मवेशियों की खातिर कागज पर बह रहा खून: हाइवे पर वाहनों से टकराकर मरने वाले पशुओं के दर्द से कांप रहा इंसानी दिल
आमतौर पर पशु पास में देखकर उसे दुत्कारने वाले इंसान कभी मवेशियों के लिए कोशिश नहीं करते, लेकिन एक इंसान ऐसा भी है जो मूक मवेशियों के प्राण बचाने के लिए अपना खून बहा रहा है। वह अपने खून से प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर पशु एंबुलेंस जैसी एक छोटी सी मांग कर रहा है।
सिरोही। आज के युग में इंसान अपने स्वार्थ की खातिर रिश्तों का कत्ल कर देता है। कोशिश रहती है कि येन-केन-प्रकरेण उसका स्वार्थ कैसे सिद्ध हो। लेकिन, मतलबी जमाने में कुछ लोग ऐसे भी हैं जो मूक मवेशियों का हित सोचते हैं। इस युग में इंसान को खुद के लिए सोचने से फुर्सत नहीं है, फिर वह मूक मवेशियों के बारे में कैसे सोच सकता है। इसका जवाब है शिवगंज की ओम श्रीगजानंद सेवा समिति अध्यक्ष मंगल कुमार मीणा। मीणा हाइवे पर गुजरने वाले मूक मवेशियों की खातिर अपनी नसों से खून बहाकर प्रधानमंत्री को पत्र लिख रहे हैं। उनकी मांग छोटी सी है। मांग यह है कि हाइवे पर टोल संचालित करने वाली कंपनी वाहनों से टकराकर घायल होने वाले मूक मवेशियों के लिए पशु एंबुलेंस संचालित हो। पशु एंबुलेंस की इस मांग को ना केवल टोल कंपनी अनसुना कर रही है, बल्कि स्थानीय प्रशासन के कान पर भी जूं तक नहीं रेंग रही। सिरोही जिला भामाशाहों की नगरी है और यह हाइवे राजस्थान को गुजरात से जोड़ता है तथा शिवगंज से लगता इलाका पाली जिले का है। ऐसे में पाली व सिरोही जिला प्रशासन हाइवे पर असमय काल का ग्रास बन रहे मूक मवेशियों का जीवन बचाने के लिए गंभीर जतन करने में असफल साबित हो रहे हैं।
राजस्थान को गुजरात से जोड़ने तथा सड़क पर वाहनों का आवागमन सुचारू करने के मकसद से एनएच 14 को फोरलेन हाइवे में बदला गया था। इसकी सार-संभाल के लिए हाइवे पर कई जगह टोल बूथ लगाए गए। टोल कंपनियों ने हाइवे की सार-संभाल के साथ यहां से गुजरने वाले वाहनों को अपनी जेब भरने का जरिया बना लिया। फोरलेन हाईवे के डिवाइडर पर पशु घास की तलाश में आते हैं। यहां अधिकांश संख्या में पशुओं का जमावड़ा रहता है। बारिश के मौसम में अधिकांश संख्या में पशु चराई के लिए सड़कों पर विचरण करते हैं। अचानक सड़क क्रॉस करते वक्त पशु हादसों का शिकार बन जाते हैं। पशुपालकों के लिए उनके पशु ही जीविकोपार्जन का जरिया होते हैं। बीते कुछ सालों से कई पशुपालकों के पशु मर चुके हैं तो सैकड़ों आवारा पशु भी हादसे के शिकार होकर काल का ग्रास बन चुके हैं।
पिछले कुछ समय से हाइवे पर पशु के दुर्घटनाग्रस्त होने की सूचना मिलते ही ओम श्रीगजानन सेवा समिति के अध्यक्ष मंगल कुमार मीणा समेत उनके कार्यकर्ता सड़कों पर एकत्रित होकर घायल पशुओं को साइड में रख कर पशु एंबुलेंस वाहन की गुहार लगाते हुए निजी वाहन से गौशाला भेजकर उपचार उनका करवाते रहे हैं। कई बार घायल पशुओं को गौशाला पहुंचाने के लिए पशु एंबुलेंस की सुविधा उपलब्ध नहीं होने के कारण पशु सड़कों पर ही इलाज के अभाव में दम तोड़ देते हैं। इस समस्या की तरफ टोल कंपनी ने कभी ध्यान नहीं दिया। हाइवे पर यदि जंगली जीव यदि दुर्घटनाग्रस्त हो जाते हैं, तो उनको भी गौशाला तक पहुंचाने के लिए कोई व्यवस्था नहीं है। गौ भक्तों ने लंबे अरसे से पशु एंबुलेंस सहित डिवाइडर पर लोहे की जाली के लिए आग्रह किया। ज्ञापन सौंपे लेकिन टोल कंपनी अपने नियमों के अनुसार जाली की व्यवस्था करना और पशु एंबुलेंस की व्यवस्था करना महत्वपूर्ण नहीं समझ रही है।
मीणा कहते हैं कि स्थानीय सांसद देवजी पटेल को ज्ञापन सौंपकर इस मामले से अवगत करवाया गया लेकिन कोई सुध नहीं ली गई। वही पूर्ववर्ती सरकार, वर्तमान सरकार के मुख्यमंत्री, उपमुख्यमंत्री, मंत्री, विधायकों, जिला कलेक्टर व टोल प्रशासन सहित अन्य को सैंकड़ों ज्ञापन सौंपकर मामले से अवगत करवाया गया फिर भी इस समस्या का समाधान नहीं निकला। टोल केंद्र के अधीन संचालित हैं, ऐसे में केंद्र सरकार की ओर से टोल कंपनियों को निर्देश दिए जाए तो एंबुलेंस की व्यवस्था उपलब्ध हो सकती है। लेकिन, केन्द्र में जिले का प्रतिनिधित्व कर रहे सांसद भी इस समस्या की तरफ चुप्पी साधे हुए हैं।
मीणा ने बताया कि पिछले 24 घंटे में फोरलेन हाईवे पर बेजुबान पशुओं के सिलसिलेवार हादसे हुए। सिरोही टनल से लेकर पालड़ी एम वेराविल्पुर के बीच मात्र 13 किलोमीटर की दूरी में तीन भैंसों की मौत, दो गाय की मौत के साथ दो मवेशी गंभीर रूप से घायल हुए। 24 घंटे में सात पशुओं के हादसों में घायल होने और पांच पशुओं के काल का ग्रास बनना गौ भक्तों के लिए दुर्भाग्यपूर्ण है। मीणा ने बताया कि आंबेश्वर महादेव के पास देर रात दो भैंसों की मौत हुई। सिरोही टनल में एक गोवंश की मौत हुई व एक गंभीर रूप से घायल गोशाला भेजा गया। मेडिकल कॉलेज के सामने एक बछड़े की गोशाला ले जाते वक्त मौत हो गई। पालडी एम पुलिस थाने के पास फोरलेन हाईवे पर एक भैंस की मौत हो गई। देर शाम वेराविलपुर के पास हादसों में गोवंश गंभीर रूप से घायल हुए, जिन्हें गोशाला भेजा गया।
पशु एम्बुलेंस की मांग नई नहीं है। पालड़ी एम मेडिकल कॉलेज निर्माण कार्य का निरीक्षण करने पहुंचे चिकित्सा एवं स्वास्थ्य मंत्री परसादी लाल मीणा को पूर्व पंचायत समिति सदस्य ओम श्रीगजानंद सेवा समिति अध्यक्ष मंगल कुमार मीणा ने ज्ञापन सौंपकर दुर्घटनाग्रस्त पशुओं को गोशाला पहुंचाने के लिए एंबुलेंस सुविधा उपलब्ध करवाने की मांग रखी थी। उन्होंने बताया कि गो भक्तों द्वारा लंबे समय से सड़क हादसों में घायल पशुओं को सुरक्षित स्थान गौशाला पहुंचाने के लिए एंबुलेंस की मांग की जा रही है पर टोल प्रशासन की ओर से ध्यान नहीं दिया जा रहा है। ऐसे में गौ भक्तों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। हादसों के समय एंबुलेंस की सुविधा उपलब्ध नहीं होने के कारण घंटों घायल पशु को सड़क पर ही लेकर बैठना पड़ रहा है। कई बार तो पशु चिकित्सक द्वारा सड़क किनारे ही उपचार करवाया जा रहा है। समय पर एंबुलेंस सेवा उपलब्ध नहीं होने के कारण अब तक सैंकड़ों पशु काल का ग्रास बन चुके हैं।
मीणा की चेतावनी है कि जब तक सरकार और टोल कंपनी की ओर से पशु एंबुलेंस वाहन संचालित नहीं की जाती है, हम पीछा नहीं छोड़ेंगे, चाहे कुछ भी हो जाए। जेल में डाल दें। मरते दम तक पशु एंबुलेंस की मांग को पुरजोर तरीके से उठाते रहेंगे। एक न एक दिन सरकार और टोल कंपनी को झुकना पड़ेगा। सांसद चाहे तो केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी से प्रदेश के टोल नाकों पर पशु एंबुलेंस सुविधा उपलब्ध करवा सकते हैं, लेकिन वे भी इस समस्या की तरफ ध्यान नहीं दे रहे हैं।
मीणा ने अब अपनी मांग के समर्थन में प्रधानमंत्री मोदी को स्वयं के खून से पत्र लिखा है। उन्होंने पीएम मोदी तक यह पत्र सांसद देवजी भाई पटेल के माध्यम से भेजा है। इसमें राज्य के प्रत्येक टोल नाकों पर पशु एंबुलेंस सेवा उपलब्ध करवाने की मांग की गई है।