Rajasthan @राष्ट्रीय दुग्ध दिवस पर विशेष: देशी गायों की नस्ल सुधार और पशुपालन में सर्वश्रेष्ठ कार्य करने पर राजस्थान के 2 किसानों को राष्ट्रीय गोपाल रत्न पुरस्कार

भारत के मिल्क मैन ऑफ इंडिया डॉ वर्गीज कुरियन की जन्म शताब्दी के उपलक्ष में आज 26 नवंबर को राष्ट्रीय दुग्ध दिवस समारोह का आयोजन किया जा रहा है। सर्वश्रेष्ठ डेयरी किसान का प्रथम पुरस्कार सुरेंद्र अवाना, जयपुर राजस्थान को दिया गया।

नई दिल्ली, एजेंसी। 
भारत के मिल्क मैन ऑफ इंडिया डॉ वर्गीज कुरियन की जन्म शताब्दी  के उपलक्ष में आज 26 नवंबर को राष्ट्रीय दुग्ध दिवस समारोह का आयोजन किया जा रहा है। पशुपालन और डेयरी विभाग की ओर से आयोजित समारोह गुजरात के राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड आनंद के सभागार में आयोजित किया जा रहा है। समारोह के दौरान केंद्रीय पशुपालन एवं डेयरी मंत्री पुरुषोत्तम रूपाला देशी नस्लों की गाय/भैंसों को पालने वाले देश के सर्वश्रेष्ठ डेयरी किसान, सर्वश्रेष्ठ कृत्रिम गर्भाधान तकनीशियन और सर्वश्रेष्ठ डेयरी सहकारी समिति (डीसीएस)/दुग्ध उत्पादक कंपनी/डेयरी किसान उत्पादक संगठनों के विजेताओं को राष्ट्रीय गोपाल रत्न पुरस्कार प्रदान करेंगे। प्रतिष्ठित राष्ट्रीय गोपाल रत्न पुरस्कार विजेताओं को सम्मानित करने के अलावा पुरुषोत्तम रूपाला धामरोद, गुजरात और हेसरगट्टा, कर्नाटक में आईवीएफ प्रयोगशाला और स्टार्ट-अप ग्रैंड चैलेंज 2.0 का भी उद्घाटन करेंगे।


राजस्थान के 2 किसानों को गोपाल पुरस्कार
केंद्रीय पशुपालन विभाग की ओर से गठित समिति ने प्रत्येक श्रेणी में प्रथम, द्वितीय और तृतीय स्थान का चयन किया है। इसमें देशी गाय/भैंस की नस्लों को पालने वाले सर्वश्रेष्ठ डेयरी किसान का प्रथम पुरस्कार सुरेंद्र अवाना, जयपुर राजस्थान को दिया गया। इसमें द्वितीय पुरस्कार रेशमी एडाथानल, कोट्टायम, केरल, तृतीय पुरस्कार राजपूत मोधीबेन वर्धमानसिंह, बनासकांठा, गुजरात व माधुरी, राजनांदगांव, छत्तीसगढ़ को दिया गया।

कृत्रिम गर्भाधान तकनीशियन का पुरस्कार भी राजस्थान को
समारोह में सर्वश्रेष्ठ कृत्रिम गर्भाधान तकनीशियन (एआईटी) के पुरस्कार वितरित किए गए। इसमें प्रथम रामा रावकरी, आंध्र प्रदेश, द्वितीय दुलारू राम साहू, छत्तीसगढ़ और तृतीय राजेश बागरा, राजस्थान को दिया गया। इसके अलावा सर्वश्रेष्ठ डेयरी सहकारी/ दुग्ध उत्पादक कंपनी/ डेयरी किसान उत्पादक संगठन का प्रथम पुरस्कार कामधेनु हितकारी मंच बिलासपुर, हिमाचल प्रदेश, द्वितीय दीप्ति गिरिक्षीरोलपदक सहकारना संगम, वायनाड, केरल को दिया गया।