आखिर तबादला क्यों, सस्पेंड क्यों नहीं: जयपुर मेयर पद पर रहते हुए कर सकती है जांच प्रभावित, इसलिए सरकार ने कर दिया सस्पेंड, आईपीएस टांक के खिलाफ सीआईडी, एसओजी और विजिलेंस कर रही है जांच बावजूद किया केवल तबादला!

लगातार मीडिया में शिकायतें उजागर होने पर पुलिस मुख्यालय से आईपीएस का तबादला कर दिया गया। जबकि इतनी शिकायतों के बाद जांच होने तक आईपीएस को पद से हटाते हुए सस्पेंड किया जाना चाहिए था। क्योंकि सरकार का ही ऐसा मानना है कि पद पर रहते हुए अधिकारी जांच प्रभावित कर सकता है।

सिरोही।
राजस्थान की गहलोत सरकार का दोहरा चेहरा सामने आया है। एक ओर जहां राजधानी जयपुर ग्रेटर की मेयर का आयुक्त से विवाद होने के बाद सरकार ने यह कहते हुए तत्काल प्रभाव से मेयर को निलंबित कर दिया कि पद पर रहने से जांच प्रभावित हो सकती है। वहीं दूसरी ओर अवैध शराब तस्करी, कांस्टेबल से वसूली और धोखाधड़ी जैसे आरोप लगने के बावजूद इसी राजस्थान की गहलोत सरकार ने एक आईपीएस का तबादला कर इतिश्री कर ली। ऐसे में सवाल खड़ा हो रहा है कि क्या आईपीएस पद पर रहते हुए जांच प्रभावित नहीं करेंगे? क्या आईपीएस को सस्पेंड ​नहीं किया जाना चाहिए ?
यह है मामला
सिरोही एसपी रहे हिम्मत अभिलाष टांक पर पिछले दिनों अवैध शराब तस्करी को लेकर आरोप लगाए गए। मामले ने तूल पकड़ा तो आईपीएस हिम्मत अभिलाष टांक पर एक के बाद एक  कई आरोप सामने आते गए। फिर चाहे सिरोही पुलिस के कांस्टेबल द्वारा रिश्वत मांगने का आरोप हो या फिर एक व्यक्ति द्वारा आईपीएस टांक पर 20 लाख रुपए की धोखाधडी करने का आरोप। मीडिया में समाचार प्रकाशित होने के बाद सरकार की ओर से दो डीआईजी को जांच के आदेश दे दिए। वहीं धोखाधडी मामले में जांच सीआईडी सीबी को दी गई। लगातार मीडिया में शिकायतें उजागर होने पर पुलिस मुख्यालय से आईपीएस का तबादला कर दिया गया। जबकि इतनी शिकायतों के बाद जांच होने तक आईपीएस को पद से हटाते हुए सस्पेंड किया जाना चाहिए था। क्योंकि सरकार का ही ऐसा मानना है कि पद पर रहते हुए अधिकारी जांच प्रभावित कर सकता है।
और जांच प्रभावित भी हुई
जयपुर ​कमिश्नरेट के श्याम नगर पुलिस थान में आईपीएस हिम्मत अभिलाष टांक पर 20 लाख रुपए की धोखाधड़ी करने 
का मामला दर्ज करवाया गया था। आईपीएस जालोर एसपी के पद पर कार्यरत होने के कारण इसी पुलिस महकमे ने जांच को गोलमोल करते हुए मामले में एफआर लगा दी। जबकि पीड़ित की ओर से 20 लाख रुपए की धोखाधड़ी के सबूत तक दिए गए, लेकिन श्याम नगर पुलिस ने एक नहीं सुनी और फाइल  में एफआर लगा दी, हालांकि मीडिया में आने के बाद फाइल री ओपन की गई और जांच सीआईडी को दी गई।  

पद पर रहने से नहीं होती जांच प्रभावित: भाया
सिरोही जिला प्रभारी मंत्री प्रमोद जैन भाया का मानना है कि पद पर रहने से कोई जांच प्रभावित नहीं होती है। सरकार​ की ओर से पारदर्शिता अपनाते हुए निष्पक्ष जांच की जाती है। इस लिए सिरोही एसपी के पद पर रहने से भी जांच में कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा। हालांकि राज्य सरकार का मानना है कि पद पर रहते हुए जांच प्रभावित हो सकती है इसलिए जयपुर नगर निगम मेयर डॉ सौम्या गुर्जर को सस्पेंड कर दिया गया। अब कौन सही है या कौन गलत यह तो सरकार ही बता सकती है।