राजस्थान फिल्म पर्यटन प्रोत्साहन नीति: रूपहले परदे पर राजस्थान का सिनेमा ढूंढ रहा अपनी पहचान
इस पॉलिसी में रुपहले पर्दे पर राजस्थान का वैभव दिखाने वाले फिल्म मेकर्स को कई तरह की रियायत दी जा रही है, जिससे अधिक से अधिक राजस्थान में फिल्में बनें और यहां के सिनेमा को जो पिछले कुछ सालों से लुप्त होता जा रहा है, उसे प्रोत्साहन मिल सके।
जयपुर। राजस्थानी फिल्मों का इतिहास बड़ा और वैभवशाली रहा है। देश की आजादी से लगभग पांच साल पहले बनी फिल्म नजराना (मारवाड़ी भाषा में) से लेकर अब टर्टल के जरिए दुनिया पर छा जाने तक लोकजीवन को बड़े परदे पर उतारती फिल्में दिलों को छूती रही हैं। मरुभूमि के संघर्ष को, इसके खारेपन को, लोक संस्कृति को सुंदर अंदाज में सेल्युलाइड पर उतारा जाता रहा है। समय-समय पर मांग उठती रही कि इस सिने उद्योग को बिखरने से बचाने के कुछ गंभीर प्रयास सरकार की ओर से किए जाएं। बजट 2022 में इसकी राह बनी और घोषणा हुई राजस्थानी फिल्म टूरिज्म प्रमोशन पॉलिसी की।
दावा किया जा रहा है कि राजस्थानी सिनेमा को संजीवनी देने के लिए प्रदेश की गहलोत सरकार राजस्थानी फिल्म टूरिज्म प्रमोशन पॉलिसी लेकर आई है। इस पॉलिसी में रुपहले पर्दे पर राजस्थान का वैभव दिखाने वाले फिल्म मेकर्स को कई तरह की रियायत दी जा रही है, जिससे अधिक से अधिक राजस्थान में फिल्में बनें और यहां के सिनेमा को जो पिछले कुछ सालों से लुप्त होता जा रहा है, उसे प्रोत्साहन मिल सके।
राजस्थानी सिनेमा विकास संघ के संरक्षक विपिन तिवाड़ी के मुताबिक गहलोत सरकार की नई फिल्म पॉलिसी राजस्थानी सिनेमा और हिंदी सिनेमा के लिए लाभप्रद होगी। पॉलिसी में फिल्मों की शूटिंग को बढ़ावा देने के लिए कई तरह की छूट दी गई है। आसानी से लोकेशन निशुल्क उपलब्ध होने के साथ शूटिंग के लिए मिलने वाली अनुमति को सहज बनाया गया है। देशी-विदेशी फिल्म निर्माताओं को राजस्थान में शूटिंग करने पर शर्तों के साथ सब्सिडी दी जाएगी। आरटीडीसी के होटल्स में 50 फीसदी छूट के साथ कमरे मिलेंगे। इसको लेकर सभी विभाग अपने-अपने स्तर पर आदेश भी जारी कर रहे हैं। अन्य राज्यों की तुलना में एक अच्छी पॉलिसी है, बस जैसे गढ़ा गया है उसे उसी तरह लागू किया जाए।
तिवाड़ी का कहना है कि यूं तो फिल्ममेकर्स के लिए राजस्थान हमेशा से ही पहली पसंद रहा है, कई बड़ी फिल्मों की शूटिंग राजस्थान में हुई है। औसतन 2 फिल्मों की शूटिंग राजस्थान में रोज चलती हैं। इसके बावजूद राजस्थान का सिनेमा अपनी पहचान ढूंढ रहा है। उम्मीद है कि इस पॉलिसी से फिल्म इंडस्ट्री के लिए राजस्थान पहले से कहीं ज्यादा खास बन जाएगा। यहां के कलाकारों के साथ टेक्निकल टीम को भी काम मिलेगा। तिवाड़ी कहते हैं कि पॉलिसी के तहत 80 फीसदी फिल्म की शूटिंग राजस्थान में होती है तभी वो शख्स सरकार की ओर से मिलने वाली सहायता का लाभ उठा सकेगा। इसके साथ 70 फीसदी राजस्थान के लोगों को इसमें जोड़ना होगा।
कमेटियां परखेगी फिल्मों को पैमाने पर
इस पॉलिसी में दो तरह की कमेटियां बनाई जाएगी। पहली स्टेट लेवल कमेटी में सम्बंधित विभागों के अधिकारी और फ़िल्म इंडस्ट्रीज के सदस्य शामिल होंगे। दूसरी, जो फ़िल्म प्रिव्यू के लिए होगी। इसमें एक्सपर्ट होंगे। कमेटियां किसी भी तरह का अनुदान या अन्य राहत देने से पहले फिल्म की सभी जानकारियों को जांचेगी और परखेंगी। खास बात यह है कि अनुदान का लाभ फ़िल्म रिलीज होने के बाद मिलेगा, पहले ऐसा नहीं था। फ़िल्म बनाने के नाम पर अनुदान तो ले लिया जाता था लेकिन फ़िल्म रिलीज़ नही होती थी। अनुदान के लिए पहले ऑनलाइन आवेदन करना होगा, आवेदन में फिल्म की स्क्रिप्ट, फिल्म के कलाकार, टेक्निकल टीम, फिल्म का सब्जेक्ट साहित्य सभी जानकारियां देनी होगी। कमेटी ही फिल्म की गुणवत्ता की जांच करेगी, कमेटी जांच के बाद टोकन नंबर जारी करेगी उसके बाद छूट या अन्य लाभ ले सकते हैं। इससे होगा ये कि सरकार के पास भी इस बात की जानकारी रहेगी की कौन सी फिल्म बन रही है।
चार भागों में बांटा गया अनुदान
पॉलिसी में अनुदान को चार भागों में बांटा गया है। ग्रेड A+ में 25 लाख रुपये की राशि या फिल्म निर्माण के प्रत्यक्ष व्यय की 25 प्रतिशत राशि दोनों में से जो भी कम हो। ग्रेड A+ में 15 लाख रुपये की राशि या फिल्म निर्माण के प्रत्यक्ष व्यय की 25 प्रतिशत राशि दोनों में से जो भी कम हो। ग्रेड B में 10 लाख रुपये की राशि या फिल्म निर्माण के प्रत्यक्ष व्यय की 25 प्रतिशत राशि दोनों में से जो भी कम हो और ग्रेड C में 5 लाख रुपये की राशि या फिल्म निर्माण के प्रत्यक्ष व्यय की 25 प्रतिशत राशि दोनों में से जो भी कम हो।
पूरी करनी होगी पात्रता की शर्ते
भारत सरकार के सेंट्रल बोर्ड ऑफ फिल्म सर्टिफिकेशन (CBFC) की ओर से जिस राजस्थानी फिल्म को पूरी अवधि के फिल्म के तौर पर सिर्फ सिनेमा घर में प्रदर्शन के लिए"U" या "UA" श्रेणी का प्रमाण पत्र जारी किया गया हो, व्यावसायिक उद्देश्यों के लिए बनाई गई (न्यूनतम 60 मिनट) फीचर फिल्मों के साथ साथ शैक्षिक उद्देश्यों के लिए वृत्तचित्र भी पात्र होंगे। एक जुलाई 2018 को या उसके बाद रिलीज हुई फिल्में योजना के तहत सहायता के लिए पात्र हैं। ऐसी फिल्में जहां निर्माण पूरा हो गया है, लेकिन रिलीज के अधीन हैं, वे भी पात्र होंगी। फिल्मों में कुल में से कम से कम 30% स्थानीय अभिनेता/ तकनीशियन राजस्थान से होने चाहिए, अर्थात, जो राजस्थान में पैदा हुए हो या जो राजस्थान के मूल निवासी हों। संबंधित राजस्थानी फिल्म के आउटडोर शूटिंग शेड्यूल का कम से कम 80% हिस्सा राजस्थान राज्य में दिशा-निर्देशों में निर्दिष्ट तकनीकी विनिर्देश के अनुसार फिल्माया होना आवश्यक होगा। जो राजस्थानी फिल्म 2K या उससे अधिक रिजोल्यूशन वाले डिजिटल फॉर्मेट में बना हो अथवा 35 एमए या उससे चौड़े गेज की फिल्म में फिजिकल फॉर्मेट में बना हो और राजस्थान राज्य में लाइसेंस वाले सिनेमाघरों में प्रदर्शित किया गया हो। संबंधित फिल्म की शूटिंग और निर्माण में जिस टेक्नोलॉजी का उपयोग किया गया हो उसके प्रमाण के लिए संबंधित संस्था/एजेंसी से उस प्रकिया के करने संबंधी प्रमाण पत्र और संबंधित संस्था एजेंसी को रकम के भुगतान की रसीद हासिल कर आवेदन के साथ संलग्न करना होगा। राजस्थानी फिल्म में दर्शाए जाने वाले निर्माता, निर्देशक, संगीतकार, कलाकार, टेक्नीशियन, कंपोजर आदि के नाम वाले सभी शीर्षक राजस्थानी भाषा में ही होने चाहिए। यदि निर्माता चाहे तो राजस्थानी भाषा के अतिरिक्त अन्य भाषा जैसे कि हिन्दी, अंग्रेजी या अन्य भाषा का शीर्षक में उपयोग कर सकेगा, लेकिन फ़िल्म के सभी शीर्षकों में राजस्थानी भाषा अवश्य होनी चाहिए। संबंधित फिल्म के प्रत्यक्ष निर्माण खर्च की 30% रकम का खर्च राजस्थान राज्य में हुआ हो उसके प्रमाण प्रस्तुत करने होंगे। इस रकम में विज्ञापन पेटे किए गए खर्च की रकम का समावेश नहीं किया जा सकता। राजस्थानी फिल्म का निर्माता/सहनिर्माता राजस्थान राज्य का मूल निवासी होना चाहिए। एक फ़िल्म मेकर्स को 10 साल में दो फिल्मों पर ही अनुदान मिलेगा।