गृह विभाग ने एसपी को दिए निर्देश: गृह विभाग ने सिरोही एसपी को नगर परिषद के सभापति के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर तथ्यात्मक रिपोर्ट भेजने के दिए निर्देश, मिथ्या शपथ पत्र देकर चुनाव लड़ने का मामला

सिरोही नगर परिषद के सभापति महेंद्र मेवाड़ा की मुश्किले अब बढ़ने वाली है। राजस्थान सरकार के गृह विभाग ने सिरोही जिला पुलिस अधीक्षक को मेवाड़ा के खिलाफ मिली शिकायत पर कार्रवाई करते हुए एफआईआर दर्ज कराने और रिपोर्ट दर्ज करने के बाद मामले में तथ्यात्मक रिपोर्ट शीघ्र भेजने के निर्देश ​जारी किए है।

सिरोही।
सिरोही नगर परिषद के सभापति महेंद्र मेवाड़ा की मुश्किले अब बढ़ने वाली है। राजस्थान सरकार के गृह विभाग ने सिरोही जिला पुलिस अधीक्षक को मेवाड़ा के खिलाफ मिली शिकायत पर कार्रवाई करते हुए एफआईआर दर्ज कराने और रिपोर्ट दर्ज करने के बाद मामले में तथ्यात्मक रिपोर्ट शीघ्र भेजने के निर्देश ​जारी किए है। जानकारी के मुताबिक नगर परिषद चुनाव में फर्जी शपथ पत्र लगाने और झूठी जानकारी देने के मामले में गृह विभाग ने बुधवार को पुलिस अधीक्षक सिरोही को पत्र लिखा है। 


जानकारी के मुताबिक जोधपुर के चांदपोल निवासी रामनिवास डागा ने सभापति के खिलाफ गृह विभाग को पत्र लिखा था। डागा ने आरोप लगाया था कि नगरपरिषद चुनाव के दौरान महेंद्र मेवाड़ा ने नगर परिषद के वार्ड संख्या दो से पार्षद का चुनाव लड़ा था। इस चुनाव के दौरान नामांकन पत्र के साथ प्रस्तुत किए साक्ष्य दस्तावेज में मिथ्या और झूठी जानकारी देकर चुनाव आयोग को गुमराह करके चुनाव लड़ा और चुनाव जीता। पार्षद चुनाव के बाद हुए सभापति चुनाव में भी महेंद्र मेवाड़ा ने झूठी व मिथ्यापूर्वक जानकारी देकर सभापति का चुनाव लड़ा और सभापति का चुनाव जीता। इस पर प्रार्थी ने सिरोही पुलिस थाने में कई दफा मुकदमा दर्ज कराने के लिए शिकायत दी गई, लेकिन पुलिस ने मामला दर्ज नहीं किया था। इस पर डागा ने गृह विभाग को मामले की जानकारी देते हुए कार्रवाई करने का अनुरोध किया था। 


सिरोही एसडीएम ने दर्ज कराया था मुकदमा

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परिषद के चेयरमैन महेन्द्र मेवाड़ा, एसडीएम ने कोर्ट में पेश

किया परिवाद

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सिरोही नगर परिषद के सभापति महेंद्र मेवाड़ा के विरुद्ध इस माह मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट के समक्ष सिरोही उपखंड अधिकारी हँसमुख कुमार ने परिवाद पेश किया था। इसे कोर्ट ने स्वीकार कर लिया था।  उपखंड अधिकारी हंसमुख कुमार ने भी रामनिवास डागा की शिकायत का हवाला देते हुए मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट के सामने भारतीय दंड संहिता की धारा 191 व 193 के तहत परिवाद पेश किया गया था। इसमें फर्जी शपथ पत्र और मिथ्या जानकारी देने पर कार्रवाई करने की मांग की गई थी
यह है मामला 
सिरोही के मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट के समक्ष पेश हुए परिवाद ने बताया गया हैं कि जिस समय महेंद्र मेवाड़ा ने चुनाव लड़ा, उस समय नामांकन पत्र के साथ प्रस्तुत किए 50 रुपये के नॉन ज्यूडिशियल स्टाम्प पर अपने घोषणा पत्र में कॉलम संख्या 5 में "किसी लंबित मामले में छः माह या अधिक कारावास से दंडनीय किसी अपराध का अभियुक्त नही हूँ, जिसमें सक्षम न्यायालय द्वारा आरोप विरचित कर दिए गए, में शून्य लिखा। जबकि उनके विरुद्ध उस समय विशिष्ट न्यायाधीश (एससी/एसटी एक्ट) सिरोही में जुर्म दफा 447, आईपीसी व 3(I)(R)(s)(f),  3(2) (va) अनुसूचित जाति, जनजाति अत्याचार निवारण संशोधन अधिनियम 2015 के अंतर्गत प्रसंज्ञान लिया गया था और आरोप भी विरचित कर दिया गया था। जिसके प्रकरण संख्या 113/2018 हैं।  जिसमें 16 नवम्बर 2018 को न्यायालय द्वारा प्रसंज्ञान लिया गया, साथ ही 23 जनवरी 2019 को न्यायालय ने चार्ज भी सुना दिया। इसके अलावा न्यायिक मजिस्ट्रेट पिंडवाड़ा में महेंद्र मेवाड़ा के विरुद्ध जुर्म दफा 385, 193 व 120 बी आईपीसी के तहत प्रसंज्ञान लेकर आरोप विरचित किए गए थे। जिसके प्रकरण संख्या 299/2016 हैं... इस मामले में भी 11 मई 2016 को प्रसंज्ञान लेकर 11 अक्टूबर 2016 को आरोप सारांश सुनाया गया था... लेकिन निर्वाचन के समय इन दोनों मामलों को छुपाते हुए मिथ्या घोषणा पत्र पेश के महेंद्र मेवाड़ा ने चुनाव लड़ा और जीता, जो चुनाव आयोग के नियमों के विरुद्ध हैं।