जालोर जिले में 17 कौओं की मौत : चितलवाना इलाके के मेघावा के ग्रामीणों में दहशत, बर्ड फ्लू की आशंका

ग्रामीणों की सूचना पर पशुपालन विभाग के चिकित्सक व टीम पहुंची मौके पर मौके पर पहुंची चिकित्सकों की टीम ने मृत पक्षियों के लिये सेंपल भेजें जांच के लिए

जालोर | प्रदेश में कोरोना के बाद बर्ड फ्लू का कहर जारी है ऐसे में लगातार पक्षियों की मौत के मामले सामने आ रहे हैं। दरअसल जालौर जिले के चितलवाना उपखंड क्षेत्र के मेघावा गांव में एक साथ करीब 17-20 कौओं की मौत का मामला सामने आया है। एक साथ करीब 17 पक्षियों की मौत की सूचना के बाद पशुपालन विभाग के चिकित्सक व टीम मौके पर पहुंची और मृत पक्षियों को कब्जे में लेकर जांच शुरू की।

जानकारी के मुताबिक में मेघावा गांव में एक साथ 17 पक्षियों की मौत की सूचना पर पशुपालन विभाग के चिकित्सक जितेंद्र खत्री मौके पर पहुंचे जिस पर टीम ने मृत कौओं के सेंपल लिए गए। चिकित्सक डॉ जितेंद्र खत्री ने बताया कि मेघावा गांव में मृत पक्षियों की सूचना पर मौके पर पहुंचे जहां गांव के अलग-अलग स्थानों पर करीब 17 कौए मृत मिले कब्जे में लिया गया।  जिनमें से 5 पक्षियों  सैंपल लेकर अग्रिम जांच के लिए भेजे गए। उन्होंने बताया कि शेष अन्य मृत कौओं को वैज्ञानिक विधि से डिस्पोज किया गया। उन्होंने बताया कि बर्ड फ्लू के चलते 17 मृत पक्षियों को सुरक्षा व्यवस्था के साथ भी डिस्पोज किया गया है। वही सैंपल लेकर जिला मुख्यालय जालोर  भेजा गया जहां से बर्ड फ्लू की जांच के लिए भोपाल नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ हाई सिक्योरिटी एनिमल डिजीज प्रयोगशाला में भेजे जाएंगे जहां बर्ड फ्लू की जांच होगी सेंपल  जांच के बाद ही  मृत पक्षियों में  बर्ड फ्लू  की पुष्टि हो पाएगी हालाँकि  ग्रामीणों को मृत पक्षियों से दूरी रखने की सलाह दी गई है।

इधर  प्रदेश के कई जिलों में पक्षियों में बर्ड फ्लू के मामले सामने आने के बाद बर्ड फ्लू के खतरे को देखते हुए जिला वन विभाग व पशुपालन विभाग में जिले में अलर्ट जारी किया हुआ है इसको लेकर विभाग की ओर से भी पूरी सतर्कता बरती जा रही है । वहीं लगातार पक्षियों में फैल रहे बर्ड फ्लू को लेकर वन विभाग के अधिकारियों एने  कार्मिकों को सतर्क रहकर बीमार पक्षियों की नियमित निगरानी के निर्देश जारी किए हुए हैं इधर पशुपालन विभाग के संयुक्त निदेशक डॉ ओंकार पाटीदार ने बर्ड फ्लू को देखते हुए जिला स्तर पर नियंत्रण कक्ष भी स्थापित किया गया है। ऐसे में प्रशासन वन विभाग पशुपालन विभाग की ओर से लगातार बीमार पक्षियों पर निगरानी रखी जा रही है।