नक्सलियों से पति को छुड़ाने की मांग: सीआरपीएफ जवान राकेश्वर सिंह को न​क्सलियों से छुड़ाने की मांग पर उनकी पत्नी ने जम्मू—अखनूर हाइवे पर दिया धरना

नक्सलियों के कब्जे में फंसे केन्द्रीय रिजर्व पुलिस बल CRPF जवान राकेश्वर सिंह मन्हास की पत्नी मीनू ने बुधवार को जम्मू-अखनूर हाईवे पर धरना दिया। उन्होंने सरकार से अपने पति को नक्सलियों की कैद से जल्द छुड़ाने की मांग की। उनके साथ करीब 100 से ज्यादा स्थानीय लोग भी मौजूद रहे।

नई दिल्ली। 
नक्सलियों के कब्जे में फंसे केन्द्रीय रिजर्व पुलिस बल CRPF जवान राकेश्वर सिंह मन्हास की पत्नी मीनू ने बुधवार को जम्मू-अखनूर हाईवे पर धरना दिया। उन्होंने सरकार से अपने पति को नक्सलियों की कैद से जल्द छुड़ाने की मांग की। उनके साथ करीब 100 से ज्यादा स्थानीय लोग भी मौजूद रहे। मीनू ने कहा कि उनके पति को नक्सलियों की कैद में 4 दिन बीत चुके हैं, लेकिन सरकार उन्हें बचाने के लिए कोई कदम नहीं उठा रही।
केन्द्रीय रिजर्व पुलिस बल (CRPF) जवान राकेश्वर की मां ने कहा कि मुझे सिर्फ मेरा बेटा वापस चाहिए। क्या सरकार के लिए एक जवान की जिंदगी की कोई कीमत नहीं है। उनके ससुर ने कहा कि सरकार इतनी असंवेदनशील कैसे हो सकती है। चार दिन बीत चुके हैं, लेकिन सरकार की तरफ से कोई आश्वासन नहीं मिला है। इससे पहले नक्सलियों ने जवान राकेश्वर सिंह की एक फोटो जारी की। इसमें CRPF की कोबरा बटालियन के जवान राकेश्वर नक्सलियों के कैंप में बैठे नजर आ रहे हैं। नक्सलियों ने कहा है कि राकेश्वर सुरक्षित हैं। राकेश्वर के जगरगुंडा इलाके में होने की खबरें आ रही हैं। यह भी कहा जा रहा है कि जिस जगह पर जवान को रखा गया है, वह जगह गांव, जंगल और पहाड़ियों के आसपास है। वहीं दूसरी ओर CRPF के DG कुलदीप सिंह ने कहा था, 'हमारा एक जवान लापता है, ऐसी अफवाह है कि वह नक्सलियों के कब्जे में है, अभी हम इस खबर की पुष्टि कर रहे हैं और जवान के लिए ऑपरेशन भी प्लान कर रहे हैं।'


आप को बता दें कि CRPF की कोबरा बटालियन में तैनात राकेश्वर मन्हास ने 2011 में फोर्स ज्वाइन की थी। 2014 में उनकी शादी हुई। उनकी 5 साल की एक बेटी भी है।

वे परिवार में कमाने वाले इकलौते व्यक्ति हैं। बीजापुर जिले के जीरागुडेम गांव में नक्सलियों से मुठभेड़ में 3 अप्रैल को कई जवान शहीद हो गए थे। इससे पहले मंगलवार को भी नक्सलियों ने एक प्रेस नोट जारी किया। नोट में 14 हथियार और 2000 से ज्यादा कारतूस साथ ले जाने का दावा किया गया। वहीं दूसरी ओर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने बुधवार को कोरोना संक्रमण के रिव्यू के लिए कैबिनेट मीटिंग बुलाई है। इस दौरान नक्सलियों से बातचीत के लिए मध्यस्थों के नाम पर भी चर्चा के संकेत हैं। गृहमंत्री ताम्र ध्वज साहू ने मंगलवार को कहा था कि नक्सलियों का पत्र देखा तो नहीं, लेकिन सुना है।

इस संबंध में मुख्यमंत्री से बात करने के बाद ही फैसला किया जाएगा।