Rajasthan: यूनाइटेडग्लोबल पीस फाउण्डेशन के वसुधा मेरी मां कार्यक्रम में पर्यावरण प्रहरियों का सम्मान
यूनाइटेडग्लोबल पीस फाउंडेशन की ओर से गुरुवार को अंतरराष्ट्रीय पर्यावरण दिवस के अवसर पर वैशाली नगर, जयपुर में “वसुधा मेरी मां” कार्यक्रम का आयोजन हुआ। कार्यक्रम का शुभारंभ फाउंडेशन के निदेशक ब्रिगेडियर जितेन्द्र सिंह शेखावत के स्वागत उद्बोधन से हुआ। उन्होंने बताया कि फाउंडेशन पर्यावरण संरक्षण समेत 11 प्रमुख सामाजिक सरोक
जयपुर | यूनाइटेडग्लोबल पीस फाउंडेशन की ओर से गुरुवार को अंतरराष्ट्रीय पर्यावरण दिवस के अवसर पर वैशाली नगर, जयपुर में “वसुधा मेरी मां” कार्यक्रम का आयोजन हुआ। कार्यक्रम का शुभारंभ फाउंडेशन के निदेशक ब्रिगेडियर जितेन्द्र सिंह शेखावत के स्वागत उद्बोधन से हुआ। उन्होंने बताया कि फाउंडेशन पर्यावरण संरक्षण समेत 11 प्रमुख सामाजिक सरोकारों पर प्रभावी कार्य कर रहा है। सेना में रहते हुए उनके पर्यावरणीय अनुभवों ने कार्यक्रम को नई दृष्टि प्रदान की।
भारतीय मौसम विभाग के पूर्व महानिदेशक और विज्ञान भारती के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष डॉ. लक्ष्मण सिंह राठौड़ ने अपने संबोधन में कहा कि आज प्लास्टिक हमारे जीवन में घुल चुका है, हमें अणुव्रत की भावना से छोटे-छोटे संकल्प लेकर जीवनशैली में बदलाव लाना होगा। उन्होंने डायनासोर के विलुप्त होने का उदाहरण देते हुए कहा कि यदि मनुष्य ने अति की तो धरती तो बच जाएगी लेकिन मानव जाति नहीं। उन्होंने खेती में कीटनाशकों के अंधाधुंध प्रयोग को नियंत्रित करने की बात भी कही और संत जाम्भोजी को विश्व का पहला पर्यावरण संत बताया।
पद्मश्री लक्ष्मण सिंह लापोरिया ने कहा कि जल, मृदा और वनस्पति के संरक्षण के साथ-साथ सामाजिक सहभागिता जरूरी है। उन्होंने अपने गांव लापोरिया में विकसित किए गए जल संरक्षण मॉडल और स्थानीय तकनीकों की विस्तार से जानकारी दी। पद्मश्री सुण्डाराम वर्मा ने बताया कि किस तरह एक लीटर पानी में भी एक पेड़ को जीवन भर सुरक्षित रखा जा सकता है। उन्होंने कहा कि हमें हिमालय से पानी लाने की योजनाएं बनानी पड़ रही हैं, लेकिन हम अपने खेतों से संवाद नहीं कर रहे—हमें अपने पर्यावरण को स्थानीय तकनीकों से सहेजना होगा।
आईपीएस अधिकारी देवेंद्र विश्नोई ने संत जाम्भोजी की शिक्षाओं पर आधारित एक प्रभावशाली वक्तव्य दिया। उन्होंने सौर पैनलों के भविष्य में पर्यावरणीय खतरे बनने की आशंका, मरुस्थल क्षेत्रों में खेजड़ी के कटान और अनियंत्रित खनन पर चिंता जताई। उन्होंने कहा कि पर्यावरण संरक्षण के लिए केवल नीतिगत नहीं बल्कि सामाजिक और आत्मिक भावनाओं का समावेश आवश्यक है।
फाउंडेशन के चेयरमैन मेघराज सिंह रॉयल ने ‘प्रोजेक्ट धुन’ की जानकारी दी, जिसे कतर फाउंडेशन, किंग चार्ल्स फाउंडेशन और हार्वर्ड विश्वविद्यालय के सहयोग से संचालित किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि यह परियोजना न केवल पर्यावरणीय समाधान बल्कि रोजगार, संस्कृति और आत्मनिर्भरता को भी जोड़ती है। उन्होंने बताया कि फाउंडेशन आमजन के सहयोग से प्रतिदिन ₹1 की भावना से जुड़ाव बढ़ा रहा है।
निदेशक शक्ति सिंह बांदीकुई ने ‘ओरण’ और ‘गोचर’ जैसी पारंपरिक व्यवस्थाओं के महत्व को रेखांकित किया और बताया कि प्रकृति हमें सब कुछ देती है, इसलिए हमें भी उसे लौटाना चाहिए। उन्होंने फाउंडेशन द्वारा कन्या विवाह, प्रतियोगी परीक्षा प्रशिक्षण और युवाओं के लिए रोजगार सृजन जैसे विषयों पर किए जा रहे कार्यों की जानकारी दी।
इस कार्यक्रम में सुशील कुमार अग्रवाल, सुरेन्द्र अवाना और औंकार सिंह शेखावत को पर्यावरण प्रहरी सम्मान से सम्मानित किया गया। इन्हें सम्मान पत्र, मोमेंटो और दुपट्टा भेंट कर सम्मानित किया गया। कार्यक्रम के अंत में पर्यावरण की रक्षा करते हुए बलिदान देने वाले राधेश्याम पेमाणी, श्याम विश्नोई, कंवराज सिंह और वनरक्षक सुरेन्द्र चौधरी को श्रद्धांजलि अर्पित की गई।
कार्यक्रम में राजेश जैन, मुकुल गोस्वामी, के.के. बोहरा, डॉ. रामकेश सिंह परमार, गायिका कविता, आरपीएस धर्म सिंह, श्यामप्रताप सिंह ईटावा, मुकेश मेघवाल, डॉ. रूपक सिंह सहित बड़ी संख्या में प्रबुद्ध नागरिक, पर्यावरण प्रेमी और किसान उपस्थित रहे।