जालोर में दलित छात्र की मौत: मासूम बच्चों से बार-बार पूछा जा रहा सवाल क्या स्कूल में मटका था

सुराणा के सरस्वती विद्यालय मंदिर स्कूल के छोटे-छोटे मासूम बच्चों से यह सवाल बार-बार पूछा जा रहा है। सवाल करने वाले पता नहीं कितने ही है लेकिन जवाब देने वाले बच्चे वो के वो। उन्हें लग रहा है कि इन दिनों वे पढ़ने नहीं केवल सवालों का जवाब देने आए है। गांव में एक अजीब तरह का गुस्सा, खामोशी और खीझ है।

जालोर। जिले का सुराणा गांव इन्द्रकुमार की मौत के बाद सवालों से घिरा हुआ है। हर व्यक्ति सवाल और जवाब बना हुआ है। आने वाला कोई भी हों उनसे सवाल करता है कि क्या स्कूल में भेदभाव होता था? क्या मटका स्कूल में था? क्या यहां पर मारपीट हुई थी। हद हो गई है कि सुराणा के सरस्वती विद्यालय मंदिर स्कूल के छोटे-छोटे मासूम बच्चों से यह सवाल बार-बार पूछा जा रहा है। सवाल करने वाले पता नहीं कितने ही है लेकिन जवाब देने वाले बच्चे वो के वो। उन्हें लग रहा है कि इन दिनों वे पढ़ने नहीं केवल सवालों का जवाब देने आए है। गांव में एक अजीब तरह का गुस्सा, खामोशी और खीझ है।

लोग अंदर तक उखड़े हुए है, इन सवालों के जवाब को लेकर। जवाब तो इन्द्रकुमार की मौत भी मांग रही है कि आखिर, पुलिस इसका दूध का दूध और पानी का पानी कब करेगी? सरकार तक इस मौत से हिली हुई है। इन्द्रकुमार की मौत के साथ ही सुराणा गांव सवालों के घेरे में आ गया और मंगलवार को भी यह सिलसिला जारी रहा। आरोपी शिक्षक छैलसिंह ने ऐसा कितना और कैसे मारा कि बच्चे की मौत हो गई? इसका जवाब तलाशा जा रहा है। दूसरा सवाल यह है कि स्कूल में भेदभाव का मटका था या नहीं? पुलिस अभी तक पुष्टि नहीं कर रही है। एफआइआर में मटके का उल्लेख है तो गांव और अन्य लोग बार-बार कह रहे है कि मटका था ही नहीं?

कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष गोविंदसिंह डोटासरा सहित प्रदेशभर के पक्ष विपक्ष के कई जनप्रतिनिधि इन्द्र को श्रद्धांजलि देने आ चुके है। मासूम की मौत आंखों को नम कर जाती है। परिजनों के सुनने के साथ न्याय के साथ खड़े होने का भरोसा हर कोई दे रहा है। स्कूल में मटका था या नहीं? सवाल का जवाब भले ही अनुत्तरित है लेकिन यह सवाल अब प्रदेश ही नहीं देशभर में इन्द्र की मौत के साथ बहुत बड़ा बन गया है कि आखिरी भेदभाव को लेकर कानून की सख्ती कितनी कड़ी होनी चाहिए?