भारतीयों को भारतीयों से मदद: अमेरिका में भारतीय चिकित्सकों ने कोरोना से बचाव की दिशा में बढ़ाया कदम, प्रोजेक्ट मदद से भारत के ग्रामीण इलाकों में स्वास्थ्य की दी जाएगी जानकारी 

कोरोना की दूसरी लहर ने भारत के शहरों से लेकर गांवों तक में हालात बेकाबू कर दिए। सरकार हर संभव जन जीवन को बचाने की दिशा में काम कर रही है। ऐसे में अमेरिका में रह रहे भारतीय समुदाय ने अपने देश की तरफ मदद का हाथ बढ़ाया है।

नई दिल्ली।
कोरोना की दूसरी लहर ने भारत के शहरों से लेकर गांवों तक में हालात बेकाबू कर दिए। सरकार हर संभव जन जीवन को बचाने की दिशा में काम कर रही है। ऐसे में अमेरिका में रह रहे भारतीय समुदाय ने अपने देश की तरफ मदद का हाथ बढ़ाया है। अमेरिका में प्रवासी भारतीय डॉक्टरों एवं पेशेवरों और भारत में चिकित्सा समुदाय के लोगों ने ‘प्रोजेक्ट मदद’ (Project Help) के नाम से यह पहल की है, जिसमें डिजिटल माध्यम से ग्रामीण इलाके के स्वास्थ्य कर्मियों को कोरोना के इलाज संबंधी जानकारी दी जाएगी। 
इतना ही नहीं, लोगों को यह भी जानकारी दी जाएगी कि अस्पताल में कितने बेड कहां खाली हैं। इसके साथ- साथ वैक्सीन को लेकर फैलाई गई अफवाह को भी खत्म करने की कोशिश होगी। इस प्रोजेक्ट का उद्देश्य स्थानीय स्वास्थ्य कर्मियों और पंजीकृत चिकित्सकों को स्थानीय भाषा में उचित शिक्षा एवं प्रशिक्षण देना है, जो ग्रामीण भारत में कोरोना वायरस के प्रसार को रोकने के लिए जरूरी है। 
तेलंगाना और आंध्र से शुरू होगा प्रोजेक्ट
प्रोजेक्ट के प्रमुख राजा कार्तिकेय ने कहा, यह टीम सबसे पहले अपने काम की शुरुआत तेलंगाना और आंध्र प्रदेश के ग्रामीण इलाकों से करेगी। यहां वो डॉक्टरों के साथ काम रही है। कोविड-19 के लक्षणों की पहचान, हल्के लक्षण वालों का घर में ही इलाज करने और टीकाकरण की सलाह, अधिक दवाएं खाने के खतरे के साथ-साथ दूसरी जरूरी जानकारियों को साझा करेगी। तेलंगाना के करीमनगर में 70 से 80 प्रतिशत संक्रमित ग्रामीण इलाकों से हैं। 
मन से डर निकालने की आवश्यकता: डॉ सुब्बाराव
अमेरिका के मिनियापोलिस में रह रहे डॉक्टर सुब्बाराव इनामपुडी(Doctor Subbarao Inamapudi) ने कहा कि हमारा लक्ष्य गांवों में रह रही बहुसंख्यक आबादी है। उन्होंने कहा कि हमने इस बात पर जोर दिया है कि 80 फीसदी संक्रमित ठीक जाते हैं। बस हमें लोगों के मन से डर हटाकर उसकी जगह सजगता बढ़ाने की जरूरत है। इससे संक्रमण के बिगडऩे का खतरा कम हो जाएगा।  मदद की 27 सदस्यीय टीम में अलग-अलग विषयों के विशेषज्ञ हैं। पंजीकृत चिकित्सकों को एक हॉटलाइन नंबर मिलेगा जिससे वह किसी भी समय प्रोजेक्ट की टीम से जुडक़र सलाह ले सकेंगे।  इस टीम को उत्तराखंड और नेपाल में भी काम करने का अनुरोध मिला है।