pushp kamal dahal prachand) एकीकृत पार्टी के सह अध्यक्ष बने थे, लेकिन, बाद में पार्टी में सत्ता संघर्ष शुरू हो गया। ऐसे में भारत और नेपाल के बीच सीमा विवाद होने पर भी पुष्प कमल दहल और झालानाथ खनल जैसे पार्टी के वरिष्ठ नेताओं ने केपी ओली के फैसलों पर सवाल उठाए थे।