राजस्थान में रीट पर राजनीति: राजस्थान में रीट परीक्षा 2021 को लेकर राजनीति, विपक्ष का प्रदर्शन आज, संसदीय कार्यमंत्री ने एसओजी पर जताया विश्वास

संसदीय कार्यमंत्री शांती धारीवाल ने कहा कि स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप (एसओजी) हर स्तर पर रीट प्रकरण की निष्पक्ष जांच करने में और दोषियों को सजा दिलवाने में पूरी तरह से सक्षम है। इसलिए विपक्ष को इसकी जांच पर पूर्ण रूप से विश्वास करना चाहिए।

जयपुर।
रीट परीक्षा 2021 को लेकर प्रदेश की राजनीति एक बार फिर उबाल पर है। सड़क से लेकर सदन तक रीट की सीबीआई जांच की मांग उठ रही है। 
विपक्ष के साथ युवा बेरोजगार इस रीट धांधली को लेकर निष्पक्ष जांच की मांग कर रहे है। राजस्थान विधानसभा में रीट की सीबीआई जांच के हंगामे के बाद आज राजधानी जयपुर में भाजपा की ओर से विरोध प्रदर्शन किया जा रहा हैं। 
इससे पहले रीट मामले में जांच को लेकर संसदीय कार्यमंत्री शांती धारीवाल ने वर्तमान जांच एजेंसी पर भरोसा जताते हुए निष्पक्ष जांच कराने का आश्वासन दिया। 
धारीवाल ने कहा कि स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप (एसओजी) हर स्तर पर रीट प्रकरण की निष्पक्ष जांच करने में और दोषियों को सजा दिलवाने में पूरी तरह से सक्षम है। 
इसलिए विपक्ष को इसकी जांच पर पूर्ण रूप से विश्वास करना चाहिए। धारीवाल सोमवार को विधान सभा में रीट प्रकरण पर आयोजित विशेष चर्चा में गृह मंत्री की ओर से अपना जवाब दे रहे थें।
उन्होंने कहा कि विपक्ष की ओर से ऐसा कोई भी तथ्य नहीं दिया गया है, जो यह साबित करेेे कि प्रकरण में एसओजी की जांच गलत दिशा में जा रही है। 
अगर एसओजी सही तरह से जांच नहीं करें, तो ही विपक्ष की मांग जायज होती। उन्होंने सदन को बताया कि विपक्ष रीट प्रकरण में सीबीआई की जांच केवल इसलिए चाहता है ताकि सीबीआई यहां आकर बोर्ड ऑफिस, स्टॉंग रूम इत्यादि को सील कर दिल्ली चली जाएं और सम्पूर्ण भर्ती प्रक्रिया रूक जाए।
धारीवाल ने कहा कि विपक्ष जब सत्ता में था, तब भी पेपर लीक प्रकरणों की जांच एसओजी को ही दी गई थी। उन्होंने प्रतिपक्ष के सदस्यों से कहा कि जब विपक्ष के समय में पेपर लीक के 25 मामलें दर्ज हुए थे, तो उनकी जांच एसओजी को क्यों दी? सीबीआइ को क्यों नहीं दी? 
उन्होंने कहा आरएएस-2014, आरजेएस-2014, एलडीसी-2014 और राजस्थान यूनिवर्सिटी के सात परीक्षाओं के मुकदमें इत्यादि को एसओजी का ही दिए गए। 
इसके साथ ही विपक्ष के समय में 2016 व 2018 में रीट पेपर लीक मामलें एसओजी को देने की जगह सामान्य पुलिस को दिए गए। यहां तक कि केन्द्र सरकार ने भी तीन पेपर लीक प्रकरणों में एक मामले को ही सीबीआइ को दिया। परन्तु उक्त एक प्रकरण में भी कोई निर्णय ही नहीं हो पाया। 
धारीवाल ने कई पेपर लीक प्रकरणों का उदाहरण दिए जिनमें राज्य ने एसटीएफ को जांच दी है, ना की सीबीआई को। उत्तर प्रदेश शिक्षक पात्रता परीक्षा-2021 में कई जगह पेपर लीक हुआ। 
उक्त प्रकरण में भी जांच एसटीएफ को दी गई। इस परीक्षा में 21 लाख परीक्षार्थियों ने आवेदन किया था। आमतौर पर सुप्रीम कोर्ट भी जांच के लिए एसटीएफ गठित करती है और सीबीआइ को जांच नहीं दी जाती है। 
संसदीय कार्य मंत्री ने कहा कि पहली बार सेवानिवृत्त व निजी शिक्षण संस्थानों से संबंधित व्यक्तियों को परीक्षा के आयोजन में समन्वयक व सह-समन्वयक के रूप में नियोजित किया गया है। यह पूर्ण रूप से असत्य है। विपक्ष के शासन काल में भी कई निजी संगठनों के प्रतिनिधियों को परीक्षा कार्यक्रम हेतु नियोजित किया गया था।