अमेरिका ने लिया काबुल हमले का बदला : अमेरिका ने आईएसआईएस खुरासान के ठिकानों पर किया ड्रोन से हमला, काबुल हमले का मास्टरमाइंड की मौत
आखिरकार अमेरिका ने अफगानिस्तान के काबुल में हुए आतंकी हमले का बदला ले लिया। अमेरिका ने आईएसआईएस खुरासान ग्रुप के ठिकानों पर ड्रोन से हमला कर दिया। अमेरिका के रक्षा विभाग के प्रवक्ता कैप्टन बिल अरबन ने जानकारी दी कि अफगानिस्तान के नंगरहार प्रांत में ड्रोन से हमला किया गया। यह प्रांत पाकिस्तान की सीमा से लगता हुआ है
नई दिल्ली, एजेंसी।
आखिरकार अमेरिका ने अफगानिस्तान(Afghanistan) के काबुल में हुए आतंकी हमले का बदला ले लिया। अमेरिका ने आईएसआईएस (ISIS) खुरासान ग्रुप के ठिकानों पर ड्रोन से हमला कर दिया। अमेरिका के रक्षा विभाग के प्रवक्ता कैप्टन बिल अरबन (Captain Bill Urban) ने जानकारी दी कि अफगानिस्तान के नंगरहार प्रांत (Nangarhar Province) में ड्रोन से हमला किया गया। यह प्रांत पाकिस्तान की सीमा से लगता हुआ है और आईएसआईएस का गढ़ माना जाता है। इस हमले में काबुल धमाकों का मास्टर माइंड भी मारा गया। सुरक्षा एजेंसियों के मुताबिक अमेरिकी ड्रोन(Drone Attack) ने बीती रात मध्य पूर्व के किसी अज्ञात लोकेशन से उड़ान भरी और आईएसआईएस के ठिकानों पर उस वक्त हमला किया जब वे सहयोगी के साथ कार में सवार था।
अमेरिका ने काबुल हमले के बाद दी थी चेतावनी
अफगानिस्तान के काबुल में गुरुवार को एयरपोर्ट पर आईएसआईएस(ISIS) फिदायीन हमला किया था। इसमें 13 अमेरिकी सैनिकों की भी मौत हो गई थी। इसके बाद अमेरिका ने चेतावनी जारी करते हुए कहा था कि काबुल हमले का बदला अवश्य लिया जाएगा। आतंकियों को ढूंढ ढूंढ कर मारा जाएगा। अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन(Joe Biden) ने कहा था कि काबुल एयरपोर्ट पर हमला करवाने वालों के बारे में जानकारी है, सही समय और सही जगह पर करारा जवाब दिया जाएगा। राष्ट्रपति के इस बयान के बाद महज 36 घंटों में अमेरिका ने ड्रोन से हमला कर आतंकी को मार गिराया। इस बीच अमेरिका ने अपने नागरिकों से कहा है कि काबुल एयरपोर्ट से दूर हट जाएं। यहां फिर से हमला हो सकता है।
2014 में पूर्वी अफगानिस्तान से सक्रिय हुआ था आईएसआईएस के
सुरक्षा एजेंसियों के मुताबिक आईएसआईएस—के (ISIS-K) का नाम उत्तर पूर्वी ईरान, दक्षिणी तुर्कमेनिस्तान और उत्तरी अफगानिस्तान में आने वाले इलाकों के नाम पर रखा गया था। बताया जाता है कि यह 2014 में पूर्वी अफगानिस्तान से सक्रिय हुआ था। इसके बाद पूर्वी अफगानिस्तान में इस संगठन ने अपनी मौजदूगी दर्ज कराई थी। इसी संगठन ने काबुल में स्लीपर सेल तैनात किए थे। इन्होंने 2016 में काबुल और उसके बाहर आत्मघाती हमले भी किए थे। एक न्यूज एजेंसी के मुताबिक
काबुल हमले के पीछे तालिबान की इमेज खराब करना इस संगठन का मकसद था।