Sirohi सभापति पर कार्रवाई के निर्देश: राजस्थान में गृह विभाग के आदेशों के बावजूद दर्ज नहीं हो रहे मुकदमें, सिरोही नगर परिषद सभापति के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने के लिए विभाग ने 11 माह में 2 बार जारी किए आदेश

राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत एक ओर तो हर फरियादी की शिकायत पर मुकदमा दर्ज करने का दावा कर रहे है वहीं दूसरी ओर राजस्थान सरकार के गृह विभाग की ओर से एक मामले में 11 माह में दो बाद एफआईआर दर्ज करने के आदेश जारी किए गए, बावजूद इसके आरोपित के खिलाफ मुकदमा ही दर्ज नहीं किया गया।

सिरोही | राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत एक ओर तो हर फरियादी की शिकायत पर मुकदमा दर्ज करने का दावा कर रहे है.

वहीं दूसरी ओर राजस्थान सरकार के गृह विभाग की ओर से एक मामले में 11 माह में दो बाद एफआईआर दर्ज करने के आदेश जारी किए गए, बावजूद इसके आरोपित के खिलाफ मुकदमा ही दर्ज नहीं किया गया।

ऐसे में जब गृह विभाग के आदेशों तक को पुलिस विभाग नजर अंदाज कर रहा है तो आम नागरिकों के परिवाद का अंदाजा लगाया जा सकता है।  

जानकारी के मुताबिक नगर परिषद सिरोही के सभापति महेंद्र मेवाड़ा के खिलाफ गत वर्ष एक शिकायत की गई थी। शिकायत के आधार पर गृह विभाग ने अतिरिक्त महानिदेशक अपराध शाखा को मामले में कार्रवाई करते हुए जांच करने के निर्देश दिए थे।

 लेकिन पुलिस महकमें ने इन आदेशों की अवेहलना की और कोई कार्रवाई नहीं की। इसके बाद गृह विभाग ने जनवरी 2022 में फिर से परिवादी की शिकायत सुनते हुए पुलिस महानिदेशक को पत्र जारी कर मुकदमा दर्ज करने के निर्देश ​जारी किए हैं।

यह है मामला
नगरपरिषद चुनाव के दौरान महेंद्र मेवाड़ा ने नगर परिषद के वार्ड संख्या दो से पार्षद का चुनाव लड़ा था। इस चुनाव के दौरान नामांकन पत्र के साथ प्रस्तुत किए साक्ष्य दस्तावेज में मिथ्या और झूठी जानकारी देकर चुनाव आयोग को गुमराह करके चुनाव लड़ा तथा  चुनाव जीता।

पार्षद चुनाव के बाद हुए सभापति चुनाव में भी महेंद्र मेवाड़ा ने झूठी व मिथ्यापूर्वक जानकारी देकर सभापति का चुनाव लड़ा और सभापति का चुनाव जीता। इसकी शिकायत रामनिवास डागा ने की थी।

डागा ने बताया था कि महेंद्र मेवाड़ा ने जब चुनाव लड़ा तो उस समय नामांकन पत्र के साथ प्रस्तुत किए 50 रुपये के नॉन ज्यूडिशियल स्टाम्प पर अपने घोषणा पत्र में कॉलम संख्या 5 में "किसी लंबित मामले में छः माह या अधिक कारावास से दंडनीय किसी अपराध का अभियुक्त नहीं हूँ, जिसमें सक्षम न्यायालय द्वारा आरोप विरचित कर दिए गए, में शून्य लिखा।

उनके विरुद्ध उस समय विशिष्ट न्यायाधीश (एससी/एसटी एक्ट) सिरोही में जुर्म दफा 447, आईपीसी व 3(I)(R)(s)(f),  3(2) (va) अनुसूचित जाति, जनजाति अत्याचार निवारण संशोधन अधिनियम 2015 के अंतर्गत प्रसंज्ञान था। इसके अलावा न्यायिक मजिस्ट्रेट पिंडवाड़ा में महेंद्र मेवाड़ा के विरुद्ध  जुर्म दफा 385, 193 व 120 बी आईपीसी के तहत प्रसंज्ञान लिए गए थे।


अब गृह विभाग ने डीजीपी को जारी किए आदेश
गृह विभाग  ने पुलिस महानिदेशक को आदेश जारी किए है कि सिरोही पुलिस अधीक्षक को परिवादी रामनिवास डागा की शिकायत पर मुकदमा दर्ज करने के लिए पुन: निर्देशित किया जाए। इसके साथ ही सिरोही पुलिस अधीक्षक इस मामले में जांच कर कार्रवाई गृह विभाग को सूचित करें।

गृह विभाग ने इस संबंध में 24 मार्च 2021 को भी सिरोही एसपी को एफआईआर दर्ज करने के निर्देश दिए थे, इसके बाद भी करीबन 11 माह में रिपोर्ट दर्ज नहीं की गई। ऐसे में अब फिर से 11 फरवरी 2022 को गृह विभाग ने एफआईआर दर्ज करने के आदेश जारी किए है।

12 माह पहले राज्य निर्वाचन आयोग दे चुका जांच के आदेश
सिरोही नगर परिषद सभापति मेवाड़ा के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने के मामले को दबाने में प्रशासन ने कमी नहीं छोड़ी। राजस्थान सरकार के गृह विभाग ने इनके खिलाफ मुकदमा दर्ज करने के आदेश जारी किए गए। इसे दबा दिया गया।

इससे पहले राज्य निर्वाचन आयोग ने सिरोही के जिला कलेक्टर को इस संंबंध में जांच कर दोषी पाए जाने पर मुकदमा दर्ज कराने के निर्देश दिए थे, इसे भी नजर अंदाज कर दिया गया।

राज्य निर्वाचन आयोग ने 22 दिसंबर 2022 को सिरोही  जिला कलेक्टर को पत्र भेजकर इसकी जांच करने व आरोप सही पाए जाने पर भारतीय दंड संहिता की धारा 191 व 193 के तहत सक्षम न्यायालय में परिवाद प्रस्तुत करने की व्यवस्था करने के निर्देश दिए थे।