वाह रे विधाता! : जिस पिता को मृत मानकर किया अंतिम संस्कार, पत्नी बनी विधवा, वह 25 साल बाद हुआ प्रकट 

भरतपुर | विधाता के आगे किसी की भी नहीं चलती। चाहे जो कुछ भी कर लिया जाए। राजस्थान के भरतपुर में कुछ इसी तरह का मामला सामने आया है। जिसमें 25 साल पहले उड़ीसा से लापता हुए एक व्यक्ति के परिजनों ने उसे खूब तलाशा। उड़ीसा समेत पास-पास के सभी राज्यों में करीब चार साल तक उसकी खोज कराई, अखबारों में इस्तहार दिये, लेकिन वह नहीं मिला। लेकिन ईश्वर को कुछ और ही मंजूर था। बीते शनिवार को उसके परिजनों को 25 साल बाद ऐसी खुशी मिली जिसे शब्दों में बयां करना कठिन है। 

विधवा का जीवन जी रही थी पत्नी
दरअसल, उड़ीसा में कटक के एक गांव से सोमेश्वर दास नाम का एक व्यक्ति मानसिक स्थिति खराब होने के कारण 25 साल पहले घर से लापता हो गया। जिसके बाद परिजनों ने कई सालों तक उसकी तलाश भी की, लेकिन नहीं मिलने पर उसे मृत मानकर पूरे धार्मिक कर्मकांड के अनुसार ब्रह्मभोज भी कर दिया। उसकी पत्नी विधवा का जीवन व्यतीत करने लगी। 

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राजस्थान से गए एक फोन ने परिवार में ला दी खुशियां
इसी बीच राजस्थान के भरतपुर में अपना घर आश्रम से सोमेश्वर के घर गए एक फोन ने परिवार को चकित कर दिया। फोन से लापता हुए 64 साल सोमेश्वर दास की खबर परिवारवालों को मिली। जिसका पहले तो यकीन नहीं हुआ लेकिन विश्वास भी कोई चीज है। सूचना पाकर कटक से सोमेश्वर दास का बेटा अपना घर आश्रम पहुंचा और अपने पिता को देखकर खुद के आंसू नहीं रोक पाया। 25 साल से लापता पिता को बेटा अपने साथ लेकर अपने घर को लौट गया।

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लापता हुए तब 14 साल का था बेटा, जब मिले तो हो गया 39 का
सोमेश्वर दास जब घर से लापता हुए थे तब उनका बेटा संतोष दास मात्र 14 साल का था और 9वीं में पढ़ता था, लेकिन जब वे आज रविवार को अपने बेटे से मिले तो उसकी उम्र 39 साल की हो गई और वह शादीशुदा हो गया। ऐसे में सोमेश्वर दास बेटे को पहचान नहीं पाए। अपने पिता को पाकर बेटा ऐसा प्रफुल्लित हुआ की अपनी भावनाओं को रोक नहीं पाया और फूट-फूट कर रोने लगा। इस दृश्य को देखकर वहां मौजूद लोगों की आंखें भी झलक पड़ी।