सरकार अब ले रही गांधी की सुध: नक्की झील किनारे गांधी वाटिका में लगी गांधी की प्रतिमा बदलेगी

नक्की झील पर लगी महात्मा गांधी की प्रतिमा में गांधीजी का चेहरा मिलान नहीं कर रहा है। ऐसे में यह प्रतिमा पुन: जयपुर लौटाई जाएगी और नई प्रतिमा लाकर लगाई जाएगी। इस प्रतिमा का मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने 8 माह पूर्व वर्चुअल लोकार्पण किया था।

सिरोही। आठ माह पूर्व नक्की झील किनारे बनाई गई गांधी वाटिका में लगाई गई महात्मा गांधी की प्रतिमा को लेकर चल रहे विवाद का अब पटाक्षेप हो गया है। गांधी वाटिका की दुर्दशा को लेकर फर्स्ट भारत की ओर से समाचार प्रकाशित करने के बाद जिला प्रशासन की आंखें खुली और कलक्टर ने मामले में जांच के आदेश दिए थे। इस पर पालिका आयुक्त शिवपाल सिंह ने मामले में जांच कर रिपोर्ट तैयार कर दी है। रिपोर्ट में इस बात का खुलासा हुआ है कि नक्की झील पर लगी महात्मा गांधी की प्रतिमा में गांधीजी का चेहरा मिलान नहीं कर रहा है। ऐसे में यह प्रतिमा पुन: जयपुर लौटाई जाएगी और नई प्रतिमा लाकर लगाई जाएगी। इस प्रतिमा का मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने 8 माह पूर्व वर्चुअल लोकार्पण किया था। आनन-फानन में लोकार्पण व प्रतिमा के अधूरे कार्य को लेकर विवाद छिड़ गया था। तरह-तरह के आरोप लगे थे, पर अब नगर पालिका की जांच में खुलासा होने के बाद पूरे मामले का पटाक्षेप हो गया है। हालांकि, सबसे बड़ा सवाल यह भी खड़ा हो रहा है कि इतनी बड़ी लापरवाही में क्या दोषियों के खिलाफ कोई कार्रवाई भी होगी या नहीं। 

पालिका आयुक्त शिवपाल सिंह का कहना है कि मामले में जांच कर ली गई है। प्रतिमा में गांधीजी का चेहरा नहीं मिल रहा है। अब इस प्रतिमा को पुन: जयपुर भेजा जाएगा व दूसरी प्रतिमा लगाई जाएगी। रिपोर्ट तैयार कर दी गई है। गौरतलब है कि आठ माह पूर्व स्थानीय प्रशासनिक अधिकारियों ने वाह-वाही लूटने के चक्कर में आनन-फानन में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के हाथों पिछले साल 30 दिसम्बर को प्रतिमा का अनावरण करवा दिया। गांधी वाटिका को महात्मा गांधी स्मारक के रूप में विकसित करना तो दूर, एक बॉक्स में बंद कर जमीन पर रखे चश्मे तक उठाकर महात्मा गांधी को पहनाने की फुर्सत नहीं मिली। हाल यह है कि गार्डन में आने वाले लोग इस बंद बॉक्स को देखकर विचार में पड़ जाते हैं। विडम्बना तो यह है कि कई लोग व पर्यटक इस बॉक्स पर बैठकर फोटो खिंचवाने से परहेज नहीं करते। जबकि, 8 माह बीतने के बावजूद अभी तक पालिका प्रशासन को इसे व्यवस्थित रखवाने का समय तक नहीं मिला। 30 दिसम्बर को शहर में करीब दर्जनभर लोकार्पणों में से मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने नक्की झील के पास गांधी वाटिका में राष्ट्रपिता की इस प्रतिमा का भी अनावरण किया था। पर, जिम्मेदार अधिकारियों की उदासीनता के चलते उद्घाटन के पश्चात अभी तक इसकी ओर किसी ने ध्यान नहीं दिया।

पिछले दिसंबर में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत द्वारा माउंट आबू में करीब आधा दर्जन विकास कार्यों का वीसी के जरिए शिलान्यास व उद्घाटन किए थे। लेकिन नगरपालिका व प्रशासन की अनदेखी के कारण ये योजनाएं अब पूरी तरह से ठंडे बस्ते में है।