राज्य सूचना आयोग ने ईओ को किया तलब : सिरोही ​के पिण्डवाडा में मनोनीत पार्षद को 6 माह में सूचना नहीं देने पर राज्य सूचना आयोग ने ईओ को किया तलब

राजस्थान राज्य सूचना आयोग ने नगर पालिका ईओ को नोटिस जारी कर अपीलार्थियों को 21 दिन के भीतर मांगी गई सभी सूचनाएं बिंदुवार रजिस्टर्ड डाक से मुहैया कराने के निर्देश दिए है।

पिण्डवाडा (Sirohi)। 
नगर के मनोनीत पार्षद नरेंद्र सिंह डाबी(Narendra Singh Dabi) एवं अनिता कंवर (Anita Kanwar) द्वारा नगरपालिका पिंडवाड़ा से मांगी गई सूचनाएं 6 माह बाद भी नहीं देने पर राजस्थान राज्य सूचना आयोग ने नगर पालिका ईओ को नोटिस जारी कर अपीलार्थियों को 21 दिन के भीतर मांगी गई सभी सूचनाएं बिंदुवार रजिस्टर्ड डाक से मुहैया कराने के निर्देश दिए है। इसके साथ ही संबंधित समस्त दस्तावेज लेकर  22 एवं 29 जून को आयोग के कोर्ट नंबर 3 में सुनवाई के लिए तलब कर लिया। 
इसके साथ ही सूचना प्रदान करने में विलंब के लिए अधिनियम 2005 की धारा 20 के अंतर्गत दंडित किए जाने के प्रावधान से भी अवगत करवाया । नगर के मनोनीत पार्षद नरेंद्र सिंह डाबी ने 16 दिसंबर 2020 को नगर पालिका से सूचना मांगी थी कि 1 अप्रेल से दिसंबर 20 तक निर्माण , स्टोर के कितने काम किस-किस फर्म को कोटेशन पर तथा कोरोना काल में कुल कितना बजट किस मद में किस फर्म को निविदा या कोटेशन से दिया गया। आपके कार्यालय से राज्य सरकार द्वारा निर्धारित कितने रुपए का कार्य कोटेशन पर देने का अधिकार है , पालिका द्वारा बार-बार निविदा निकालकर निरस्त करना तथा राज्य सरकार द्वारा निर्धारित किन सक्षम व्यक्तियों की उपस्थिति में  निविदाएं खोली जाती है। अधिशासी अधिकारी के निवास में निर्माण और मरम्मत कार्य के निविदा कब निकाली ,किन—किन फर्मों ने आवेदन किया और किस फर्म को स्वीकृति दी,पालिका का सरकारी वाहन होने के उपरांत भी किसकी अनुमति से निजी वाहन अनुबंध पर लगाकर अपव्यय किया जा रहा है ।
इसी प्रकार  मनोनीत पार्षद अनीता कंवर में सूचना मांगी कि प्रधानमंत्री योजना में कितने आवेदन प्राप्त हुए किस-किस के एवं कितने स्वीकृत किए गए नामवार सूची तथा दीपावली शुभकामना होल्डिंग्स के लिए कब व कौनसे समाचार पत्र में निविदा निकाली किस-किस फर्म ने आवेदन किया और किसे स्वीकृति दी और किसकिस स्थान पर होर्डिंग लगाए गए सभी की वाउचर सहित सत्यापित प्रति की मांग की गई लेकिन 6 माह बीत जाने के बाद भी सूचना उपलब्ध नहीं की गई। राज्य सरकार द्वारा मनोनीत पार्षदों को भी समय पर सूचना नहीं दी जा रही है तो आम जनता को तो सवाल ही नहीं उठता। दोनों पार्षदों ने आरोप लगाया कि मांगी गई सूचनाओं में भारी अनियमितता एवं सांठगांठ का अंदेशा है। इसीलिए जवाब नहीं दिया जा रहा है । राज्य सूचना आयोग की कार्रवाई से न्याय की उम्मीद जगी है ।