साजिश का तालिबानी कनेक्शन: उदयपुर में कन्हैयालाल की हत्या सोची-समझी साजिश
राज्य गृह मंत्री राजेंद्र यादव ने दोनों के पाकिस्तानी कनेक्शन का खुलासा किया। दावा किया गया कि दोनों एक मौलवी के कॉन्टैक्ट में थे। इंडिया से बाहर दूसरे देशों में ट्रेनिंग भी ली। कन्हैयालाल की हत्या सोची-समझी साजिश थी।
उदयपुर। तालिबानी हत्या के बाद गुस्से से भरी आंखें, चीखती आवाजें और नारे अब बंद हो चुके हैं। गुजरे महीने 28 जून को दोपहर करीब ढाई बजे उदयपुर की मालदास स्ट्रीट स्थित टेलर की दुकान में सामान्य दिनों की तरह कारीगरों के साथ व्यस्त कन्हैयालाल (50)। रियाज जब्बार और गौस मोहम्मद दुकान में दाखिल होते हैं। नाप देने के बहाने दुकान मालिक कन्हैयालाल को उलझाते हैं। कन्हैयालाल को भला क्या मालूम कि अगले ही पल उनका सिर, धड़ से अलग होने वाला है। पलभर बाद ही रियाज छुरा निकालता है और ताबड़तोड़ वार करना शुरू कर देता है। कन्हैयालाल खुद को बचाने की कोशिश में दुकान से बाहर भागने की कोशिश करते हैं, पर सफल नहीं हो पाते। दुकान के बाहर निकलते ही उनका सिर, धड़ से कर दिया जाता है। तालिबानी तरीके से की गई इस हत्या की मात्र यही वजह थी- नूपुर शर्मा के समर्थन में कन्हैयालाल ने पोस्ट किया था। इस घटना ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया। राजस्थान के साथ ही पूरे देश में तनाव का माहौल है।सरकार को कर्फ्यू से लेकर इंटरनेट बंद करने जैसे कड़े फैसले लेने पड़े। इन सबके बीच इन हत्यारों के कई किस्से सामने आए और कई खुलासे हुए।
कन्हैयालाल ने नुपूर शर्मा के समर्थन में एक पोस्ट शेयर की थी। मामला उदयपुर शहर के धानमंडी थाने तक भी पहुंचा। कन्हैयालाल को जेल हुई। जब बाहर आया तो शुरू हुआ धमकियों का सिलसिला। डर के मारे दुकान तक नहीं खोल पाया। पुलिस को भी बताया, लेकिन समझौते के नाम मामला रफा-दफा कर दिया। इसके बावजूद धमकियां मिलती रहीं। कन्हैयालाल की रेकी की गई। 28 जून को रियाज अत्तारी और गौस मोहम्मद दुकान में आए। कहा कुर्ता-पायजामा का नाप देना है। कन्हैयालाल नाप ले रहे थे। इसी दौरान रियाज ने धारदार हथियार से कन्हैयालाल की गर्दन काट दी। बीच-बचाव करने आए कारीगर ईश्वर सिंह पर भी ताबड़तोड़ वार किए।
हत्याकांड के बाद पूरा शहर सहम सा गया। अफरा-तफरी मच गई। बाजार बंद होने लगे थे। कोई यकीन नहीं कर पा रहा था, उदयपुर जैसे शहर में दिनदहाड़े ऐसी वारदात हो गई है। कुछ ही देर में लोगों को गुस्सा फूट पड़ा। शहरवासी सड़काें पर उतर आए। शाम तक मौके पर भीड़ जमा हो गई। एहतियात के तौर पर पूरे शहर को छावनी में तब्दील कर दिया गया। इस घटना के बाद करीब 600 जवानों का पुलिस जाब्ता तैनात किया गया। हालात यह थे कि जयपुर से अधिकारियों की टीमें भेजनी पड़ीं।
घटना के बाद पूरे शहर में नाकाबंदी करवाई गई। जयपुर तक पुलिस अधिकारियों की टीम अलर्ट पर आ गई। 10 टीमें बनाईं। इस बीच पुलिस को इनपुट मिला कि आरोपी राजसमंद के भीम-देवगढ़ की तरफ भाग रहे हैं। राजसमंद पुलिस की ओर से नाकाबंदी करवाई गई। इस पर भीम-देवगढ़ पुलिस ने जस्सा खेड़ा के पहले शाम साढ़े 6 बजे (28 जून) आड़ावाला मोड़ पर दोनों को धर-दबोचा। आरोपी उदयपुर से 170 किलोमीटर दूर आ चुके थे। बताया गया कि अजमेर की तरफ भागने वाले थे। पुलिस ने महज 4 घंटे में ही आरोपियों को पकड़ लिया।
एक विवादित पोस्ट के बाद कन्हैयालाल को धमकियां मिलने लगीं। परिवार के लोगों ने आरोप लगाया कि हत्या के डर से थाने में शिकायत भी दी। कोई कार्रवाई नहीं हुई। लोग सोशल मीडिया पर कह रहे थे- इसे जान से मार दो। इस डर से ही उन्होंने पुलिस से मदद मांगी थी। 15 जून को धानमंडी थाने में शिकायत की थी। छह दिन तक उन्होंने दुकान भी नहीं खोली। इसके बाद एएसआई ने समझौता करवा दिया और कहा- कुछ नहीं होगा। दुकान खोलते ही मर्डर कर दिया गया। हत्याकांड ने पूरे देश को हिला कर रख दिया। राजस्थान से एटीएस और एसआईटी टीम भेजी गई। दिल्ली तक हलचल हुई। आखिर 28 जून को NIA की टीम को उदयपुर आना पड़ा। 29 जून को यह केस NIA को ट्रांसफर कर दिया गया। लेकिन, इसी दिन दोपहर ढाई बजे के करीब प्रदेश के राज्य गृह मंत्री राजेंद्र यादव ने दोनों के पाकिस्तानी कनेक्शन का खुलासा किया। दावा किया गया कि दोनों एक मौलवी के कॉन्टैक्ट में थे। इंडिया से बाहर दूसरे देशों में ट्रेनिंग भी ली। कन्हैयालाल की हत्या सोची-समझी साजिश थी।
काफी समझाने-बुझाने के बाद परिवार वाले कन्हैयालाल का अंतिम संस्कार करने को राजी हुए थे। सरकार 51 लाख रुपए दे चुकी है। एक बच्चे को नौकरी देने का भी वादा किया है। कन्हैयालाल के सूने कमरे में आज भी इंसाफ की चीखें सुनाई देती हैं। बड़ी बहन नीमा देवी बिलखती हुई कहती हैं- उन्हें इंसाफ चाहिए। यह कहते हुए उनके भीतर का आक्रोश भी बाहर आ जाता है। कहती हैं जैसे मेरे भाई को काटा है। वैसे ही उनको काटो। कन्हैयालाल का पूरा परिवार दोनों आरोपियों को फांसी देने की मांग कर रहा है। विवाद शुरू हुआ था 8 जून से। 28 जून तक कन्हैया के साथ क्या-क्या हुआ किसी को नहीं पता था। यह बात केवल घर वाले जानते थे कि कन्हैयालाल इतना क्यों डरने लगे थे। उन्हें धमकाया गया कि तुझे जिंदा गाड़ देंगे। इसके बाद कन्हैयालाल ने डर के मारे दुकान को बंद कर दिया। उन्हें बाद में लगा कि समझौता हो चुका है। अब कुछ नहीं होगा। पर हत्यारों ने तो कन्हैयालाल को मारने की पूरी प्लानिंग कर डाली थी। किया भी उन्होंने ऐसा ही। दुकान में घुसकर गला काट डाला।