जा सकती है कुर्सी: समस्या में फंस सकते हैं सिरोही नगर परिषद के चेयरमैन महेन्द्र मेवाड़ा, एसडीएम ने कोर्ट में पेश किया परिवाद

सिरोही नगरपरिषद के सभापति महेंद्र मेवाड़ा के विरुद्ध आज मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट के समक्ष सिरोही उपखंड अधिकारी हँसमुख कुमार ने परिवाद पेश किया हैं। जिसे कोर्ट ने स्वीकार कर लिया हैं। उपखंड अधिकारी हंसमुख कुमार ने बताया कि नगरपरिषद चुनाव के दौरान महेंद्र मेवाड़ा ने नगर परिषद के वार्ड संख्या दो से पार्षद का चुनाव लड़ा था।

सिरोही | सिरोही नगर परिषद के सभापति महेंद्र मेवाड़ा के विरुद्ध आज मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट के समक्ष सिरोही उपखंड अधिकारी हँसमुख कुमार ने परिवाद पेश किया हैं। जिसे कोर्ट ने स्वीकार कर लिया हैं। उपखंड अधिकारी हंसमुख कुमार ने बताया कि नगरपरिषद चुनाव के दौरान महेंद्र मेवाड़ा ने नगर परिषद के वार्ड संख्या दो से पार्षद का चुनाव लड़ा था। इस चुनाव के दौरान नामांकन पत्र के साथ प्रस्तुत किए साक्ष्य दस्तावेज में मिथ्या और झूठी जानकारी देकर चुनाव आयोग को गुमराह करके चुनाव लड़ा और चुनाव जीता। पार्षद चुनाव के बाद हुए सभापति चुनाव में भी महेंद्र मेवाड़ा ने झूठी व मिथ्यापूर्वक जानकारी देकर सभापति का चुनाव लड़ा और सभापति का चुनाव जीता। जिसकी शिकायत रामनिवास डागा ने की थी... जिसको लेकर आज मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट के सामने भारतीय दंड संहिता की धारा 191 व 193 के तहत परिवाद पेश किया गया हैं। अब कोर्ट इस पर निर्णय करेगा।

सभापति महेंद्र मेवाड़ा के विरुद्ध यह हैं आरोप
सिरोही के मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट के समक्ष पेश हुए परिवाद ने बताया गया हैं कि जिस समय महेंद्र मेवाड़ा ने चुनाव लड़ा, उस समय नामांकन पत्र के साथ प्रस्तुत किए 50 रुपये के नॉन ज्यूडिशियल स्टाम्प पर अपने घोषणा पत्र में कॉलम संख्या 5 में "किसी लंबित मामले में छः माह या अधिक कारावास से दंडनीय किसी अपराध का अभियुक्त नही हूँ, जिसमें सक्षम न्यायालय द्वारा आरोप विरचित कर दिए गए, में शून्य लिखा। जबकि उनके विरुद्ध उस समय विशिष्ट न्यायाधीश (एससी/एसटी एक्ट) सिरोही में जुर्म दफा 447, आईपीसी व 3(I)(R)(s)(f),  3(2) (va) अनुसूचित जाति, जनजाति अत्याचार निवारण संशोधन अधिनियम 2015 के अंतर्गत प्रसंज्ञान लिया गया था और आरोप भी विरचित कर दिया गया था। जिसके प्रकरण संख्या 113/2018 हैं।

जिसमें 16 नवम्बर 2018 को न्यायालय द्वारा प्रसंज्ञान लिया गया, साथ ही 23 जनवरी 2019 को न्यायालय ने चार्ज भी सुना  दिया। इसके अलावा न्यायिक मजिस्ट्रेट पिंडवाड़ा में महेंद्र मेवाड़ा के विरुद्ध  जुर्म दफा 385, 193 व 120 बी आईपीसी के तहत प्रसंज्ञान लेकर आरोप विरचित किए गए थे।

जिसके प्रकरण संख्या 299/2016 हैं... इस मामले में भी 11 मई 2016 को प्रसंज्ञान लेकर 11 अक्टूबर 2016 को आरोप सारांश सुनाया गया था... लेकिन निर्वाचन के समय इन दोनों मामलों को छुपाते हुए मिथ्या घोषणा पत्र पेश के महेंद्र मेवाड़ा ने चुनाव लड़ा और जीता, जो चुनाव आयोग के नियमों के विरुद्ध हैं.

राज्य निर्वाचन आयोग ने 6 जनवरी को ही दिए थे निर्देश
सिरोही नगरपरिषद के सभापति महेंद्र मेवाड़ा द्वारा मिथ्या घोषणा पत्र पेश करने की शिकायत रामनिवास डागा द्वारा राज्य निर्वाचन आयोग को की गई थी। जिसको लेकर राज्य निर्वाचन आयोग ने 22 दिसम्बर 2020 को सिरोही जिला कलेक्टर को पत्र भेजकर इसकी जांच करने व आरोप सही पाए जाने पर भारतीय दंड संहिता की धारा 191 व 193 के तहत सक्षम न्यायालय में परिवाद प्रस्तुत करने की व्यवस्था करने के निर्देश दिए थे।

जिस पर सिरोही जिला कलेक्टर ने सिरोही एसडीएम हंसमुख कुमार को इसकी जांच सौंप कर, मिथ्या दस्तावेज पाए जाने पर सभापति महेंद्र मेवाड़ा के खिलाफ परिवाद पेश करने के आदेश दिए पर इसके बावजूद एसडीएम हंसमुख कुमार ने सभापति महेंद्र मेवाड़ा को फायदा पहुंचाने के उद्देश्य से जांच करने और परिवाद पेश करने में लम्बा समय व्यतीत किया। 

सभापति महेंद्र मेवाड़ा के मिथ्या शपथ पत्र को लेकर पूर्व पार्षद ने भी की थी शिकायत


सिरोही नगरपरिषद के सभापति महेंद्र मेवाड़ा द्वारा चुनाव के दौरान अपने नामांकन पत्र में झूठी सूचना देकर चुनाव लड़ने व जीतने की शिकायत सिरोही के पूर्व पार्षद जगदीश सेन ने भी जिला प्रशासन को कई बार शिकायतें भेजी, पर जिला प्रशासन और उपखंड प्रशासन ने इसे गंभीरता से नही लिया। जिसका सीधा फायदा महेंद्र मेवाड़ा को मिला और उन्हें सभापति के रूप में काम करने का लंबा समय मिल रहा है। यदि उपखंड अधिकारी ने उन शिकायतों की जांच कर समय तुरन्त परिवाद पेश किया होता तो शायद अब तक कोर्ट का फैसला भी आ जाता औऱ सभापति महेंद्र मेवाड़ा को पद से पदच्युत भी कर दिया गया होता। पर जांच अधिकारी की देरी की वजह से आज करीब डेढ़ साल बाद आज परिवाद पेश किया गया।