तपस्या: ठंड के बीच श्री दिगंबर की 17 दिन से अनूठी तपस्या: सनातन संस्कृति के प्रचार-प्रसार का संदेश, भीनमाल में होगी 11 दिवसीय तपस्या
जोधपुर के श्री पंचदशनाम जूना अखाड़े के संत श्री दिगंबर नागराज पुरी महाराज इन दिनों अपनी अनूठी तपस्या के दूसरे चरण में बालोतरा जिले के नागाणा मंदिर के समीप शीतल जलधारा तपस्या कर रहे हैं। उनकी तपस्या का मुख्य उद्देश्य सनातन संस्कृति का प्रचार-प्रसार और समाज को संगठित करना है।
भीनमाल | जोधपुर के श्री पंचदशनाम जूना अखाड़े के संत श्री दिगंबर नागराज पुरी महाराज इन दिनों अपनी अनूठी तपस्या के दूसरे चरण में बालोतरा जिले के नागाणा मंदिर के समीप शीतल जलधारा तपस्या कर रहे हैं। उनकी तपस्या का मुख्य उद्देश्य सनातन संस्कृति का प्रचार-प्रसार और समाज को संगठित करना है।
प्रत्येक दिन सुबह ब्रह्म मुहूर्त में शीतल जलधारा के साथ तपस्या करते हुए महाराज की साधना श्रद्धालुओं के लिए प्रेरणा का स्रोत बन रही है। प्रतिदिन बड़ी संख्या में श्रद्धालु इस तपस्या के दर्शन के लिए पहुंच रहे हैं। आज इस तपस्या का 17वां दिन पूर्ण हुआ।
- श्री दिगंबर नागराज पूरी, पंच दशनाम जूना अखाड़े के महाराज हैं. वे कई कठिन तपस्याएं कर चुके हैं. इनमें से कुछ तपस्याएं इस प्रकार हैं:
- श्री दिगंबर नागराज पूरी ने गर्मियों में 45 दिनों तक पंच धुनी तपस्या की थी.
- उन्होंने जोधपुर से द्वारिका, उत्तराखंड, केदारनाथ, बद्रीनाथ, गंगोत्री, यमुनोत्री, जगन्नाथ पुरी, और रामेश्वरम तक पैदल यात्रा की है.
- उन्होंने 35 दिनों में चारधाम यात्रा भी की है.
- उन्होंने साल 2021 में जोधपुर से द्वारिका पैदल यात्रा भी की थी
भीनमाल में होगा तपस्या का तीसरा चरण
शीतल जलधारा तपस्या का यह दूसरा चरण 25 दिसंबर से शुरू हुआ था और 4 जनवरी को समाप्त होगा। इसके बाद श्री दिगंबर महाराज अपनी 11 दिवसीय तपस्या 5 जनवरी से 16 जनवरी तक जसवंतपुरा रोड, भीनमाल में करेंगे।
सेरणा, जालोर के महिपाल सिंह पुत्र दशरथ सिंह जैतावत ने बताया कि श्रद्धालु कार्यक्रम को सफल बनाने में जुटे हुए हैं। तपस्या का पहला चरण भांडू गांव में आयोजित किया गया था, जहां श्री दिगंबर ने अपनी साधना का प्रारंभ किया था।
तपस्या का उद्देश्य और महत्त्व
गर्मियों के मौसम में 45 से 50 डिग्री तापमान के बीच अग्नि तपस्या कर चुके श्री दिगंबर महाराज ने पूर्व में 55 दिनों में पैदल रामेश्वरम से जगन्नाथ पुरी तक की यात्रा भी पूरी की थी। उनकी तपस्या का उद्देश्य समाज को सनातन संस्कृति की ओर प्रेरित करना और सामाजिक एकता को सशक्त करना है।
श्रद्धालु श्री दिगंबर की तपस्या को अद्वितीय और प्रेरणादायक मानते हैं। उनका यह प्रयास समाज में आध्यात्मिक जागृति फैलाने और सनातन धर्म के मूल्यों को जन-जन तक पहुंचाने का माध्यम बन रहा है।
आगामी तपस्या में भाग लेने और तपस्वी संत के आशीर्वाद हेतु सभी श्रद्धालुओं से भीनमाल पहुंचने की अपील की गई है।