मौसम : जालोर में बारिश की आस अधूरी, बारिश को लेकर मौसम विभाग ने जताई संभावना
जालोर जिले में 1 जून से अब तक 102.66 मिमी. बारिश हुई है। बारिश की देरी और कम बारिश के चलते खरीफ लक्ष्य 6 लाख 18 हजार हैक्टेयर के मुकाबले अब तक 2 लाख 96 हजार 678 हेक्टैयर में ही बुवाई हुई है। जो लगभग 48 प्रतिशत है। जिले में 5 साल की औसत वर्षा 560 मिमी. है।
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जालोर जिले में अब तक 102 मिलीमीटर बारिश ही हुई, बारिश में देरी के कारण लक्ष्य से आधी ही हुई बुवाई
Firstbharati.in . जालोर
मौसम के पूर्वानुमान के विपरीत इस बार अब तक कम बारिश ही हुई है। जिससे इस बार सीधे तौर पर बुवाई क्षेत्र भी प्रभावित हुआ है। जालोर जिले में 1 जून से अब तक 102.66 मिमी. बारिश हुई है। बारिश की देरी और कम बारिश के चलते खरीफ लक्ष्य 6 लाख 18 हजार हैक्टेयर के मुकाबले अब तक 2 लाख 96 हजार 678 हेक्टैयर में ही बुवाई हुई है। जो लगभग 48 प्रतिशत है। जिले में 5 साल की औसत वर्षा 560 मिमी. है। पिछले तीन दिन से आसमान में बादलों की आवाजाही के बीच तेज हवाओं का दौर भी चल रहा है, जिससे कम दबाव का क्षेत्र नहीं बन पा रहा है। मौसम में अपेक्षाकृत अधिक ठंडक भी घुल चुकी है, जो बारिश के लिए अवरोधक का काम कर रही है।
मौसम विज्ञान विभाग का कहना : 24 व 24 जुलाई को बारिश की संभावना
कृषि विज्ञान केंद्र के कृषि मौसम वैज्ञानिक आनंद कुमार शर्मा ने बताया कि जालोर जिले में आगामी 4 दिनों (22 जूलाई से 25 जूलाई, 2021) तक दिन का तापमान 32 डिग्री से 33 डिग्री सेंटीग्रेड तथा रात का तापमान 22 डिग्री से 24 डिग्री सेंटीग्रेड के मध्य रहने के साथ अधिकतम सापेक्षिक आर्द्रता 73 से 83 प्रतिशत तथा न्यूनतम 45 से 66 प्रतिशत के साथ 13 से 24 किलोमीटर प्रति घंटे की गति से दक्षिणी पश्चिम दिशा से हवा चलने की संभावना है। साथ ही आसमान में बादल छाए रहने के साथ 23 जुलाई को हल्की तथा 24 व 25 जुलाई को हल्की से मध्यम बारिश होने की संभावना है।
फसलों की सार संभाल जरुरी
वर्तमान मौसम को देखते हुए कृषि विभाग ने एडवाइजरी जारी की है। जिसके अनुसार कृषकों को विलम्ब से बारिश होने की दशा में शीघ्र पकने वाली बाजरा किस्म एचएचबी-67 (इम्प्रव्ड) आरएचबी-177 एवं ज्वार सीएसएच-9, सीएसएच-13 की बुवाई की सलाह दी जाती है।
किसानों को सलाह... 25 के बाद बारिश तो ऐसा करें
उप निदेशक कृषि विस्तार आरबी सिंह का कहना है कि 25 जुलाई के बाद बारिश होने की स्थिति में अनाज की फसल के स्थान पर दलहन (मूंग, मोठ, चवला) व तिलहन (तिल) की जल्दी पकने वाली किस्म की बुवाई करनी चाहिए। खेत में मौजूद नमी संरक्षण के लिए निराई-गुडाई कर खरपतवार निकाले एवं नमी के वाष्पीकरण को रोकने के लिए उखाड़े गए खरपतवार को मल्च के रूप में प्रयोग करें। असिंचित अवस्था में नाइट्रोजन की मात्रा 40 प्रतिशत तक कम कर देंं तथा दी जाने वाली मात्रा को एक साथ बुवाई पूर्व कर देवें। कीट-व्याधियों से फसल की रक्षा के लिए समुचित समन्वित पौध संरक्षण उपाय अपनाएं। दलहन एवं तिलहन फसल में बीज की दर 15-20 प्रतिशत बढ़ाकर बुवाई करें। यदि फसल लम्बे अन्तराल पर वर्षा नहीं होने से 15 अगस्त तक सूख जाती है तो इसके बाद वर्षा होने पर नमी संरक्षण अपनावें तथा तोरिया, सरसों, धनिया व चना फसल की बुवाई के लिए खेत खाली रखें।