Jaipur पूर्व राजघराने की प्रॉपर्टी विवाद: गुलाबी नगरी के पूर्व राजघराने का हजारों करोड़ रुपए की प्रॉपर्टी विवाद आपसी समझौते से सुलझा, गायत्री देवी के पोते—पोती का होगा जयमहल पैलेस

गुलाबी नगरी में पूर्व राजघराने का हजारों करोड़ रुपए की प्रॉपर्टी विवाद आखिरकार अब सुलझ गया। दोनों पक्षों ने कोर्ट के बाहर ही समझौता करते हुए सालों से चल रहे प्रॉपर्टी विवाद को सुलझा लिया।

जयपुर। 
गुलाबी नगरी में पूर्व राजघराने का हजारों करोड़ रुपए की प्रॉपर्टी विवाद आखिरकार अब सुलझ गया। 
दोनों पक्षों ने कोर्ट के बाहर ही समझौता करते हुए सालों से चल रहे प्रॉपर्टी विवाद को सुलझा लिया। 
पूर्व राजमाता गायत्री देवी के पोत देवराज सिंह और पोती लालित्या को समझौते के तहत जयमहल पैलेस पर पूरा मालिकाना हक दिया गया। 
जबकि रामबाग पैलेस पर पृथ्वीराज सिंह के पुत्र वि​जित सिंह को मालिकाना हक दिया गया। 
जयसिंह और दिवंगत पृथ्वीराज सिंह के पुत्र विजित सिंह को रामबाग प्राइवेट लिमिटेड में पूरी हिस्सेदारी मिलने के साथ ही जयमलह पैलेस से पूरी हिस्सेदारी छोड़नी होगी। 
दोनोंं पक्ष इस पर सहमत हो गए हैं। जय महल पैलेस और रामबाग पैलेस में टाटा ग्रुप 5 स्टार होटल चला रहा है। 
एक अनुमान के मुताबिक यह संपत्ति 15 हजार करोड़ रुपए की बताई जा रही है।
समझौते के तहत जयपुर के महाराज सवाई मान सिंह द्वितीय के भाई पृथ्वी सिंह के बेटे विजीत सिंह और भवानी सिंह के दूसरे भाई जय सिंह को रामबाग पैलेस तथा इससे जुड़ी प्रॉपर्टी ​दी गई। 
जय सिंह और पृथ्वी सिंह सवाई मान सिंह द्वितीय की दूसरी पत्नी किशोर कंवर के बेटे हैं। 
वहीं दूसरी ओर सवाई मान सिंह की तीसरी पत्नी गायत्री देवी के पोते—पोती एवं जगत सिंह के बेटे—बेटी देवराज सिंह व लालित्या को जय महल पैलेस दिया गया। 
सुप्रीम कोट के रिटायर्ड  जज ​जस्टिस कुरियन जोसेफ की मध्यस्थता में यह समझौता हुआ है। 
देवराज व लालित्या को रामबाग पैलेस में अपने 4.74 फीसदी शेयर छोड़ने होंगे। 
रामबाग प्राइवेट लिमिटेड कंपनी में रामबाग पैलेस, रामगए़ लॉज और सवाई माधोपुर शटिंग लॉज शामिल है। 
रामबाग पैलेस 1835 में बनाया गया था। अब दोनों पक्ष कंपनी लॉ बोर्ड में नए सिरे से दस्तावेज पेश करेंगे। 
अब दोनों पक्षों में से कोई भी कोर्ट नहीं जाएगा। जय महल पैलेस फाइव स्टार होटल में 94 कमरे व 6 लग्जरी सुइट हैं।
 रामबाग पैलेस और जयमहल पैलेस दोनों ही टाटा ग्रुप की कंपनी होटल चला रही है। 
बताया जा रहा है कि 2009 में गायत्री देवी के निधन के बाद से ही पूर्व राज परिवार में विवाद चल रहा था।