राजस्थान के जंगलों में लैपर्ड संरक्षण: राजस्थान माउंट आबू, जवाई बांध, जयसमंद, शेरगढ़ सहित प्रमुख अभयारण्यों में लैपर्ड संरक्षण की दिशा में विशेष इंतजाम

वन विभाग के प्रधान मुख्य वन संरक्षक वन बल प्रमुख डॉ.डी.एन.पाण्डेय ने बताया कि झालाना आमागढ़, कुम्भलगढ़ रावली टाडगढ़, जयसमन्द, शेरगढ़ (बांरा), माउंट आबू, खेतडी बांसियाल, जवाई बांध एवं बस्सी व सीतामाता अभयारण्य क्षेत्रों को प्रोजेक्ट लैपर्ड में सम्मिलित किया जाकर विशेष प्रबंधन किया जा रहा है।

जयपुर।
राजस्थान में प्रोजेक्ट लैपर्ड के तहत लैपर्ड संरक्षण की दिशा में कार्य किए जा रहे है। इस के तहत  पिछले दो सालों में वन विभाग ने 28 करोड़ रुपए खर्च कर दिए।
वन विभाग के प्रधान मुख्य वन संरक्षक वन बल प्रमुख डॉ.डी.एन.पाण्डेय ने बताया कि झालाना आमागढ़, कुम्भलगढ़ रावली टाडगढ़, जयसमन्द, शेरगढ़ (बांरा), माउंट आबू, खेतडी बांसियाल, जवाई बांध एवं बस्सी व सीतामाता अभयारण्य क्षेत्रों को प्रोजेक्ट लैपर्ड में सम्मिलित किया जाकर विशेष प्रबंधन किया जा रहा है।
इनके विकास के लिए ग्रास लैण्ड विकसित करने, चारदीवारी निर्माण, विलायती बबूल को हटाना, पर्यावरण सुधार एवं पानी की व्यवस्था इत्यादि कार्य के लिए केन्द्र एवं राज्य सरकार की विभिन्न योजनाओं के तहत वर्ष 2020 में करीब 9 करोड़ एवं वर्ष 2021 में करीब 19 करोड़ रुपये की कुल 28 करोड़ राशि के कार्य हुए।
डॉ.पाण्डेय ने बताया कि बाघों की मॉनिटरिंग के लिए अपनाई जा रही पद्वति को लेपर्ड रिजर्व में भी लागू किया जा रहा है। इसमें एम-स्टाईप्स मोबाईल ऎप्लीकेशेन, कैमरा ट्रैप इत्यादि से मॉनिटरिंग की जा रही है।
इसके लिए उपकरण क्रय किए जाकर इन क्षेत्रों के कर्मचारियों को विशेष ट्रेनिंग दी जा रही है। लेपर्ड रिजर्व में प्रे-बैस बढ़ाने के लिए चिड़ियाघरों में अधिशेष प्रजातियों (हिरण इत्यादि) को छोडे़ जाने के कार्य की अनुमति के लिए प्रकरण भारत सरकार को भेज दिया गया है।
इसके लिए कुम्भलगढ़ रावली टाडगढ़ क्षेत्र में एनक्लोजर बना दिया गया है तथा खेतडी बांसियाल, जयसमन्द, बस्सी व सीतामाता में पर्यटन प्रोत्साहन की कार्यवाही आरंभ की जा रही है। 
झालाना आमागढ, जवाई बांध क्षेत्र में पर्यटन संरचना विकसित हो गयी है तथा माउंट आबू अभयारण्य में पर्यटन संरचना विकसित की जा रही है। शेरगढ व जयसमन्द में भी पर्यटन सुविधा आरम्भ की जा रही है।