राज्य सरकार को एनजीटी का नोटिस : खेतों में लीज की आड़ में नदियों किनारे अवैध बजरी खनन पर चार सप्ताह में मांगा जवाब
खातेदारी जमीन में बजरी खनन लीज की आड़ में नदियों के किनारे और जल स्रोतों के कैचमेंट एरिया में गड्ढे खोदकर पानी का प्रवाह रोका जा रहा है।
जयपुर। प्रदेश में बजरी के अवैध खनन पर नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल एनजीटी ने सख्त रुख अपनाया है। खेतों में बजरी लीज की आड़ में नदियों के किनारे बजरी के अवैध खनन को लेकर याचिका दायर की गई थी। इस पर सुनवाई करते हुए एनजीटी की भोपाल बेंच ने राजस्थान सरकार को नोटिस जारी किए हैं। एनजीटी ने नोटिस जारी कर चार सप्ताह में रिपोर्ट तलब की है।
एनजीटी में दायर याचिका में खेतों में खातेदारी लीज के बहाने नदियों के किनारे बजरी के अवैध खनन का मुद्दा उठाया गया। याचिका में कहा गया है कि खातेदारी जमीन में बजरी खनन लीज की आड़ में नदियों के किनारे और जल स्रोतों के कैचमेंट एरिया में गड्ढे खोदकर पानी का प्रवाह रोका जा रहा है। निजी खातेदारी की जमीन से निकाली जा रही बजरी के रवन्ना में भी भारी गड़बड़ी है। एक ही जिले में बजरी परिवहन के लिए 600 से 700 किलोमीटर दूरी के लिए रवन्ना जारी किया जाता है। एक ही रवन्ना से चार से पांच चक्कर तक लगाए जाते हैं। याचिका में कहा गया है कि राज्य सरकार की 2020 की सेंड माइनिंग गाइडलाइंस का उल्लंघन किया जा रहा है।
एडवोकेट संदीप सिंह शेखावत की याचिका पर सुनवाई करते हुए एनजीटी की भोपाल बेंच ने राजस्थान सरकार से चार सप्ताह में तथ्यात्मक रिपोर्ट सौंपने के आदेश दिए हैं। एनजीटी ने खान विभाग के निदेशक, स्टेट लेवल एनवायरमेंट इंपेक्ट एसेसमेंट कमेटी और राजस्थान पोल्यूशन कंट्रोल बोर्ड की संयुक्त कमेटी से रिपोर्ट सौंपने को कहा है। कमेटी को ई मेल के जरिए एक्शन टेकन रिपोर्ट सौंपने के आदेश दिए हैं। एनजीटी ने याचिकाकर्ता को भी एक सप्ताह में याचिका के पक्ष में जरूरी दस्तावेज भेजने के आदेश दिए हैं। अगली सुनवाई 28 सितंबर को होगी। इस सुनवाई में सरकार के जवाब और एक्शन टेकन रिपोर्ट को देखने के बाद एनजीटी अगला आदेश जारी कर सकती है।
उल्लेखनीय है कि प्रदेश के कई इलाकों में बजरी के अवैध खनन की शिकायतें लंबे समय से आ रही हैं। खातेदारी जमीन पर बजरी लीज की आड़ में भी अवैध खनन का मामला पहले भी कई बार उठ चुका है।