आत्मनिर्भर भारत विचार गोष्ठी: आर्थिक स्वावलंबन के लिए देसी तकनीक आधारित ग्रामीण उत्पाद निर्माण के लिए अनूठी पहल
मै भारत फ़ाउंडेशन द्वारा ग्रामीण उधयोग एवं स्वरोज़गार मुहिम के तहत ‘ वोकल फ़ोर लोकल में मीडिया, प्रशासन एवं सामाजिक संगठनो की भूमिका’ विषय पर आयोजित संगोस्ठी में बोले भारतीय जन संचार संस्थान के प्रोफेसर डॉ राकेश गोस्वामी
जालोर- सिरोही के ग्रामीण क्षेत्रों में बढ़ेंगे स्वरोज़गार के अवसर- रितेश शर्मा
Sirohi | कोरोना महामारी के बाद देश के विभिन्न शहरों में काम कर रहे ग्रामीण अपने गावों में लौट आए हैं। लम्बे लॉकडाउन के बाद मज़दूरों एवं उध्यमियों के गाँव पलायन के कारण जहां शहरी उद्योग धन्धे पुनः सुचारु रूप से चालू नही हो पाए है, वहीं ग्रामीण क्षेत्रों में पूर्व से ही सीमित रोजगार सम्भावनाओं पर अतिरिक्त दबाव पैदा होकर रोज़गार का आभाव हो गया है।
कोरोना संक्रमण के कारण शहरी उद्योगों में उत्पन्न हुई कामगारों सम्बंधित समस्याओं के कारण, उत्पाद निर्माण में लेबर पर निर्भरता कम करने के लिए ऑटमेशन एवं रोबाटिक्स तकनीक के इस्तेमाल के लिए अग्रसर हुए ह। वही ग्रामीण क्षेत्रों में प्रवासी अपनी उद्यमी कुशलता एवं अनुभव के विपरीत छूट पुट काम करने को मजबूर हैं।
महामारी की त्रासदी से हताश होकर गावों में लौट चुके लाखों लोगो ने जिन सपनों को लेकर शहरों का रुख़ किया था वो अधूरे ना रह जाएँ तथा ग्रामीण उन सपनों को अपने गावों में रह कर साकार कर पाए इसके लिए 'मैं भारत' फ़ाउंडेशन द्वारा विभिन्न जिलों में ग्रामीण जनता के बीच अनूठी पहल ‘‘ ग्रामीण उद्यमी टैलंट सर्च’ की शुरआत की है।
ग्रामीणों में से उध्यमियो की पहचान कर, उनको स्वरोज़गार लिए प्रेरित और प्रशिक्षित करने लिए फ़ाउंडेशन द्वारा तकनीक जनित ग्रामीण उधयोग एवं स्वरोज़गार मुहिम के तहत ‘ वोकल फ़ोर लोकल में मीडिया, प्रशासन एवं सामाजिक संगठनो की भूमिका’ विषय पर संगोष्ठी आयोजित की गई ।
कार्यक्रम की शुरुआत करते हुए फ़ाउंडेशन के संस्थापक अध्यक्ष रितेश शर्मा ने बताया की संस्था द्वारा स्वरोजगार के लिए ग्रामीणों में उध्यमी टैलेंट सर्च मुहीम के तहत आवश्यकता आधारित देसी तकनीक के इस्तेमाल से छोटे-छोटे उत्पाद जिनके आधार पर व्यावसायिक उत्पाद निर्मित किए जा सकते है की पहचान की जाएग। तथा शहरी क्षेत्र में ऐसे उत्पाद जो की लेबरआधारित होने के कारन शहरी उध्यानियों ने ऑटमेशन का रुख़ किया है उन उत्पादों का ग्रामीण क्षेत्रों में निर्माण की सम्भावनाओं के लिए ग्रामीणों एवं शहरी उध्योग में सामंजस्य स्थापित करने के लिए प्रयास किए जा रहे है। इसके लिए फ़ाउंडेशन द्वारा सिरोही एवं जालोर में शीघ्र ही ‘सर्वलाइफ़ इंक्युबेशन केंद’ की स्थापना की जाएगी।
संगोष्ठी में बोले भारतीय जन संचार संस्थान के प्रोफेसर डॉ राकेश गोस्वामी
संगोष्ठी के मुख्य वक्ता भारतीय जनसंचार संस्थान के प्रोफेसर डॉ राकेश गोस्वामी ने कहा कि पत्रकारों को प्रासंगिक बने रहने के लिए लगातार अपनी क्षमता संवर्धन करते रहना चाहिए। उन्होंने कहा कि डिजिटल तकनीकी के दौर में उन्हें जब मौका मिला कोई नयी तकनीकी या कोई नया टूल सीख लेना चाहिए। आज जब मीडिया बदल रहा है तब पारंपरिक मीडिया संस्थानों में कार्यरत पत्रकारों के लिए ये बेहद ज़रूरी है। बदलते समय में ग्रामीण जनता के बीच व्यवसायी टैलेंट को पहचान कर उसको वृहद् मंच पर पहचान दिलाने में मीडिया, प्रशासन एवं ग्रामीण स्वरोज़गार के लिए काम करने वाली संस्थाए अहम भूमिका निभा सकती है जिसके लिए मीडिया को सजग होकर ‘विकासोन्मुख पत्रक़ारिता’ को बढ़ावा देना चाहिए। जिससे छोटे शहरों में छिपे टैलेंट को दुनिया के सामने ला कर स्वरोज़गार के माध्यम से विकास की राह प्रशस्थ हो सके।
प्रोफेसर गोस्वामी ‘मैं भारत फाउंडेशन’ द्वारा आयोजित एक विचार गोष्ठी को संबोधित कर रहे थ। ‘वोकल फ़ोर लोकल में मीडिया, प्रशासन और सामाजिक संगठनों की भूमिका’ विषयक गोष्ठी के आयोजन में कोविड महामारी के दौरान कोरोना वार्रिअर्स विवेक शाह, आश्विन शाह, दीपक चौधरी, निशु जैमावत,पिंकू जैन, जसवंत जैन, आकाश गर्ग द्वारा किये गए कार्यों के लिए उन्हें समान्नित किया गया।
क्या है सर्वलाइफ़ इंक्युबेशन केंद्र
सर्वलाइफ़ केंद्र के माध्यम से ग्रामीणों को मिलेगा आईआईटी, आईआईएम प्रशिक्षित विशेषज्ञों द्वारा प्रशिक्षण।
लोगों की आवश्यकता एवं कौशल के अनुसार तकनीक जनित विभिन्न उत्पादों के निर्माण के लिए आईआईटी आईआईएम जैसी सरीखी संस्थाओं से टेक्नोलॉजी, इंजीनियरिंग, पर्यावरण में पारंगत व्यक्तियों को साथ लेकर प्रशिक्षण एवं जानकारी उपलब्ध कराए जाने लिए सर्वलाइफ़ इंक्युबेशन सेंटर की स्थापना जयपुर की गई है। जहाँ विभिन्न उत्पाद जैसे इनसिंटर, मास्क डिस्पेंसर, बीयोवस्टे कंट्रोल सिस्टम, डिसइंफेक्टंट्स, आक्सीपॉट्स, काम्पोस्ट सिस्टम, हाइड्रोफ़ानिक्स, आक्सीजनरेटर्स एवं विभिन्न कृषि आधारित उत्पाद निर्मित किए जा रहे है। उक्त सेंटर के माध्यम से ग्रामीण स्टार्टप के बेजोड प्रयास में तकनीक एवं कौषल द्वारा समग्र आर्थिक माॅडल स्थापित कर ग्रामीणों के लिए स्वावलम्बन की राह प्रशस्त करने का अनूठा प्रयास है। जिसको फ़ाउंडेशन द्वारा प्रशासन की मदद से जालोर एवं सिरोही ज़िले में स्थापित किए जाने वाले सेंटर से जोड़ कर ग्रामीण एवं शहरी उध्योग के मध्य तकनीक आधारित विपरीत समवर्धन के लिए प्रयास किया जाना प्रस्तावित है।
सर्वलाइफ़ सेंटर में आईआईटी, आईआईएम के परिष्कृत विशेषज्ञों द्वारा ग्रामीणों की विभिन्न उत्पाद तैयार करवाए जाने में तकनीक, फ़ाइनैन्स, विपणन आदि के लिए सहयोग किया जाएगा।
रुकेगा पलायन पैदा होंगे स्वरोजगार के अवसर
फ़ाउंडेशन के प्रयास है की ग्रामीण उध्यानियों को उत्पाद निर्माण के लिए हर सम्भव मदद उपलब्ध करवाकर ग्रामीण उध्यम की स्थापना की जाए।जिससे गावो में रोजगार के अवसर उपलब्ध होंगे। क्षेत्र विशेष के देसी जुगाड़ू उत्पादों के आधार पर फ़ाउंडेशन एवं प्रशासन के सहयोग से यदि उसी क्षेत्र में संबंधित उध्यम व स्वरोजगार के अन्य साधन उपलब्ध होते है तो तो ग्रामीणों को बेवजह दूसरे प्रदेशों में पलायन नहीं करना पड़ेगा।ग्रामीणों को खुद के गावं में ही लघु उद्यमों की स्थापना के अवसर मिलेंगे।