खुदा ने पति छीना, तो प्रशासन ने निवाला: कलेक्टर साहब पुनककलां पंचायत की झांक गांव निवासी इन 3 विधवा महिलाओं ने आप का क्या बिगाडा, जो आप ने छीन लिया "राशन"
ग्राम पंचायत पुनककलां के गांव झाँक की रहने वाली मंजू देवी ,शारदा देवी व सीमा देवी कम उम्र में ही विधवा हो गई थी, यह नियति को मंजूर था, लेकिन प्रशासन के गैर जिम्मेदाराना रवैए के चलते इन विधवा महिलाओं और इनके परिवार का भरण पोषण ही मुश्किल हो गया।
जालोर।
जालोर जिले की पुनककलां ग्राम पंचायत की झांक गांव निवासी 3 विधवा महिलाएं पिछले कई माह से प्रशासन की चौखट पर दर—दर भटक रही है। भटकने का कारण पंचायत स्तरीय कमेटी की लापरवाही बताया जा रहा है। इस कमेटी ने जहां इन जरूरतमंद महिलाओं का राशन सूची में से नाम काट दिया तो अब ये महिलाएं इस सूची में नाम शामिल करवान के लिए भटक रही है। ऐसे में अब उनके जहन में केवल एक ही सवाल आ रहा है कि कलेक्टर साहब हमने आप का क्या बिगाडा, जो आप ने हमारा राशन तक बंद करवा दिया।
जानकारी के मुताबिक ग्राम पंचायत पुनककलां के गांव झाँक की रहने वाली मंजू देवी ,शारदा देवी व सीमा देवी कम उम्र में ही विधवा हो गई थी, यह नियति को मंजूर था, लेकिन प्रशासन के गैर जिम्मेदाराना रवैए के चलते इन विधवा महिलाओं और इनके परिवार का भरण पोषण ही मुश्किल हो गया। ग्रामपंचायत पुनककलां में कोरोना काल में पात्र लोगों को खाद्य सुरक्षा का लाभ मिले इस हेतु जिला कलेक्टर के निर्देशानुसार पंचायत स्तरीय कमेटी का गठन किया गया था, इसका कार्य खाद्य सुरक्षा योजना में अपात्र लोगों के नाम काटना और पात्र के नाम जोड़ना। परंतु इस कमेटी ने गांव झाँक निवासी इन तीनों विधवाओं के नाम ही काट दिए। इससे इनके परिवार का लानन पोषण मुश्किल हो गया।
यह है जिम्मेदार, जिन्होंने बिना सत्यापन के काटे नाम
इस पंचायत स्तरीय कमेटी में peeo, ग्राम पटवारी, ग्राम विकास अधिकारी, राशन डीलर सदस्य। कलेक्टर के निर्देशानुसार इन चार लोगों की कमेटी बनाई गई थी। इसके बाद इस कमेटी के सदस्यों ने बिना सर्वे या सत्यापन किए मर्जी से नाम खाद्य सूची से काट दिए। आप का यहां बता दिया जाए कि ना तो इन विधवा महिलाओं के पास निर्धारित सीमा से अधिक भूमि है और ना ही आर्थिक रूप से संपन्न् है।। इसके बावजूद इन महिलाओं के नाम काट दिए गए। परिणाम यह हुआ कि इनको राशन मिलना बंद हो गया।
जिम्मेदार लापरवाह, परेशान पात्र
कोरोना के चलते जहां लोगों को रोजगार में परेशानी हो रही है, वहीं इस वैश्विक महामारी काल में इन विधवाओं का राशन बंद होने से इनके हालात बद से बदतर हो गए। ऐसे में जहां काम धंधे नहीं है,वहीं सरकारी सुविधाएं भी जिम्मेदार लोगों की लापरवाही से मिलना बंद हो गई। विधवा महिला मंजु कंवर के पति की मृत्यु 3 से 4 साल पहले एक्सीडेंट के कारण हुई थी। एक बेटा था जिसकी मृत्यु पति की मृत्यु से कुछ माह पहले ही हो गई थी। अब मंजु कंवर के 8 और 6 साल की दो बेटियां है, जिसकी जिम्मेदारी इनके कंधों पर ही है। वहीं सीमादेवी के पति की मृत्यु 4 वर्ष पहले गंभीर बीमारी के कारण हुई थी। उनकी भी दो बेटियां है। विधवा महिला शारदा देवी के भी एक बेटी व एक बेटा है। इनका जैसे तैसे लालन पालन कर रही है। राशन का गेंहू नहीं मिलने के कारण इन विधवा महिलाओं को अपने बच्चों के लिए रोजी रोटी के लिए मजदूरी कर उनका पेट भर रही है ।